डॉक्टर्स ने नहीं किया इलाज, एनएमसी बिल-2019 का विरोध
डॉक्टर्स ने नहीं किया इलाज, एनएमसी बिल-2019 का विरोध
डिजिटल डेस्क, रीवा। चिकित्सा जगत में केन्द्र सरकार द्वारा किए जा रहे बदलाव का विरोध शुरू हो गया है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इण्डिया (एमसीआई) की जगह अब नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल लाए जाने का विरोध देश भर में शुरू हुआ है। रीवा में भी भारतीय चिकित्सक संघ ने इस एनएमसी बिल-2019 का विरोध करते हुए इसे चिकित्सा जगत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय की ओपीडी के बाहर एकत्रित चिकित्सकों ने इस बिल की खामियां गिनाईं। आईएमए के इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन जूनियर डॉक्टर्स, नर्सिंग होम एसोसिशन एवं दवा प्रतिनिधियों द्वारा भी किया गया।
इसलिए विरोध
संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय की ओपीडी के बाहर तम्बू लगाकर एनएमसी बिल का विरोध करते हुए चिकित्सकों ने कहा कि ब्रिज कोर्स के माध्यम से इलाज के अधिकार की बात ठीक नहीं है। इससे मरीजों को नुकसान होगा। आईएमए से जुड़े चिकित्सकों ने कहा कि शार्ट कट सिस्टम से डॉक्टर्स तैयार नहीं किए जा सकते। इससे स्वास्थ्य सेवा बुरी तरह चरमरा जाएगी। एनएमसी के गठन की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। कॉमन परीक्षा और फीस निर्धारण सिस्टम को भी सही नहीं माना।
ये रहे मौजूद
एनएमसी बिल के विरोध प्रदर्शन में आईएमए रीवा के अध्यक्ष डॉ. मनोज इन्दुलकर, मेडिकल ऑफीसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. बीएल शर्मा, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सुधाकर द्विवेदी, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पीके लखटकिया, डॉ. अनिल श्रीवास्तव, डॉ. शशि जैन, डॉ. शब्द यादव, डॉ. हरिओम गुप्ता, डॉ. गीता त्रिपाठी, डॉ.पद्मा शुक्ला, डॉ. दीपक कपूर सहित कई चिकित्सक मौजूद रहे। जूनियर डॉक्टर्स एवं दवा प्रतिनिधियों ने भी इस दौरान अपनी उपस्थिति के साथ इस बिल का विरोध दर्ज कराया।
24 घण्टे सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं
आईएमए ने फिलहाल 24 घण्टे की हड़ताल की है। हालांकि रीवा में इस हड़ताल को लेकर ज्यादा तैयारी नहीं हो पाई थी। सुबह चिकित्सकों ने राउण्ड भी लिया। लेकिन पूर्वान्ह 11 बजे से तम्बू तन गया। दो घण्टे तक ओपीडी के बाहर भाषणबाजी हुई। इस बिल का विरोध करते हुए चिकित्सकों ने इमरजेंसी सेवाएं जारी रखीं।
राउण्ड लेकर डीन ने देखी व्यवस्था
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. पीसी द्विवेदी ने अस्पताल का राउण्ड लिया। डीन ने बताया कि अस्पताल की सेवाओं पर विरोध प्रदर्शन का कोई असर नहीं है। मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से चल रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं पर पूरी नजर रखी जा रही है।