एनडीए सरकार में शामिल हुए अजीत पवार छीन लेंगे एनसीपी नाम और चुनाव चिह्न या जाएगी विधायकी
- महाराष्ट्र सियासत में खलबली
- अजीत पवार ने शरद का छोड़ा साथ
- महाराष्ट्र में शिंदे हुए मजबूत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र राजनीति में करीब एक साल बाद फिर से खलबली मची है। शिंदे शिवसेना -भाजपा सरकार में एनसीपी के 18 विधायकों समेत शामिल होकर अजीत पवार ने शरद पवार की पॉलिटिक्स पर संकट खड़ा कर दिया है। ये ठीक उसी प्रकार है जैसे शिवसेना से अलग होकर एकनाथ शिंदे ने बीजेपी को समर्थन देकर अपनी सरकार बनाई। शिंदे के बगावत से मूल शिवसेना दो भागों में बंट गई। लेकिन एक बार फिर महाराष्ट्र की सियासत में अजीत पवार की उठापटक ने तूफान मचा दिया है। अब सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि जिस प्रकार एकनाथ शिंदे अपने साथ शिवसेना के दो तिहाई से अधिक विधायकों को लेकर आए थे, जिससे उनके साथ आए विधायकों पर दल बदल कानून नहीं लगा, और वो अयोग्य होने से बच गए। लेकिन क्या अजीत पवार अपने साथ एनसीपी के दो तिहाई से अधिक विधायक लाए है। उन्होंने डिप्टी सीएम के साथ 9 विधायकों को मंत्री पद की शपथ भी दिला दी। अगर अजीत पवार के साथ आए विधायकों पर दलबदल कानून लगता है, तो ये मानकर चलिए उनकी विधायकी खतरे में पड़ सकती है। क्योंकि एनसीपी के पास 53 विधायक है और अजीत को दल बदल कानून से बचने के लिए 36 विधायकों की जरूरत है। जो उनके पास नहीं है। ऐसे में लोकसभा स्पीकर उनकी विधानसभा सदस्यता को रद्द कर सकता है।
लेकिन सियासी फेरबदल में एक दिलचस्प मामला सामने आ रहा है कि शिंदे बीजेपी सरकार में शामिल हुए अजीत के साथ विधायक अभी भी अपने आपको एनसीपी समर्थित बता रहे है। कुछ राजनीतिक जानकार इसके पीछे की वजह विधायकों को अपनी सदस्यता खोने का डर है। और अब एनसीपी विधायकों को तोड़कर एनडीए में शामिल होने का मामला अब महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष और चुनाव आयोग तक पहुंच गया है।
एनसीपी के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को पत्र लिखकर अजित पवार समेत मंत्री पद की शपथ लेने वाले सभी नौ विधायकों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित करने की मांग की है। खबरोंं के मुताबिक पाटिल ने इस बारे में चुनाव आयोग को भी एक ईमेल भेजा है। वहीं अजीत पवार का कहना है कि हमें पार्टी के 40 से अधिक विधायकों और नौ में से छह से अधिक एमएलसी का समर्थन प्राप्त है। इन सभी विधायकों का समर्थन पत्र राजभवन को भेज दिया गया है। डिप्टी सीएम की शपथ लेने के बाद अजीत पवार ने कहा कि एनसीपी में कोई विभाजन नहीं है, हम सभी अगला चुनाव एनसीपी के नाम और चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगे। पवार ने दावा किया था कि पार्टी के सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों ने सरकार में शामिल होने के उसके फैसले का समर्थन किया है। अगर ऐसा होता है, तो इसके आगे एक सवाल फिर खड़ा होता है कि क्या शिंदे की तरह ही जिन्होंने उद्धव ठाकरे से मूल शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न छीन लिया उसी तर्ज पर शरद पवार से पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न अजीत पवार हथिया लेंगे?
Created On :   3 July 2023 4:25 AM GMT