सीधी के सियासी समीकरण, चारों विधानसभा सीटों पर होता है बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला

सीधी के सियासी समीकरण,  चारों विधानसभा सीटों पर होता है बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला
  • कांग्रेस का गढ़ सीधी
  • बीजेपी को बागी से उठाना पड़ा था नुकसान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के सीधी जिले में चार विधानसभा सीट चुरहट,सीधी, सिहावल,धौहनी शामिल है। कुछ माह बाद मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले है, इसे लेकर प्रदेश की जनता के मन में सीधी जिले की चारों विधानसभाओं के बारे में जानने की इच्छा है। हम यहां आपको सीधी जिले की चारों विधानसभा सीटों के सियासी समीकरण और चुनावी हार जीत के बारे बताएंगे।

सीधी विधानसभा सीट

मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। इस बार सीधी विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता तय करेगी। सीधी के सियासी समीकरण की बात की जाए तो पिछले तीन विधानसभा चुनावों 2018,2013,2008 में यहां से बीजेपी ने जीत दर्ज की है। वहीं 2003,1998, और 1993 में कांगेस ने जीत हासिल की। 1990 और 19985 में बीजेपी तो 1980 में कांग्रेस और 1977 में जेएनपी प्रत्याशी ने चुनाव जीता था।

पिछले तीन चुनावों में बीजेपी को मिली जीत से इसे बीजेपी का गढ़ कहा जा रहा है, लेकिन उससे पहले यहां कांग्रेस भी भारी मतों से जीतती आ रही थी। अब एक बार फिर कांग्रेस जीत को लालायित है। सीधी सीट पर कब कौन बाजी मार जाए , ये जनता का मूड तय करता है।

2018 में बीजेपी के केदारनाथ शुक्ला

2013 में बीजेपी के केदारनाथ शुक्ला

2008 में बीजेपी के केदारनाथ शुक्ला

2003 में कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार

1998 में कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार

1993 में कांग्रेस के पतिराज सिंह

1990 में बीजेपी के अमर सिंह

1985 में बीजेपी के अन्नथ सिंह

1980 में कांग्रेस के पतिराज सिंह

1977 में जेएनपी में जगन्नाथ सिंह

चुरहट विधानसभा सीट

सीधी जिले की चुरहट विधानसभा सीट कांग्रेस का मजबूत किला है, जिसे भाजपा 2018 के विधानसभा चुनाव में दरकाने में सफल रही थी। चुरहट से 20साल से कांग्रेस के नेता अजय सिंह ही चुनाव जीतते आ रहे है। चुरहट सीट पर ओबीसी मतदाताओं का प्रतिशत करीब 70 फीसदी है। जो हार जीत में निर्णायक भूमिका अदा करते है। यहां अन्य जातियों के वोटरों की आबादी है।

2018 में बीजेपी के शारदेन्दु तिवारी

2013 में कांग्रेस के अजय अर्जुन सिंह

2008 में कांग्रेस के अजय अर्जुन सिंह

1990 में बीजेपी के तिलकराज सिंह

सिहावल विधानसभा सीट

सिहावल सीट कांग्रेस का मजबूत किला है, यहां कांग्रेस के पक्ष में अच्छा माहौल है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट न मिलने पर नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़कर भाजपा का गणित गड़बड़ाने वाले पूर्व विधायक विश्व मित्र पाठक की पार्टी में पुन वापसी को एक शुभ संकेत माना जा रहा है। बागी हुए पाठक की वजह से बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था। अब पाठक की वापसी बीजेपी के लिए उम्मीद बनकर आई है। सीट पर कमलेश्वर पटेल से पहले उनके पिता इंद्रजीत पटेल का दबदबा था।

2018 में कांग्रेस के कमलेश्वर

2013 में कांग्रेस के कमलेश्वर

2008 में बीजेपी के विश्वमित्र पाठक

धौहानी विधानसभा सीट

सीधी जिले की धौहनी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। सीट पर गोंड और बैगा समुदाय के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। धौहनी सीट पिछले चार विधानसभा चुनावों से बीजेपी के पास है और यहां से बीजेपी के मौजूदा विधायक कुंवर सिंह टेकाम लगातार 15 साल से इलाके का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यहां ब्राह्मण और क्षत्रिय मतदाता भी है, जो सीट के समीकरण को तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

2018 में बीजेपी के कुंवर सिंह टेकाम

2013 में बीजेपी के कुंवर सिंह टेकामट

2008 में बीजेपी के कुंवर सिंह टेकाम

2003 में बीजेपी के छत्र पाटी सिंह

1998 में कांग्रेस के पंजाब सिंह

1993 में जेडी के छत्रपति

1985 में कांग्रेस की जगवा देवी

1980 में कांग्रेस की जगवा देवी

1977 में जेएनपी से सोमेश्वर सिंह

Created On :   27 Jun 2023 12:36 PM GMT

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