सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के बैलगाड़ी दौड़ को कानूनी मान्यता देने वाले कानून को ठहराया वैध

  • महाराष्ट्र में अब फिर से शुरु हो सकेगा बैलगाड़ी दौड़ का आयोजन
  • आयोजन को अनुमति देने वाले कानून को वैध ठहराया
  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने बैल के साथ होनेवाली क्रूरता का हवाला देते लगाई थी रोक

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-18 15:59 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में अब फिर से बैलगाड़ी दौड़ का आयोजन हो सकेगा। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधानिक पीठ ने गुरुवार को प्रदेश में बैलगाड़ी दौड के आयोजन को अनुमति देने वाले कानून को वैध ठहराया है। साथ ही तमिलनाडु में जलिकट्‌टू और कर्नाटक में कंबाला के आयोजन को मान्यता देने वाले कानून को सही ठहराया है।

जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरूद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ ने तीनों राज्यों में इन खेलों के आयोजन से संबंधित बनाए कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि तीनों राज्यों के जानवरों के साथ क्रूरता कानून जानवरों को होने वाले दर्द और पीड़ा को कम करता है। पीठ ने कहा कि सांस्कृतिक विरासतें न्यायिक प्रणाली की हिस्सा नहीं बनना चाहिए। उल्लेखनीय बात यह है कि जस्टिस के एम जोसेफ के नेतृत्व वाली संवैधानिक पीठ ने इन तीनों राज्यों के कानूनी वैधता को लेकर एकमत से फैसला सुनाया है।

महाराष्ट्र सरकार ने 2017 में पशुओं क्रुरता रोकथाम (महाराष्ट्र संशोधन) अधिनियम बनाया था। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करने से पहले आयोजकों को संबंधित जिले के जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। सरकार ने संशोधित नियमों को अधिसूचित भी कर लिया था, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने बैल के साथ होनेवाली क्रूरता का हवाला देते हुए इसके आयोजन पर रोक लगा दी थी। इसे महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

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