अकोला: बालविवाह रोकना हर नागरिक की जिम्मेदारी- चाकणकर
- पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने महिला आयोग आपके द्वार अभियान
- बालविवाह रोकना हर नागरिक की जिम्मेदारी
डिजिटल डेस्क, अकोला. राज्य के हर कोने में महिलाओँ तक पहुंचने और उनकी शिकायतों का निवारण करने के महिला आयोग आपके द्वार की पहल शुरू की। इसके मद्देनजर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर गुरुवार को पहुंची थी। उनके द्वारा ली गई जनसुनवाई में 169 शिकायतें प्राप्त हुई। महिला सुरक्षा के लिए बनाए विभिन्न प्रावधानों, नियमों और कानूनों के पालन के लिए प्रशासन सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। जिलाधिकारी कार्यालय क्षेत्र के नियोजन भवन में आयोजित जनसुनवाई रुपाली चाकणकर की उपस्थिति में हुई। इस दौरान राज्य महिला आयोग की सदस्य आभा पांडे, कलेक्टर अजीत कुंभार, बाल अधिकार आयोग के सदस्य एड. संजय सेंगर, अति. मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनय ठमके, विधिक सेवा प्राधिकरण सलाहकार जोशी, उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजश्री कौलखेड़े, निवासी उप कलेक्टर विजय पाटिल, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी गिरीश पुसदकर, पुलिस निरीक्षक भाऊराव घुगे, गिरीश देवकर और अन्य उपस्थित थे।
जनसुनवाई के बाद चाकणकर की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों की बैठक आयोजित की गई। इस दौरान पुलिस अधीक्षक संदीप घुगे, मुख्य कार्यकारी अधिकारी वैष्णवी बी. एवं विभिन्न विभागों के प्रमुख उपस्थित रहे। चाकणकर ने कहा, प्रदेश के कोने-कोने से न्याय का इंतजार कर रही पीड़ित महिलाएं सीधे इस कार्यालय में आकर शिकायत नहीं कर पा रही हैं. इसके लिए राज्य महिला आयोग प्रदेश के हर जिले में सीधे जाकर महिलाओं की समस्याओं का समाधान करने का काम कर रहा है। हाल ही में घरेलू हिंसा के साथ-साथ ऑनलाइन अपराधों में भी वृद्धि हुई है। जिसको लेकर नए-नए सवाल उठ रहे हैं. अत: यह हम सभी का दायित्व है कि परिवार व्यवस्था को सुरक्षित रखते हुए ऐसी स्थिति निर्मित करें कि समस्याए उत्पन्न न हों। विवाह पूर्व परामर्श, साथ ही लड़कियों को कर्तव्यदक्ष बनाने के लिए प्रोत्साहन, समाज में बाल विवाह, पारिवारिक विवाद, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज हत्या, कार्यस्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न, साइबर अपराध, मानव तस्करी आदि विभिन्न प्रकार की शिकायतों का महिला आयोग लगातार समाधान कर रहा है।
यह मिली शिकायतें
जनसुनवाई में विशेषज्ञों एवं सदस्यों के तीन पैनल बनाए गए थे। उन्हें शिकायतों में वैवाहिक एवं पारिवारिक के 98 मामले, सामाजिक 27, वित्तीय, संपत्ति 3-3, कार्यस्थल उत्पीड़न 6 एवं अन्य 32 जैसी कुल 169 शिकायतें सुनवाई हेतु प्राप्त हुईं। कुछ शिकायतों का निपटारा पीड़ित दम्पति के समक्ष ही कर दिया गया। बाकी शिकायतों को संबंधित विभाग को वर्गीकृत कर दिया गया। कानूनी स्वयंसेवक, कानूनी अधिकारी, परामर्शदाता, जिला संरक्षण अधिकारी, तालुका संरक्षण अधिकारी, सामाजिक कार्य महाविद्यालय के छात्र, स्वयंसेवी संगठन, महिला शिकायत निवारण कक्ष के पुलिस अधिकारी और कर्मचारी सहित महिला एवं बाल विकास कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
बाल विवाह को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। यदि यह पाया जाता है कि बाल विवाह हो रहा है और गलत उम्र रिकॉर्ड पाया जाता है, तो सभी संबंधित व्यक्तियों पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए। सख्त कदम उठाने पर ही बाल विवाह पर अंकुश लगेगा। जिले में बाल विवाह की रोकथाम के लिए प्रयास एवं जनजागरूकता की जाए।