विंध्य में वर्चस्व की लड़ाई, चुनाव को देखते हुए दलों ने बनाई रणनीति
- विंध्य में बीजेपी का वर्चस्व
- विंध्य में 24 विधानसभा सीट
- रीवा की आठ सीटों पर भाजपा का कब्जा
- बसपा और आप की बढ़ती सक्रियता
- कब फिर बनेगा कांग्रेस का गढ़ ?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने है, चुनाव के चलते मध्य प्रदेश के पूर्वी इलाका विंध्य की चर्चा राजनीति के गलियारों में तेज होने लगी है। रीवा संभाग में रीवा , सतना , सीधी , सिंगरौली जिले आते है। हर पार्टी यहां जाति का खेल खेलती हुई नजर आ जाती है। विंध्य अंचल में 24 सीटें आती है। रीवा जिले में आठ सीटें आती है। आज हम रीवा जिले की सभी सीटों के सियासी इतिहास के बारे में जानकारी देंगे। रीवा जिले में आठ विधानसभा सीटे है, सीटों में सिरमौर,सेमरिया,त्योंथर,मऊगंज, देवतालाब,मनगवां,रीवा,गुढ़ शामिल है।
पठारी क्षेत्र में आने वाले रीवा जिले में कई जलप्रपात है, अपने जलप्रपात और सफेद बाघों के कारण रीवा हमेशा चर्चा में रहता है। रीवा जिला को सफेद बाघों की भूमि कहा जाता है। रीवा के राजनीतिक समीकरण पर गौर करें तो 2003 से पहले रीवा को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था, लेकिन 2003 के बाद से यहां कांग्रेस का क्लीन स्वीप हुआ है। 2018 के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में बीजेपी को बहुत बड़ी जीत मिली, बीजेपी रीवा की सभी आठ सीटों पर जीतने में कामयाब हुई थी, लेकिन सत्ता में उसे जगह नहीं मिली। शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने से वहां के बीजेपी कार्यकर्ता पार्टी से नाराज नजर आ रहे है।
कभी कांग्रेस का किला रहा मध्य प्रदेश का पूर्वी इलाका विंध्य अब बीजेपी की पॉवर पॉलिटिक्स का सेंटर बन गया है। समय के साथ साथ मध्य प्रदेश के राजनीतिक नक्शे में विंध्य में बीजेपी का वर्चस्व बढ़ता गया और कांग्रेस का घटता गया । यहां बीएसपी का वोट बैंक भी चुनाव दर चुनाव बढ़ता गया। यहां बीजेपी के विजय रथ की रफ्तार तेजी से बढ़ी। मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम भी रीवा से आते है। पिछली जीत से उत्साहित बीजेपी को मात देने के लिए विपक्षी पार्टियों कांग्रेस, बीएसपी , आप ने रीवा में पैर पसारना शुरू कर दिया है।
बीएसपी प्रदेशाध्यक्ष इंजी रमाकांत पिप्पल ने सप्ताहभर से रीवा में डेरा डाल रखा है, जिससे बीएसपी की लगभग सभी सीटों पर सक्रयिता बढ़ी है। बीएसपी की ओर से रीवा जिले की हर सीट पर सम्मेलन आयोजित किए जा रहे है। आप की भी इलाके में सक्रियता बढ़ रही है, 2023 में आप पार्टी भले ही चुनाव न जीते लेकिन उसने अन्य दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, छोटे दल बीजेपी और कांग्रेस का चुनावी गणित बिगाड़ रहे है। बीएसपी और आप की रीवा में बढ़ती सक्रियता बीजेपी और कांग्रेस की जीत की राह में बाधा बन सकती है। कांग्रेस ने विंध्य में 2008 में दो, 2003 में चार और 2013 में 12 सीटें जीती थी। रीवा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के भीतर गुटबाजी की खबरें खूब देखने को मिल रही है, यहां बसपा और आप की मजबूती और बढ़ती सक्रियता से कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकती है। आपको बता दें देश में बीएसपी का पहला सांसद रीवा लोकसभा क्षेत्र से मिला था। लेकिन पिछले चुनाव में बीएसपी को रीवा में एक भी सीट नहीं मिली थी। 8 विधानसभा सीटों पर बीजेपी की जीत हुई थी। हालांकि बीएसपी का वोट परसेंट यहां कम नहीं हुआ और चुनावी मौसम में बीएसपी की बढ़ती सक्रियता से यहां उसका जनाधार बढ़ा है।
