अभियान: राजेंद्र सिंह ने कहा - नदियों को अमृतधारा बनाने सामूहिक प्रयास करें, लिया जायजा
- चला जाणूया नदीला अभियान को लेकर जायजा बैठक
- नदियों को अमृतधारा बनाने सामूहिक प्रयास की जरूरत
- राज्य स्तरीय समिति के विशेष सदस्य राजेंद्र सिंह राणा ने की अपील
डिजिटल डेस्क, अकोला। पर्यावरण में नदी का स्थान अद्वितीय है। हर किसी को इसकी समझ और अंतर्दृष्टि विकसित करने की जरूरत है। सभी लोग अपनी जिम्मेदारी निभाएं और ‘चला जाणूया नदीला’ अभियान के माध्यम से नदियों को अमृतधारा बनाकर अभियान को सफल बनाए, ऐसी अपील अभियान के राज्य स्तरीय समिति के विशेष सदस्य राजेंद्र सिंह राणा ने की है। स्थानीय जिलाधिकारी कार्यालय के नियोजन भवन में अभियान के तहत डाॅ. राजेंद्र सिंह राणा की मौजूदगी में समीक्षा बैठक हुई। इस अवसर पर वे बोल रहे थे।
कृषि विश्वविद्यालय के सुधीर राठौड़ सहित कई अधिकारी उपस्थित
राज्य समिति के सदस्य नरेन्द्र चुग, श्री. कुलकर्णी, अभियान समन्वयक अरविंद नलकांडे, प्रमोद सरदार, निवासी उपजिलाधिकारी विजय पाटिल, वन संरक्षक रामास्वामी, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय के सुधीर राठौड़ सहित कई अधिकारी उपस्थित थे। डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा, राज्य सरकार इस अभियान को काफी गंभीरता से देख रही है। अभियान को क्रियान्वित करने के लिए संस्थाओं को हरसंभव प्रयास करते हुए अधिक से अधिक जनभागीदारी भी प्राप्त करनी चाहिए।
ग्रामीण स्तर पर जागरूकता पैदा करने की जरूरत
ग्रामीण स्तर पर जागरूकता पैदा करें और नदी को अमृत वाहिनी करने के लिए ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित करें। महाराष्ट्र में नदी महोत्सव के साथ-साथ 75 नदियों का पुनरुद्धार भी खुशी की बात है। इस मुहिम को जलबिरादरी का पूरा समर्थन है। नदियों के प्रदूषण को रोकने, उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए यह जांचना जरूरी है कि हम नदी के साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं। उन्होंने अपील की कि पर्यावरण और नदी से प्रेम करना जरूरी है।
नदी तटों एवं तालाबों पर वृक्षारोपण करना जरूर
विभिन्न योजनाओं के माध्यम से नदियों का गहरीकरण, चौड़ाईकरण, गांव का गंदा पानी व घनकचरा व्यवस्थापन आदि विषयों पर मुख्य रूप से उपाय किए जाने चाहिए तथा पर्यावरण की दृष्टि से नदी तटों एवं तालाबों पर वृक्षारोपण किया किया जाए।