डिजिटल डेस्क, मुंबई। सच्ची स्वतंत्रता का आशय हमेशा आत्मनिर्भरता और आत्म-पर्याप्तता से रहा है। इस स्वतंत्रता दिवस पर एण्डटीवी के सितारे आसिफ शेख (भाभीजी घर पर हैं में विभूति मिश्रा), शुभांगी अत्रे (भाभीजी घर पर हैं में अंगूरी भाबी), योगेश त्रिपाठी (हप्पू की उलटन पलटन में हप्पू), सारिका बहरोलिया (गुड़िया हमारी सभी पे भारी में गुड़िया), करम राजपाल (गुड़िया हमारी सभी पे भारी में गुड्डू), तन्वी डोगरा (संतोषी माँ सुनाएं व्रत कथाएं में स्वाति) और सारा खान (संतोषी माँ सुनाएं व्रत कथाएं में देवी पाॅलोमी) स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनने की अपनी यात्रा का उत्सव मना रहे हैं, जिसका तात्पर्य स्वतंत्र होने से है!

एण्डटीवी के भाभीजी घर पर हैं के विभूति मिश्रा, यानि आसिफ शेख ने कहा, ‘‘हमें स्वतंत्रता का पूरा मतलब तब तक समझ में नहीं आता है, जब तक कि हम कैद न हो जाएं। इस लाॅकडाउन ने मुझे स्वतंत्रता के बारे में स्कूल की किसी भी किताब से ज्यादा सिखाया है। मुझे हमेशा लगता था कि मैं आजाद हूँ, लेकिन इस कठिन दौर में मुझे समझ आया कि मैं उस स्वतंत्र व्यक्ति के आधे के करीब भी नहीं था, जैसा खुद को मानता था। इस कठिन समय में खुद को और अपने परिवार को संभालने के बाद अब मैं गर्व से कह सकता हूँ कि मैं पहले से बहुत ज्यादा स्वावलंबी हूँ। सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं!’’

एण्डटीवी के भाभीजी घर पर हैं की अंगूरी भाबी, यानि शुभांगी अत्रे ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता का मतलब उन कई चीजों से है, जिनकी हम अपने रूटीन में व्यस्त होने के दौरान अक्सर उपेक्षा कर देते हैं। स्वतंत्रता ऐसा पहलू है, जिसका हम सभी को शुक्रगुजार होना चाहिये, लेकिन यह भी सोचना चाहिये कि भीतर से स्वतंत्र अनुभव करने के लिये क्या जरूरी है। यह अनुभव तभी होता है, जब हम पेशेवर और व्यक्तिगत स्तर पर खुद काम करना शुरू करते हैं। मैं भाग्यशाली हूँ कि मुझे ऐसा परिवार मिला, जो घर के काम में मदद करता है और एक-दूसरे पर निर्भरता किसी के लिये बोझ नहीं होनी चाहिये। मुझे उम्मीद है कि इस स्वतंत्रता दिवस पर सभी अपने तरीके से आत्मनिर्भर बनेंगे और स्वतंत्रता का उत्सव उसके सही अर्थों में मनाएंगे।’’

एण्डटीवी के हप्पू की उलटन पलटन के दरोगा हप्पू सिंह, यानि योगेश त्रिपाठी ने कहा, ‘‘हम अक्सर स्वतंत्रता का मतलब जिम्मेदारियों से बचना मानते हैं, लेकिन सही अर्थों में इसका मतलब जरूरत के समय मदद का हाथ बढ़ाने से है, ताकि बोझ एक ही व्यक्ति पर न रहे। मुझे लगता है कि स्वतंत्रता किसी एक व्यक्ति का अधिकार नहीं है, बल्कि परिवार में सभी पर लागू होती है। इसलिये, मैं अपना योगदान देने की कोशिश करता हूँ, ताकि अपने आस-पास के लोगों पर निर्भर न रहूं।’’

एण्डटीवी के गुड़िया हमारी सभी पे भारी की गुड़िया, यानि सारिका बहरोलिया ने कहा, ‘‘भारत को स्वतंत्रता 1947 में मिली थी, लेकिन मुझे 2020 में मिली है, क्योंकि स्वतंत्रता का सही अर्थ मुझे इसी साल समझ में आया है। आत्मनिर्भर बनना सीखने के लिये बहुत संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन आत्मनिर्भर बनने के बाद जिन्दगी खूबसूरत हो जाती है! मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भारत के सबसे बड़े महानगरों में से एक मुंबई में खुद के दम पर रह सकूंगी! लेकिन मैं यहाँ हूँ, हर दिन खुद के दम पर बिताती हूँ, अपना खाना बनाती हूँ, किराने का सामान खुद खरीदती हूँ, अपने घर को सजाती हूँ, आदि। मेरे लिये स्वतंत्रता की इससे बेहतर परिभाषा नहीं हो सकती!’’

एण्डटीवी के गुड़िया हमारी सभी पे भारी के गुड्डू, यानि करम राजपाल ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता दिवस के उत्सव आजादी की लड़ाई जीतने के उपलक्ष्य में मनाये जाते हैं, लेकिन असली आजादी आत्मसंतोष से मिलती है। तभी आप आजाद होते हैं! मेरा सौभाग्य है कि मेरे पैरेन्ट्स ने हमेशा मुझ पर विश्वास किया। मैंने हमेशा खुद फैसले किये और कभी-कभी मुझे इसका नुकसान भी हुआ। अगर वे फैसले लेते थे, तो भी मैं ही जिम्मेदार होता था। किसी के लिये जवाबदेह न होना और अपनी गलतियों को स्वीकार करना, यही भावना आजादी है। उन सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं, जो फैसले करने की हिम्मत रखते हैं! बधाई और शुभकामनायें!’’

एण्डटीवी के संतोषी माँ सुनाएं व्रत कथाएं की स्वाति, यानि तन्वी डोगरा ने कहा, ‘‘हम सभी के लिये स्वतंत्रता की परिभाषाएं अलग-अलग हैं। मैं यही देखते हुए बड़ी हुई हूँ कि एक नौकरानी रोज हमारे लिये खाना बनाती थी, लेकिन लाॅकडाउन के दौरान खाना बनाना, सफाई करना और दादी की देखभाल करना हमारा काम हो गया था। मेरे पिता बहुत अच्छा खाना बनाते हैं, तो शुरूआत में हम उन पर निर्भर हो गये, लेकिन आखिरकार किचन की जिम्मेदारी मुझे लेनी पड़ी और मैंने चार लोगों का खाना बनाया। वह दिन बहुत खूबसूरत था! अब मैंने सभी के लिये दिन में कम से कम एक बार का खाना बनाने का फैसला किया है। जिन्दगी की छोटी-छोटी खुशियों में आजादी का मज़ा छिपा होता है। सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं!’’

एण्डटीवी के संतोषी माँ सुनाएं व्रत कथाएं की देवी पाॅलोमी, यानि सारा खान ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता की मेरी यात्रा तब शुरू हुई, जब मैंने 2007 में मिस भोपाल का खिताब जीता। हालांकि वह शुरूआत भर थी और मुझे कई बाधाओं का सामना करना था। स्वतंत्रता की यात्रा में कई चुनौतियाँ आती हैं। लेकिन एक के बाद एक उन्हें जीतने के बाद आप बेरोक हो जाते हो और फिर सच में स्वतंत्र भी। मुंबई ने मुझे स्वतंत्र होना सिखाया। इस शहर और इसके लोगों के प्रति मेरा आभार! सभी मुंबईकरों और मेरे भोपाल के लोगों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं!’’


 

Created On :   13 Aug 2020 3:51 PM IST

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