आशा सेविकाओं को तीन माह से नहीं मिला मानधन
आर्थिक संकट आशा सेविकाओं को तीन माह से नहीं मिला मानधन
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। आशा सेविकाओं को स्वास्थ्य विभाग की रीड़ की हड्डी कहा जाता है, लेकिन गत 3 माह से उन्हें मेहनताना नहीं मिल पाया है। जिस कारण आशा सेविकाओं के परिवार पर आर्थिक संकट गहरा गया है। सेविकाओं ने मांग की है कि, आशाओं को तत्काल मानधन देकर उनका मनोबल बढ़ाएं। बता दें कि, आशा सेविकाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के अंतिम छोर के व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जाती है। अभी तो कोरोनाकाल में आशा सेविकाओं ने अपनी सेवा का परिचय दे दिया है। उन्हीं के माध्यम से टीकाकरण का काम सफलतापूर्वक चल रहा है। चौबीस घंटे आशा सेविकाएं स्वास्थ्य सेवा देने में अलर्ट रहती है। गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसूति के लिए विभिन्न योजनाओं के साथ अस्पताल तक प्रसूति के लिए सेवा दी जाती है। इतना ही नहीं तो टीकाकरण, कोरोना सर्वे, माता बाल मृत्यु कम करने, कुष्ठरोग, क्षयरोग आदि से पीड़ित मरीजों को सेवा प्रदान करने का कार्य करती हैं, लेकिन सेविकाओं को वेतन नहीं दिया जाता। बल्कि काम पर दाम दिया जाता है। जितना काम, उतना दाम आशाओं को स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिया जाता है, लेकिन विगत तीन माह से मानधन नहीं मिलने के कारण आशाओं पर आर्थिक संकट गहरा गया है। बताया गया है कि, जिले में 1500 से अधिक आशा सेविकाएं स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करा रही है।
मानधन देकर मनोबल बढ़ाएं
कल्पना डोंगरे, आशा सेविका, गोरेगांव तहसील के मुताबिक आशा सेविकाओं के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा दी जाती है। इसके लिए शासन द्वारा काम पर दाम दिया जाता है, लेकिन विगत तीन माह से मानधन नहीं मिलने के कारण आर्थिक संकट से आशा सेविकाएं जूझ रही हैं। जिसे गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग से मांग की गई है कि, तत्काल मानधन देकर आशाओं का मनोबल बढ़ाए।