आदित्य बिरला इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिया बीमा क्लेम,बीमित पहुँचा कंज्यूमर कोर्ट
सारे दस्तावेज सत्यापित कराने के बाद भी भटकाया जा रहा था जिम्मेदारों के द्वारा आदित्य बिरला इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिया बीमा क्लेम,बीमित पहुँचा कंज्यूमर कोर्ट
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। प्रतिवर्ष प्रीमियम के जमा करने के लिए बीमा कंपनी के एजेंट से लेकर ब्रांच के अधिकारी तक पॉलिसी धारक को फोन करने के साथ ही मैसेज करने का काम करते हैं। पॉलिसी लैप्स होने की धमकी देते हैं और दहशत में बीमित पॉलिसी रिन्यु करा लेता है। पॉलिसी रिन्यु होने के बाद बीमा कंपनी के जिम्मेदार अपने ग्राहक को भूल जाते हैं। कुछ इस तरह का बर्ताव बीमा कंपनी के अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है। पॉलिसी धारक को कभी इलाज की जरूरत होती है तो बीमा कंपनी अनेक प्रकार से कैशेलेस में रोक लगा देती है और उसके बाद जब बिल सबमिट किए जाते हैं तो उसमें अनेक खामियाँ निकालकर नो क्लेम करने का सिलसिला शुरू कर दिया जाता है। यह सब बीमा कंपनी को फायदा पहुँचाने के लिए क्लेम डिपार्टमेंट से लेकर सर्वेयर टीम के सदस्यों के द्वारा किया जाता है। परेशान होकर पॉलिसी धारकों द्वारा कंज्यूमर कोर्ट में आवेदन देते हुए बीमा कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई की माँग की जा रही है और इलाज में खर्च राशि का भुगतान कराने की प्रार्थना भी की है।
बीमा से संबंधित समस्या बताएँ इन नंबरों पर-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर मोबाइल नंबर -9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
हादसे में पॉलिसी धारक की पैर की हड्डी टूट गई थी
सतना नई बस्ती निवासी नागेन्द्र पांडे ने शिकायत में बताया कि उन्होंने आदित्य बिरला हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा कराया था। बीमा कराते हुए एजेंट सहित अन्य अधिकारियों ने कहा था कि हादसे सहित अचानक होने वाली बीमारी का पूरा इलाज बीमा कंपनी कैशलेस कराती है। पॉलिसी क्रमांक 12-20-0122919-00 का कैशलेस कार्ड भी मिला था। जुलाई 2021 को अचानक एक हादसे में एड़ी की हड्डी टूट गई थी। अस्पताल में चिकित्सकों की सलाह के बाद आपरेशन कराना पड़ा था। इलाज के दौरान बीमा कंपनी का कैशलेस कार्ड दिया गया तो बीमा अधिकारियों ने यह कह दिया था कि इलाज के बाद बिल सबमिट करने पर पूरा भुगतान हमारी कंपनी करेगी। बीमित ने ठीक होने के बाद सारे बिल बीमा कंपनी में सबमिट किए थे तो वहाँ से अनेक प्रकार की गलतियाँ निकालना शुरू कर दिया गया था। बीमित को दोबारा सारे दस्तावेज सत्यापित कराकर जमा करने पड़े। बीमित का आरोप है कि उसके बाद भी बीमा कंपनी के अधिकारियों ने परेशान किया और अचानक नो क्लेम कर दिया। बीमित ने टोल फ्री नंबर में संपर्क किया पर वहाँ से किसी तरह का जवाब नहीं मिला। परेशान होकर बीमित को अब कंज्यूमर कोर्ट में आवेदन देना पड़ा और न्याय की गुहार लगाई है। वहीं बीमा कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया गया पर उनसे किसी तरह का संपर्क नहीं हो सका।