अपर आयुक्त नगरीय प्रशासन ने संयुक्त संचालक से मांगी रिपोर्ट
विजयराघवगढ़ के शापिंग काम्पलेक्स का मामला गर्माया अपर आयुक्त नगरीय प्रशासन ने संयुक्त संचालक से मांगी रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क,कटनी। नगरीय निकायों की आय बढ़ाने बने शापिंग काम्पलेक्स खंडहर हो रहे हैं पर उनकी नीलामी नहीं की जा रही है। जिससे उन लोगों का सपना भी चकनाचूर हो गया जो इन दुकानों से व्यवसाय प्रारंभ करने का विचार कर रहे थे। वहीं नगर परिषदों की आय तो बढ़ी नहीं वरन पूंजी भी फंस कर रह गई। नगर परिषद विजयराघवगढ़ में बने शापिंग काम्पलेक्स की यही स्थिति है। शापिंग काम्पलेक्स की नीलामी नहीं करने की शिकायत नगरीय प्रशासन विभाग तक पहुंची और अपर आयुक्त नगरीय प्रशासन डॉ.सत्येन्द्र सिंह ने संयुक्त संचालक जबलपुर से शापिंग काम्पलेक्स की नीलामी दस साल बाद भी नहीं होने पर पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट तलब की है।
11 साल पहले जारी हुई थी नीलामी की सूचना
नगर परिषद विजयराघवगढ़ द्वारा आठ लाख, 76 हजार रुपये की लागत से दस दुकानों का निर्माण किया गया था। वर्ष 2010-11 में इनकी नीलामी की सूचना जारी हुई थी। दुकानों की नीलामी से नगर परिषद को 23 लाख रुपये का प्रीमियम मिलना था। इसके अलावा 600 प्रतिमाह की दर से किराया भी नगर परिषद को प्राप्त होता। एक बार रुकी नीलामी प्रक्रिया दोबारा शुरू नहीं हो सकी। जिससे यह शापिंग कॉम्पलेक्स आसपास के लोगों के लिए टॉयलेट बनकर रह गया है।
परिषद की लापरवाही का खुलासा
कैमोर के अधिवक्ता ब्रम्हमूर्ति तिवारी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम में जुटाए गए दस्तावेजों से शापिंग कॉम्पलेक्स के निर्माण से लेकर नीलामी प्रक्रिया तक नगर परिषद की घोर लापरवाही का खुलासा हुआ है। संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन जबलपुर की टीम ने शापिंग कॉम्पलेक्स की सीढिय़ों को गुणवत्ताहीन पाया था एवं सुधार की सिफारिश की थी। परिषद ने सीढ़ी का सुधार कराए बिना ही ठेकेदार को भुगतान कर दिया। ठेकेदार से एक प्रतिशत आर्नेस्ट मनी भी नहीं काटी गई और न ही अब तक पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया गया। उन्होने इसकी शिकायत नगरीय प्रशासन विभाग से की। अपर आयुक्त का पत्र जारी होते ही नगर परिषद विजयराघवगढ़ में हडक़म्प मचा है।
लागत मिली ना किराया
अधिवक्ता तिवारी ने कहा कि शापिंग कॉम्पलेक्स की नीलामी नहीं होने से पिछले दस सालों में नगर परिषद को 50 लाख रुपये की क्षति पहुंची है। आठ लाख 76 हजार रुपये तो नगर परिषद के खर्च हो चुके हैं। 23 लाख रुपये जो नीलामी से मिलना थे वे भी नहीं मिले। दस में से नगर परिषद को दुकानों से सात लाख, 20 हजार रुपये किराया मिलता उससे भी वंचित होना पड़ा।