गर्मी के मौसम का असर- इस दफ्तर में बाबू के न आने के सौ बहाने
गुमशुदा कर्मचारी गर्मी के मौसम का असर- इस दफ्तर में बाबू के न आने के सौ बहाने
डिजिटल डेस्क, नागपुर. शहर में गर्मी का भीषण प्रकोप इन दिनों दिखाई दे रहा है। ऐसे में नागरिक तेज धूप से सुरक्षा के लिए अनेक उपाय कर रहे हैं, लेकिन कड़ी धूप को सहन करने के बाद अपने कामों के लिए सरकारी दफ्तरों में पहुंचने पर निराशा हाथ लग रही है। सोमवार से शुक्रवार तक ऐसे ही नजारे देखने मिल रहे हैं। इसकी वजह यह है कि भीषण गर्मी को देखते हुए अधिकारी और कर्मचारी नदारद नजर आ रहे हैं। पूछताछ करने पर पता चल रहा है कि अधिकारी किसी दूसरे शहर में बैठक के लिए गए हैं, तो कही अधिकारी काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं। इन बहानों के चलते आम नागरिक खासे परेशान हो रहे हैं।
धड़ल्ले से अवहेलना, कार्रवाई कौन करे : करीब तीन साल पहले राज्य सरकार ने काम के बोझ को कम करने के लिए अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के मुताबिक सरकारी और अर्धसरकारी कार्यालयों में पांच दिनों का सप्ताह किया गया है। हालांकि पांच दिनों के लिए समयावधि को सुबह 9.45 से शाम 6.15 तक रखा गया है। अधिकारियों और कर्मचारियों को कड़ाई से समयावधि का पालन करने का निर्देश भी दिया गया है, लेकिन आला अधिकारियों की ओर से नियमों के उल्लंघन को लेकर कोई भी कड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है। यहीं नहीं अधिकारी भी काम के बहाने देकर गायब हो रहे है, ऐसे में सरकारी कार्यालयों में नागरिकों को परेशान होना पड़ रहा है।
प्रशासकीय इमारत में कोई सुनवाई और निगरानी नहीं : प्रशासकीय इमारत क्रमांक 2 में करीब 20 से अधिक महत्वपूर्ण कार्यालय मौजूद हैं। इनमें अन्न एवं औषधि प्रशासन, नगर रचना विभाग, वजन माप विभाग, श्रम विभाग, मत्स्य पालन विभाग का भी समावेश है। पांचवें माले पर स्थित ड्रग विभाग के कार्यालय में अधिकारियों की गैर-मौजूदगी रहती है। तर्क दिया जाता है कि अधिकारी अपने कार्यक्षेत्र में ड्रग स्टोर्स का निरीक्षण करने गए हैं। यही स्थिति मत्स्य पालन विभाग, श्रम विभाग कार्यालय नगर रचना विभाग में भी बनी हुई है। इन विभागों में अधिकारियों के पास आम जनता की सुनवाई के लिए कोई भी व्यवस्था नजर नहीं आ रही है।
महानगरपालिका के कई विभागों में भी भीषण गर्मी के चलते कर्मचारी गुमशुदा बने हुए हैं। आला अधिकारियों का दावा है कि कर्मचारियों के देरी से आने पर कार्रवाई भी होती है, लेकिन कार्रवाई का ब्योरा मांगने पर विभाग प्रमुखों से जानकारी लेने का हवाला दिया जाता है। सच्चाई यह है कि यहां भी कई तरह के बहाने देकर कर्मचारी मनमाने ढंग से गायब हो जाते हैं। इन नजारे को विशेष रूप से विद्युत विभाग, समिति विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग में देखा जा सकता है। इन विभागों में आला अधिकारी भी बैठक अथवा अतिरिक्त चार्ज के चलते कार्यालय में मौजूद नहीं होते हैं, तो सामान्य कर्मचारियों पर निगरानी कौन करें।
देरी से आने पर होती है कार्रवाई
प्रकाश वराड़े, सहायक आयुक्त, सामान्य प्रशासन विभाग, मनपा के मुताबिक महानगरपालिका प्रशासन के विभाग प्रमुखों को देरी से आने को लेकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। लगातार तीन मर्तबा देरी होने पर एक दिन की आकस्मिक अवकाश को माना जाता है। हालांकि आपातकालीन स्थिति में देरी होने पर आला अधिकारी को सूचित करने पर रियायत दी जाती है, लेकिन कार्यालय से जल्दी जाने का कोई मामला अब तक नहीं मिला है।