फसल: धान को छोड़ दूसरी फसलों में किसानों का नहींं रूझान
कृषि विभाग की योजनाएं भी नहीं आ रही काम
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। गाेंदिया जिले के एक बड़े हिस्से में सिंचाई की व्यवस्था होने के कारण पानी की उपलब्धता होने पर किसानों द्वारा खरीफ मौसम के साथ ही ग्रीष्मकालीन रबी मौसम में भी फसलों का उत्पादन लिया जाता है। शासन की ओर से किसानों के लिए परंपरागत धान की खेती के बजाए उन्हें अन्य नगद फसलों की ओर अग्रसर करने के लिए अनेक योजनाएं कृषि विभाग के माध्यम से चलाई जा रही हैं। इसके बावजूद जिले के किसान धान की फसल को छोड़ अन्य फसलों के उत्पादन की ओर उत्साहित नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि उन्हें धान की पैदावार के दौरान कई बार आसमानी संकटों से जूझना पड़ता है।
रबी फसल का मौसम शुरू हो चुका है एवं जिले में लगभग 50 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फसल लगाई जाती है। जिसमें से 75 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र पर अभी किसान धान की फसल लगाने को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 11 दिसंबर तक जिले में 662 हेक्टेयर क्षेत्र में ज्वारी, 795 हेक्टेयर में गेहंू एवं 742 हेक्टेयर में मक्के की फसल लगाई गई है। इसके अलावा 3 हजार 809 हेक्टेयर में चना, 2620 हेक्टेयर में लखोडी, 292 हेक्टेयर में मटर, 297 हेक्टेयर में उड़द, 211 हेक्टेयर में मूंग, 237 हेक्टेयर में पोपट की फसल लगाई गई है। तिलहन की बात करें तो अब तक 327 हेक्टेयर में करडी, 1085 हेक्टेयर में अलसी, 694 हेक्टेयर में सरसों, 9 हेक्टेयर में तील, 4 हेक्टेयर में सूर्यमुखी की फसल लगाई गई है। इसके अलावा 658 हेक्टेयर में सब्जियां एवं 418 हेक्टेयर में मिर्च की फसल लगाई गई है। कृषि विभाग द्वारा धान के अलावा अन्य फसलों के लिए कुल 24 हजार 940 हेक्टेयर क्षेत्र का नियोजन किया गया था। जिसमें से अब तक 14 हजार 357 हेक्टेयर में उपरोक्त फसलें लगाई गई है।
खरीफ की तरह ही ग्रीष्मकालीन रबी मौसम में भी अधिकांश किसान अनेक संकटों का सामना करने के बावजूद धान का उत्पादन ही करते है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि यदि फसलों को बदल-बदलकर लगाया जाए तो उत्पादन भी अच्छा होता है और जमीन का प्रकार भी सुधरता है। अनेक नगद फसलें किसानों को अच्छी आर्थिक आय दिला सकती है। लेकिन जिले के किसान अधिकाधिक क्षेत्र में धान की फसल को ही प्राथमिकता देते है। हालांकि यह बात भी सही है कि धान के उत्पादन के लिए ही गोंदिया जिले को जाना जाता है। लेकिन यदि गर्मी के मौसम में किसान अन्य फसलें पूरक व्यवसाय के रूप में ले तो निश्चित रूप से उन्हें इसका लाभ मिल सकता है।