अनदेखी: स्ट्रक्चरल ऑडिट में हो रही ढिलाई, पुंडकर समेत कई जिप सदस्य हुए आक्रामक
- मिनी मार्केट की 21 दुकानों के नए करार
- किराया वृद्धि में टालमटोल
डिजिटल डेस्क, अकोला। स्थानीय सिविल लाइन चौक स्थित मिनी मार्केट की 21 दुकानों का करार खत्म हो चुका है। ऐसा होने पर भी नए करार तथा किराया वृद्धि को लेकर टालमटोल जारी है। नए करार और किराया वृद्धि के लिए स्ट्रक्चरल ऑडिट का निर्णय जिला परिषद ने लिया था, लेकिन महीनों बाद भी स्ट्रक्चरल ऑडिट का मुहूर्त नहीं निकल पाया है। निर्माण विभाग पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए गजानन पुंडकर समेत जिला परिषद सदस्यों ने अधिकारियों को आड़े हाथों लिया। वाशिम की संस्था से जल्द से जल्द ऑडिट करवा लेने के लिए प्रयास करने की बात निर्माण विभाग के अधिकारियों ने कही। अकोला जिला परिषद के राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज सभागृह में बुधवार दोपहर 1 बजे स्थायी समिति की सभा का आयोजन किया गया। सभा में जिला परिषद अध्यक्ष संगीता अढाऊ, उपाध्यक्ष सुनील फाटकर, जिला परिषद सीईओ वैष्णवी बी, अतिरिक्त सीईओ विनय ठमके, सभापति माया नाईक, आम्रपाली खंडारे, संगीता रोकडे, रिजवाना परवीन समेत स्थायी समिति सदस्य तथा अधिकारी उपस्थित थे। आचार संहिता की वजह से दूसरे क्रमांक का विषय तीन वर्ष से अधिक समय से बिल प्रलंबित होने से धारा 45 को लेकर मंजूरी के विषय को हटाया गया। बाद में जिप सदस्यों ने विविध विषयों पर चर्चा का सिलसिला शुरू किया।
अनुपालन न होने से अधिकारियों पर बरसे सदस्य
जिला परिषद की सभाओं में चर्चा होती है, कई निर्णय लिए जाते हैं, लेकिन अनुपालन नहीं किया जाता। जिप सदस्य चंद्रशेखर चिंचोलकर, ज्ञानेश्वर सुलताने तथा गजानन पुंडकर ने अधिकारियों पर निशाना साधा गया। जिप सीईओ वैष्णवी बी के कामकाज पर भी सदस्यों ने नाराजगी जताई।
पुरानी सभाओं में उठे मुद्दों तथा पुराने जांच प्रकरणों में ब्यौरा पेश करने पर भी कार्रवाई न किए जाने के मुद्दे पर संबंधित महकमों के अधिकारियों पर जिप सदस्यों ने सवालों की बौछार की। गलत तरीके से नियुक्ति किए जाने के मामले में ब्यौरे के आधार पर पातूर गुट विकास अधिकारी द्वारा कार्रवाई किया जाना अपेक्षित था, लेकिन अधिकारी द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। सदस्यों द्वारा रोष व्यक्त किए जाने पर बीडीओ ने गुरुवार को कार्रवाई पूरी करने का आश्वासन दिया। इसी प्रकार ग्रामसेवक की नियुक्ति, कोल्हापुरी बांधों पर गेट लगाने पर भी पानी इकट्ठा न होने, एनआरएचएम अंतर्गत पीएचसी को उपलब्ध निधि के हिसाब, जलकिल्लत निवारण के कार्य, विशेष विशेषज्ञ शिक्षकों का मुद्दा सभागृह में गूंजा।