सतर्कता: जिला बाल संरक्षण कक्ष ने बाल विवाह रोका, 15 वर्षीय किशोरी का कराया जाने वाला था
- 15 वर्षीय किशोरी के विवाह की जानकारी पर पुलिस चौकन्नी
- संरक्षण कक्ष ने बाल विवाह रोका
- दो वर्ष सजा, एक लाख जुर्माने का प्रावधान
डिजिटल डेस्क, अकोला. जिला बाल संरक्षण कक्ष की कार्यवाही में बार्शीटाकाली तहसील के एक गांव में एक बाल विवाह रोका गया। अब माता-पिता ने लिखित में दिया है कि वे लड़की की शादी तब तक नहीं करेंगे जब तक वह 18 साल की नहीं हो जाती। जिला बाल संरक्षण कक्ष को मंगलवार 20 फरवरी को सूचना मिली कि बार्शीटाकाली तहसील के निंभारा गांव में एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की की शादी होने की जानकारी मिली।
इसके बाद विभाग की ओर से टीम तुरंत निंभोरा भेजी गई। बाल विवाह होने की पुष्टि होने के बाद टीम ने लड़की के माता-पिता से मुलाकात की और बताया कि अगर लड़की 18 वर्ष से कम उम्र की है और वे शादी करते हैं, तो उन पर बाल विवाह अधिनियम, 2006 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। इसके बाद लड़की के माता-पिता ने लिखित में दिया कि जब तक वह 18 साल की नहीं हो जाती, वे उसकी शादी नहीं करेंगे। इसलिए इस बाल विवाह को रोका गया।
इस अवसर पर संरक्षण अधिकारी सुनील सरकटे, सचिन घाटे, काउंसलर शंकर वाघमारे, शुभांगी लाहुडकर, सरपंच नीलेश खरात आदि उपस्थित थे। जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी गिरीश पुसदकर, बाल संरक्षण अधिकारी राजू लाडुलकर ने मार्गदर्शन दिया।
शादी के लिए लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल होनी चाहिए। बाल विवाह कानूनन अपराध है और इसके लिए दो साल की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। यदि बाल विवाह होता पाया जाए तो जिला बाल संरक्षण सेल या टोल फ्री नंबर 1098 पर सूचित करने का अनुरोध पुसदकर ने किया है।
अधिसूचना के अनुसार, ग्रामीण स्तर पर ग्राम सेवकों और शहरी स्तर पर बाल विकास प्रकल्प अधिकारी को बाल विवाह रोकथाम अधिकारी के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई है।