चुनावी रण: राजनीतिक दलों ने अभी से शुरू कर दी लोकसभा चुनाव की तैयारियां

  • राज्य में बने नए समीकरण के बीच मंथन भी जारी
  • लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरु

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-16 13:19 GMT

डिजिटल डेस्क, गोंदिया, संतोष शर्मा। लोकसभा के आम चुनाव के लिए अब लगभग 4 माह का समय शेष रह गया है। जिसे देखते हुए जिले में सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने स्तर पर चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी इस मामले में ज्यादा गंभीर नजर आ रही है। पार्टी की बूथ स्तर से लेकर जिलास्तर तक की बैठकों का दौर लगातार चल रहा है, ताकि संगठन को लोकसभा चुनाव के लिए अभी से तैयार किया जा सके। वर्ष 2019 के आम चुनाव के बाद जिले में राजनितिक दलों की संख्या भी बढ़ गई है। पिछले लगभग दो वर्ष से नगर परिषद के चुनाव भी नहीं हुए है। जिसके कारण भंडारा-गोंदिया स्थानीय स्वराज्य संस्था से होने वाला विधान परिषद का चुनाव भी लंबित है और यह चुनाव निकट भविष्य में होने के आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं। नगर परिषद चुनाव नहीं होने के कारण जिले की सभी नगर परिषदों पर प्रशासक बैठे हुए हैं। जनप्रतिनिधियों के अभाव में मनमाना कारोबार चल रहा है। हालांकि प्रशासक राज कुछ नेताओं के लिए सुखद भी साबित हो रहा है। क्योकि उनकी चल रही है। लोकसभा चुनाव की तैयारियों के साथ ही विधानसभा चुनाव जिसके लिए लगभग एक वर्ष का समय शेष है फिर भी राजनीतिक हलचलंे तेज हो गई हैं। महाराष्ट्र में बने नए सत्ता समीकरण के बाद जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में से कौनसे क्षेत्र में किस पार्टी का उम्मीदवार होगा? इस बात को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के अनुसार अगले चुनाव में एक ओर जहां भाजपा, शिवसेना एवं राकांपा (अजित पवार गुट) का संयुक्त उम्मीदवार होगा। वहीं दुसरी ओर कांग्रेस, राकांपा (शरद पवार गुट) एवं शिवसेना (उबाठा) का संयुक्त उम्मीदवार होगा। जहां तक गोंदिया विधानसभा क्षेत्र का सवाल है यहां का इतिहास यह है कि राज्य के गठन के बाद से आज तक इस क्षेत्र से पूर्ववर्ती जनसंघ अथवा भाजपा का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया। पिछले चुनाव में निर्दलीय विनोद अग्रवाल ने चुनाव जीतकर नया इतिहास बनाया था। इसलिए दोनों प्रमुख गठबंधन की ओर से कौन उम्मीदवार होता है इस पर जीत का गणित निर्भर होगा। लेकिन चूंकि लोकसभा चुनाव भी पहले होने वाले है इसलिए इसकी चर्चा गंभीरता से हो रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की ओर से राकांपा का उम्मीदवार ही भंडारा गोंदिया-लोकसभा में भाजपा उम्मीदवार को टक्कर दे रहा था। चूंकि अब राकांपा में दो फाड़ हो जाने के बाद दिग्गज नेता प्रफुल पटेल भाजपा के साथ है इसलिए यह लोकसभा सीट गठबंधन में किसके हिस्से में जाएगी यह मुख्य मुद्दा है।

चूंकि सांसद प्रफुल पटेल का राज्यसभा का कार्यकाल वर्ष 2028 तक है इसलिए वे लोकसभा चुनाव लडेंगे अथवा नहीं? यह स्पष्ट नहीं है। ऐसे में यदि यह सीट राकांपा के हिस्से में आती है तो राकांपा की ओर से किसी नए उम्मीदवार को भी मैदान में उतारा जा सकता है। जहां तक कांग्रेस की बात है तो आगामी लोकसभा चुनाव पार्टी के लिए करो या मरो जैसा है। ऐसे में यदि पार्टी ने जिले के कद्दावर नेता नाना पटोले पर दांव लगाया तो वे उम्मीदवार बन सकते हंै। भाजपा के हिस्से में गठबंधन में यदि यह सीट आती है जिसकी संभावना फिलहाल तो कम है तो ऐसे में वर्तमान सांसद सुनील मंेढे, डा. परिणय फुके, विजय शिवणकर, विजय रहांगडाले आदि के दावे सामने आ सकते है। लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए सरकारी मशीनरी तो हरकत में आ चुकी है। राजनितिक दलों के बड़े नेताओं के दौरे भी बढ़ने लगे हंै। लेकिन सबकुछ दोनों प्रमुख गठबंधनों के उम्मीदवार के चयन पर निर्भर होगा। राजनीति में किस समय क्या समीकरण बनेंगे, बिगड़ेंगे? कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन यह तय है कि आगामी लोकसभा चुनाव गोंदिया-भंडारा सीट पर दिलचस्प होगा और सारे विदर्भ का ध्यान आकर्षित करेंगा। इसमें कोई दो मत नहीं है।

चूंकि सांसद प्रफुल पटेल का राज्यसभा का कार्यकाल वर्ष 2028 तक है इसलिए वे लोकसभा चुनाव लडेंगे अथवा नहीं? यह स्पष्ट नहीं है। ऐसे में यदि यह सीट राकांपा के हिस्से में आती है तो राकांपा की ओर से किसी नए उम्मीदवार को भी मैदान में उतारा जा सकता है। जहां तक कांग्रेस की बात है तो आगामी लोकसभा चुनाव पार्टी के लिए करो या मरो जैसा है। ऐसे में यदि पार्टी ने जिले के कद्दावर नेता नाना पटोले पर दांव लगाया तो वे उम्मीदवार बन सकते है। भाजपा के हिस्से में गठबंधन में यदि यह सीट आती है जिसकी संभावना फिलहाल तो कम है तो ऐसे में वर्तमान सांसद सुनील मंेढे, डा. परिणय फुके, विजय शिवणकर, विजय रहांगडाले आदि के दावे सामने आ सकते है। लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए सरकारी मशीनरी तो हरकत में आ चुकी है। राजनितिक दलों के बड़े नेताओं के दौरे भी बढ़ने लगे है। लेकिन सबकुछ दोनों प्रमुख गठबंधनों के उम्मीदवार के चयन पर निर्भर होगा। राजनिती में किस समय क्या समीकरण बनेंगे, बिगडेंगे? कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन यह तय है कि आगामी लोकसभा चुनाव गोंदिया-भंडारा सीट पर दिलचस्प होगा और सारे विदर्भ का ध्यान आकर्षित करेंगा। इसमें कोई दो मत नहीं है। 

Tags:    

Similar News