गोंदिया: चने की फसलों पर मंडरा रहा लीपहॉपर्स का खतरा, कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी

  • 8 हजार 52 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल लगाए जाने का लक्ष्य था
  • अधिकांश स्थानों पर फूल आने की अवस्था

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-29 13:39 GMT

डिजिटल डेस्क, गोंदियाजिले में इस वर्ष रबी मौसम में 8 हजार 52 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया था। जबकि प्रत्यक्ष में 5 हजार 708 हेक्टेयर में चने की फसल लगाई गई है। वर्तमान में चने की फसल कुछ स्थानों पर वृद्धि की अवस्था में तथा अधिकांश स्थानों पर फूल आने की अवस्था में है। इस दौरान इस फसल पर घाट कीड़ा (लीपहॉपर्स) का प्रकोप होने की संभावना बनी रहती है। यह कीड़ा चने की फसल का प्रमुख कीट है और इस कीट की मादा कीट पत्तियों, नई टहनियों, कलियों और फूलों पर अंडे देती है, जो दिखने में खसखस के दाने जैसे दिखाई पड़ते हैं।

इनसे दो से तीन दिनों में कीड़ा बाहर आ जाता है। यह कीड़ा पत्तियों पर मौजूद हरित पदार्थ को खा जाता है, जिससे पत्तियां पहले पीली एवं बाद में सूखकर गिर जाती हैं।थोड़े बड़े कीड़े पत्तियों के साथ ही तनों को भी खा जाते हैं, जिसके बाद पेड़ पर केवल शाखाएं रह जाती हैं। विकसित लार्वा फल्लियों में छेद करते हैं और अंदर के बीजों को खा जाते हैं। जिसे देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों के लिए एडवायजरी जारी करते हुए इसके प्रकोप से बचने के उपाय बताए हैं। कृषि विभाग ने कहा है कि लीपहॉपर्स के कीड़ों को बगुले, ब्लू बर्ड जैसे पक्षी फसल में से निकालकर फसलों को नियंत्रित करते हैं।

अत्याधिक कीटनाशकों का छिड़काव किया गया तो उसकी गंध के कारण पक्षी खेत में नहीं आते, इसलिए कीटनाशक के अधिक प्रयोग से बचना चाहिए। किसानों को अपनी फसल की निगरानी करनी चाहिए एवं कीटनाशक का छिड़काव 40 से 50 प्रतिशत फुल आने के बाद करना चाहिए। इसके लिए निंबोली अर्क का उपयोग किया जा सकता है।

दूसरा छिड़काव कुछ समय के अंतर के बाद करना चाहिए, ताकि चने की फसल सुरक्षित रह सके। यह जानकारी जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी हिंदूराव चव्हाण ने दी है।



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