रीवा विधानसभा सीट
रीवा सीट पर ब्राह्मण वर्ग के मतदाताओं का बोलबाला है। 11 फीसदी एससी, 6 फीसदी एसटी वर्ग के वोटर्स है। रीवा सीट पर राजेंद्र शुक्ला का दबदबा है। 2003 से 2018 तक के विधानसभा चुनाव में राजेंद्र शुक्ला की लगातार जीत दर्ज कर रहे है।
2018 में बीजेपी के राजेंद्र शुक्ला
2013 में बीजेपी के राजेंद्र शुक्ला
2008 में बीजेपी के राजेंद्र शुक्ला
2003 में बीजेपी के राजेंद्र शुक्ला
1998 में निर्दलीय पुष्पराज सिंह
1993 में कांग्रेस से पुष्पराज सिंह
1990 में कांग्रेस से पुष्पराज सिंह
1985 में जेएनपी प्रेमलाल मिश्रा
1980 में कांग्रेस से मुनी प्रसाद
1977 में जेएनपी प्रेमलाल मिश्रा
सेमरिया
सेमरिया में 46 फीसदी मतदाता सामान्य जाति,17 फीसदी अनुसूचित जाति, 22 परसेंट ओबीसी और 13 परसेंट आदिवासी मतदाता रहते है। पिछले तीन विधानसभा चुनाव से बीजेपी यहां से लगातार चुनाव जीत रही है। 2003 और 1993 में सीपीएम प्रत्याशी ने यहां जीत हासिल की थी।
2018 में बीजेपी से केपी त्रिपाठी
2013 में बीजेपी से नीलम अभय मिश्रा
2008 में बीजेपी से अभय कुमार मिश्रा
2003 में सीपीएम के रामलखन शर्मा
1998 में कांग्रेस से राजमणि पटेल
1993 में सीपीएम से रामलखन शर्मा
1985 में कांग्रेस से राजमणि पटेल
1980 में कांग्रेस से राजमणि पटेल
1977 से जेएनपी से सीता प्रसाद शर्मा
सिरमौर विधानसभा
सिरमौर 47 परसेंट सामान्य, 17 परसेंट ओबीसी, 17 परसेंट अनुसूचित जाति ,17 परसेंट अनुसूचित जनजाति वर्ग के मतदाता है। 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी ने यहां से जीत दर्ज की थी।
2018 में बीजेपी से दिव्यराज सिंह
2013 में बीजेपी से दिव्यराज सिंह
2008 में बीएसपी कै राजकुमार उर्मालिया
1990 में जेडी के रामलखन शर्मा
मऊगंज विधानसभा
मऊगंज 18 परसेंट ओबीसी, 19 प्रतिशत एसटी, 14 प्रतिशत एससी वर्ग का मतदाता है, सामान्य वर्ग का वोट परसेंट 45 फीसदी है। यहां 50 फीसदी से अधिक वोट पिछड़े, एससी और एसटी वर्ग का है, जो चुनावी जीत में अहम भूमिका निभाता है। सीट पर ब्राह्मण और राजपूत वोट भी चुनावी खेल में खलबली पैदा करता है।
2018 में बीजेपी के प्रदीप पटेल
2013 में कांग्रेस के सुखेंद्र सिंह
2008 में बीजेएसएच से लक्ष्मण तिवारी
2003 में बीएसपी से डॉ आय एमपी वर्मा
1998 में बीएसपी से डॉ आय एमपी वर्मा
1993 में बीएसपी से डॉ आय एमपी वर्मा
1990 में कांग्रेस से उदय प्रकाश मिश्रा
1985 में बीजेपी से जगदीश तिवारी मसूरीहा
1980 में कांग्रेस के अच्युतानंद
1977 में कांग्रेस के अच्युतानंद
देवतालाब विधानसभा
देवतालाब सीट पर ओबीसी का बाहुल्य है, यहां ओबीसी कीआबादी 34 फीसदी है, जबकि 34 %सामान्य,18 %,एससी,10 %, एसटी वर्ग के मतदाता है। देवतालाब सीट पर बीएसपी मजबूत स्थिति में नजर आ रही है, पिछले चार विधानसभा चुनाव में बीएसपी देवतालाब में दूसरे नंबर पर रही है। इन विधानसभा चुनावों में बीएसपी प्रत्याशी ने बीजेपी प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी थी। 1993 और 1990 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने यहां जीत दर्ज की थी। कांग्रेस प्रत्याशी ने यहां 1985 में जीत हासिल की थी।
