Water strike on Pak: 'अब बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान...', पहलगाम टेरर अटैक के बदले भारत ने दिया जोरदार झटका, सिंधु जल समझौते पर लगाई रोक

- पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार का बड़ा कदम
- 65 साल पुराने सिंधु जल समझौते को किया स्थगित
- पड़ोसी मुल्क में पैदा हो जाएगा बड़ा जल संकट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत हो गई। इस कायराना हमले के बाद भारत सरकार ने एक्शन लेते हुए कई बड़े फैसले लिए हैं। बुधवार को हुई सीसीएस की बैठक में साल 1960 में दोनों देशों के बीच हुए सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का निर्णय लिया है। पाकिस्तान की लाइफ लाइन कही जाने वाली सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी पर हिंदुस्तान का नियंत्रण होते ही वहां के लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस जाएंगे। बता दें कि पड़ोसी मुल्क की 21 करोड़ की जनसंख्या पानी की पूर्ति के लिए इन्हीं नदियों पर निर्भर रहती है।
क्या है सिंधु जल समझौता?
अब जानते हैं क्या है वो सिंधु जल समझौता जिसके स्थगित होने पर पाकिस्तान में बड़ा जल संकट पैदा हो जाएगा। सिंधु जल समझौता तत्कालीन भारतीय पीएम जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल अयूब खान के बीच कराची में सितंबर 1960 में हुआ था। 62 साल पहले सिंधु जल संधि के अंतर्गत भारत को सिंधु और उसकी सहायक नदियों से 19.5 फीसदी पानी मिलता है। वहीं पाकिस्तान लगभग 80 फीसदी पानी का यूज होता है। साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु घाटी को 6 नदियों में विभाजित करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच हर साल सिंधु जल आयोग की अनिवार्य बैठक होती है। इससे पहले पिछली बैठक मई 2022 में राजधानी नई दिल्ली में हुई थी।
इस बैठक को दोनों देशों की तरफ से सौहार्दपूर्ण बताया था। साल 1960 में हुए इस समझौते के अंतर्गत पूर्वी नदियों पर अधिकार भारत को जबकि पश्चिमी नदियों का अधिकार पाकिस्तान को दे दिया गया। इस समझौते की मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी। भारत को आवंटित 3 पूर्वी नदियां सतलज, ब्यास और रावी के कुल 168 मिलियन एकड़ फुट में से 33 मिलियन एकड़ फीट सालाना जल आवंटित किया गया है।
इन नदियों के जल का भारत द्वारा उपयोग करने के बाद पाकिस्तान को चला जाता है। वहीं, पश्चिमी नदियां जैसे कि सिंधु, झेलम और चेनाब का करीब 135 मिलियन फीट सालाना जल पाकिस्तान को दिया जाता है। इन नदियों को पानी भारत के साथ ही पाकिस्तान के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। खासकर पाकिस्तान में कृषि, उद्योग और आम जीवन की जरुरतों के लिए इसी पानी का यूज किया जाता है। ऐसे में इस समझौते का स्थगित होना पाकिस्तान बड़ा जल संकट पैदा कर सकता है।
इतिहास
साल 1947 में देश की स्वातंत्रता और बंटवारे के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद शुरु हो गया था। इसके बाद 1948 में भारत ने पाकिस्तान जाने वाले पानी को दिया, जिसकी वजह से पाकिस्तान में जल समस्या पैदा हो गए। इसके बाद साल 1949 में एक अमेरिकी विशेषज्ञ डेविड लिलियेन्थल ने इस समस्या को राजनीतिक स्तर से हटाकर टेक्निकल और व्यापारिक स्तर पर सुलझाने की सलाह दी। उसने इसके लिए दोनों देशों से विश्व बैंक से सहायता लेने की सिफारिश भी की थी।
साल 1951 में विश्व बैंक ने मध्यस्थता करना स्वीकार किया। इसके बाद करीब एक दशक तक इसको लेकर बैठकें चलती रहीं और फिर 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ। इस संधि पर तत्कालीन भारत के पीएम जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने रावलपिंडी में दस्तखत किए थे।
संधि की शर्ते 12 जनवरी 1961 से लागू हुई थीं। इसके बाद दोनों देशों के बीच करीब डेढ़ दशक से चल रहा जल विवाद खत्म हुआ। इस समझौते के तहत 6 नदियों के पानी का बंटवारा तय हुआ, जो भारत से पाकिस्तान जाती हैं। इसमें तीन पूर्वी नदी - रावी, व्यास, सतलज के पानी पर भारत को पूरा अधिकार दिया गया। बाकी बची तीन नदियां - झेलम, चिनाब और सिंधु पश्चिमी नदियों के पानी के बहाव को बिना रोके पाकिस्तान को देना था। भारत में पश्चिमी नदियों के पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
Created On :   23 April 2025 11:41 PM IST