कर्नाटक चुनाव में मात खा चुकी बीजेपी की मध्यप्रदेश में क्या होगी नई रणनीति? आलाकमान को लेने होंगे कड़े फैसले

कर्नाटक चुनाव में मात खा चुकी बीजेपी की मध्यप्रदेश में क्या होगी नई रणनीति? आलाकमान को लेने होंगे कड़े फैसले
  • चुनावी हार खतरे की घंटी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस को बहुमत से मिली जीत के बाद देशभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है। वहीं पार्टी के तमाम दिग्गज नेता कर्नाटक जीत के बूस्टर डोज को अपने अपने राज्यों में होने वाले आगामी चुनावों में भुनाना चाहते है। वहीं कर्नाटक चुनाव में मिली हार से बीजेपी के नेता सबक लेकर नई रणनीति बनाने में जुट गए है।

मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कर्नाटक की जीत कार्यकर्ताओं और बजरंग बली की जीत है और ऐसी ही जीत मध्य प्रदेश में दोहरायी जाएगी। कमलनाथ के इस बयान पर बीजेपी के किसी भी नेता ने प्रतिक्रिया देना उचित नहीं समझा, और तमाम बीजेपी नेता चुप्पी साधे रहें। जबकि इस साल के अंत में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश भी शामिल है।

अब मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए ये कहा जा रहा है कि कर्नाटक में मिली हार से बीजेपी ने क्या सबक लिया, जबकि कुछ माह बाद मप्र में विधानसभा चुनाव है। ऐसे में ये बीजेपी नेताओं की खामोशी बहुत कुछ कह रही है।

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी साल में 1000 रूपए वाली लाडली बहना योजना की घोषणा की, जिससे पार्टी कुछ उम्मीद कर रही है। लेकिन कमलनाथ ने इसके सामने डेढ़ हजार रुपये वाली नारी सम्मान योजना, और पांच सौ रुपये में गैस सिलेंडर के वादे ने शिवराज मामा की ढाई करोड़ मतदाता बहनों को भटकाने का काम तो कर दिया है।

बीजेपी में बूथ लेवल तक कार्यकर्ताओं की जमावट को पार्टी नेताओं के विरोधी स्वर चैंलेज कर रहे है। पार्टी में कई नेता संगठन के खिलाफ खड़े होते नजर आ रहे है। कई बीजेपी नेताओं ने तो पार्टी बदलने की सोच रखी है। कईयों ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। ये सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। सत्ता और संगठन में समन्वय की कमी देखने को मिल रही है।

सीएम चौहान और प्रदेश अध्यक्ष शर्मा अपने लेवल पर सत्ता और संगठन में समन्वय बनाने की कोशिश कर रहे है। लेकिन जिस हिसाब से होना चाहिए वैसा नहीं दिख रहा। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते समय रहते अगर इस खाई को नहीं पाटा गया तो उसके भविष्य में परिणाम भुगतने पड़ सकते है। इसका फीडबैक तो पार्टी आलाकमान के पास भी पहुंच गया है।

कर्नाटक और मध्यप्रदेश दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने कांग्रेस की सरकार को पलटकर सरकार बनाई। दोनों ही राज्यों में ऑपरेशन लोटस चला। कर्नाटक में चुनावी प्रचार के दौरान बीजेपी सरकार पर 40% भ्रष्टाचार कमीशन के आरोप लगे, हालांकि ऐसे आरोप मध्यप्रदेश में नहीं लगे, लेकिन सरकार उलटफेर करने का आरोप बीजेपी पर चुनावी प्रचार के दौरान लगाने की कांग्रेस और कमलनाथ पूरी कोशिश करेंगे। अब देखना ये होगा कि कांग्रेस के इस आरोप का जवाब बीजेपी कैसे देंगी। ये चुनावी दौरान ही पता चलेगा।

दूसरी तरफ कर्नाटक में बीजेपी सरकार के ऊपर चार साल पुरानी एंटी इनकंबेंसी थी, वहीं मध्यप्रदेश में अठारह साल पुरानी। कर्नाटक में भी डबल इंजन सरकार के ढोल बजाकर विकास के गीत गाए गए। यही हाल मध्य प्रदेश में भी है।

कर्नाटक में बीजेपी ने सीएम भी बदले ,लेकिन ऐसा मध्यप्रदेश में नहीं हुआ, जबकि कुछ समय पहले अटकलें चली थी, लेकिन अब उन पर विराम लग गया है। कर्नाटक में चुनाव हारने के बाद बीजेपी आलाकमान मध्यप्रदेश में इस पर दोबारा विचार कर सकता है। हालांकि शिवराज कैबिनेट में फेरबदल करने का प्रस्ताव अभी भी पेंडिग में है। कर्नाटक में चुनाव हारने के बाद इस पर भी कभी भी मुहर लग सकती है।

कर्नाटक में मिली हार के बाद मध्यप्रदेश में भी खतरे की घंटी बज चुकी है, इससे निपटने के लिए सत्ता संगठन में कड़े निर्णय पार्टी आलाकमान लेने होंगे।

Created On :   16 May 2023 8:15 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story