कपास पर बोंड इल्ली का प्रकोप बढ़ा
अकोला कपास पर बोंड इल्ली का प्रकोप बढ़ा
डिजिटल डेस्क, अकोला. मानसून पूर्व बुआई पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद भी कपास पर गुलाबी बोंड इल्ली का प्रकोप दिखाई दे रहा है। फसलों पर लगे इस बीमारी का पीकेवी के कृषि विशेषज्ञों की जांच के बाद उजागर हुआ। इस इल्ली ने मानसून पूर्व बुआई तथा जिनिंग प्रेसिंग में रखे कपास पर हमला किया है। अकोला जिले के तीन तथा बुलढाणा जिले के पांच तहसीलों में कपास पर इस इल्ली का प्रकोप अधिक पैमाने पर दिखाई दे रहा है। दो वर्ष इस प्रकोप पर नियंत्रण के पश्चात फिर से इस बीमारी ने कपास की फसल को अपनी चपेट में लेना आरंभ कर दिया है। डा पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय के कीटशास्त्र विभागप्रमुख व उनके दल ने अकोला, बुलढाणा, वाशिम जिले में बोंड इल्ली की जांच के लिए विशेष मुहिम चलाई थी। आ इज दल को अकोला के अकोला, अकोट, बार्शिटाकली तथा बुलढाणा जिले के खामगांव, मोताला, देऊलगांव राजा, सिंदखेड राजा इस तहसील में बोंड इल्ली का प्रकोप अधिक पैमाने पर पाया गया। इसके अलावा कॉटन जिनिंग प्रेसिंग मिल क्षेत्र के कपास पर बोंड इल्ली का अधिक पैमाने पर हमला दिखाई दे रहा है। उक्त कपास 60 दिनों से अधिक हो गई है उन फसलों के फूल तथा पत्तियों पर गुलाबी बोंड इल्ली दिखाई दे रही है। इसके अलावा किसानों ने कामगंध जाल में तकरीबन चार से पांच प्रौढ गुलाबी बोंड इल्ली के पतंग मिले है। यह इल्लियां अपने तीसरे चरण में पहुंच गई है। किसानों ने फसलों की सुरक्षा करें ऐसी अपील की जा रह है जिन किसानों ने जून के पहले सप्ताह में फसल की बुआई कि है उन किसानों की फसलों पर अधिक पैमाने पर इल्लियां दिखाई दे रही है।
नियंत्रण के लिए दवाईयों का छिड़काव करें
डा पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय डा धनराज उंदीरवाडे ने किसानों ने अपील की है कि किसान ने बोंड इल्ली के प्रकोप को रोकने के लिए दवाईयों का छिड़काव कर फसलों को बचा सकते हैं।