2018 में बीजेपी के गिरीश गौतम
2013 में बीजेपी के गिरीश गौतम
2008 में बीजेपी के गिरीश गौतम
2003 में बीजेपी के पंचू लाल प्रजापति
1998 में बीजेपी के पंचू लाल प्रजापति
1993 में बीएसपी के जयकरण साकेत
1990 में बीएसपी के जय करण साकेत
1985 में कांग्रेस के बिंद्रा
1980 में कांग्रेस से रामखेलवान
1977 में जेएनपी
मनगवां विधानसभा
ओबीसी 26 %,सामान्य 45%,, एससी 18, एसटी 9 %, वोटर है। मनगवां सीट पर बीजेपी का दबदबा है। 2018,2008,2003 में यहां से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, जबकि 2003 में बीएसपी ने विजय प्राप्त की थी। इनके अलावा यहां 1998 ,1993, 1990, 1985, 1980 ,1977 में कांग्रेस ने ही चुनाव जीते थे। 2003 से पहले मनगवां सीट कांग्रेस का गढ़ रही थी। अब की चुनाव में यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है।
2018 में बीजेपी के पंचूलाल प्रजापति
2013 में बीएसपी से शीला त्यागी
2008 में बीजेपी पन्ना बाई प्रजापति
2003 में बीजेपी के गिरीश गौतम
1998 में कांग्रेस से अजय सिंह राहुल
1993 में गोविंद प्रसाद मिश्रा
1990 में कांग्रेस से अर्जुन सिंह
1985 में कांग्रेस की चंपा देवी
1980 में कांग्रेस से चंपा देवी
1977 में कांग्रेस से लाल रूक्मणी
गुढ़ विधानसभा
15 % अनुसूचित जाति, व 11 फीसदी एसटी मतदाता है। यहां किस जाति का प्रत्याशी चुनावी मैदान में है, चुनावी हार जीत के लिए यह बहुत मायना रखता है। यहां एससी और एसटी वोट हार जीत का फैसला करते है। गुढ़ विधानसभा सीट पर मुकाबला चार कोणीय नजर आता है। चुनावी मुकाबले में यहां कांटे की टक्कर होती है। इस बार पार्टियां सीट पर जीत दर्ज करने के लिए काफी जोर शोर से जुटी है।
2018 में बीजेपी के नागेंद्र सिंह
2013 में कांग्रेस से सुंदरलाल तिवारी
2008 में बीजेपी से नागेंद्र सिंह
2003 में एसपी के कृष्ण कुमार सिंह
1998 में बीएसपी की विद्यावती पटेल
1993 में निर्दलीय कृष्ण कुमार सिंह
1990 में कमलेश्वर प्रसाद द्विवेदी
1985 में कांग्रेस से नागेंद्र सिंह
1980 में कांग्रेस से राजेंद्र प्रसाद
1977 में जेएनपी से चंद्रमणी त्रिपाठी
त्योंथर में त्रिकोणीय मुकाबला
त्योंथर विधानसभा सीट पर हार जीत का फैसला जातीय समीकरण के आधार पर होता है, यहां ब्राह्मण और आदिवासी वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। कांग्रेस सीट पर जीत की राह देख रही है। आपको बता दें त्योंथर विधानसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन 1990 के बाद कांग्रेस को यहां जीत नसीब नहीं हो पाई है, त्योंथर से 2008 विधानसभा चुनाव में बीएसपी के रामगरीब कोल को जीत मिली थी। 1998,2003,2013 और 2018 में यहां बीजेपी को जीत मिली थी। इससे पहले कांग्रेस जीतती थी। त्योंथर में बीजेपी नेताओं के बीच मनमुटाव काफी देखा जा रहा है। चुनाव को देखते हुए हर दल के नेताओं ने भ्रमम करना शुरु कर दिया है।
त्योंथर में चुनावी तैयारी और समीकऱण
2018 में बीजेपी के श्यामलाल द्विवेदी
2013 में बीजेपी के पंडित रमाकांत तिवारी
2008 में बीएसपी के रामगरीब कोल
2003 में बीजेपी ते रमाकांत तिवारी
1998 में बीजेपी के रमाकांत तिवारी
1993 में जेडी के रामलखन सिंह
1990 में कांग्रेस के रमाकांत तिवारी
1985 में कांग्रेस के गरूड कुमार
1980 में कांग्रेस के श्रीनिवास तिवारी
1977 में कांग्रेस के श्रीनिवास तिवारी
Created On :   25 Jun 2023 2:06 PM IST