सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा की नजरबंदी स्थान में बदलाव के संबंध में जवाबी हलफनामा दायर करने दिया चार सप्ताह का समय

  • नवलखा की नजरबंदी के स्थान में बदलाव का मामला
  • जवाबी हलफनामा दायर करने चार सप्ताह का समय
  • नवलखा को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण वाले पुस्तकालय भवन के कमरे में रखा गया

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-16 12:01 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की नजरबंदी के स्थान में बदलाव के संबंध में जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। नवलखा ने अपनी नजरबंदी के स्थान को बदलने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ उनकी इस अर्जी पर विचार कर रही है। पीठ ने 10 नवंबर 2022 को सुनवाई में अदालत ने 73 वर्षीय नवलखा की बढ़ती उम्र और कई बीमारियों को देखते हुए उन्हें तलोजो सेंट्रल जेले से हाउस अरेस्ट करने का आदेश दिया था। उसमें यह भी कहा गया था कि निगरानी का खर्च स्वयं नवलखा द्वारा वहन किया जाएगा और वे निगरानी के खर्च और लागत को पूरा करने के लिए 8 लाख रुपये जमा करेंगे। नवलखा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील नित्या रामकृष्णन ने पीठ को बताया कि कुछ कठिनाइयों के कारण 8 लाख रुपये जमा किए जाने बाकी हैं। हालांकि, उन्होंने पीठ को बताया कि एनआईए को भी इसकी जानकारी है और यह राशि अगले दो दिन में जमा कर दी जाएगी।

नवलखा को फिलहाल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नियंत्रण वाले एक पुस्तकालय भवन के एक कमरे में रखा गया है। चूंकि ट्रस्ट यह जगह वापस चाहता था, इसलिए नवलखा को दूसरे आवास की तलाश करने के लिए विवश होना पड़ा। अर्जी पर हुई पिछली सुनवाई में वकील रामकृष्णन ने पीठ को बताया था कि बड़ी मुश्किल से नवलखा को अलीबाग में किराए पर जगह मिली है। एनआईए द्वारा इस पर आपत्ति जताने के बाद वकील ने पीठ से मांग की कि नवलखा को आवास के लिए अन्य स्थानों की तलाश के लिए कुछ समय दिया जाए। पीठ ने कहा कि चूंकि एनआईए ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने में समय लिया है, इस बीच उन्हें एनआईए को आवास के लिए संभावित स्थानों की सूची प्रदान करने की अनुमति दी जा सकती है। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 14 अगस्त तक टाल दी

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