शैक्षणिक एमओयू: देश में मीडिया साक्षरता मिशन चलाये जाने की आवश्यकता: प्रो. के. जी सुरेश
- पॉजिटिव और मोटिवेशनल ख़बरों से ही भविष्य की पत्रकारिता उज्जवल होगी: प्रो. नीलिमा गुप्ता
- मीडिया संवाद श्रृंखला के तहत मीडिया साक्षरता विषय पर संवाद
- आजीविका के लिए रास्ता बनाती है मीडिया शिक्षा
- हर आम नागरिक के लिए आवश्यक मीडिया साक्षरता
डिजिटल डेस्क, भोपाल। डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संचार एवं पत्रकारिता विभाग के तत्त्वावधान में मीडिया संवाद श्रृंखला के तहत मीडिया साक्षरता विषय पर संवाद का आयोजन गौर समिति कक्ष में आयोजित किया गया. आयोजन में मुख्य अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति प्रो. के. जी. सुरेश थे एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की।
प्रो. के. जी. सुरेश ने कहा कि आज मीडिया साक्षरता की चर्चा हर जगह हो रही है। मीडिया शिक्षा और मीडिया साक्षरता में अंतर समझना जरूरी है. मीडिया शिक्षा आजीविका के लिए रास्ता बनाती है लेकिन मीडिया साक्षरता हर आम नागरिक के लिए आवश्यक है। आज न्यू मीडिया का युग है. हर व्यक्ति अपने मोबाइल यंत्र के साथ व्यस्त है। एक तरफ जहाँ न्यू मीडिया और इंटरनेट के इस्तेमाल ने लोकतान्त्रीकरण को बढ़ावा मिला है वहीं इससे कई संकट और चुनौतियां भी उत्पन्न हुई हैं. हमारे जीवन का एक बड़ा हिस्सा सोशल मीडिया से जुड़ गया है। सेल्फी और रील के बढ़ते चलन से कई गंभीर घटनाएं घट रही हैं. इंटरनेट पर फेक कंटेट की भरमार है. पत्रकारिता पेशे में गेट कीपिंग, सूचनाओं का फिल्टरेशन, पेशागत नियम एवं क़ानून, आचार संहिता अहम एवं जरूरी हिस्सा है। लेकिन नागरिक पत्रकारिता जैसे टर्म इस पेशे की अहमियत को कमजोर कर रहे हैं. एक नागरिक नए तकनीकी यन्त्र का उपयोग करके कंटेंट क्रियेटर हो सकता है, कम्युनिकेटर हो सकता है लेकिन उसे एक पेशेवर पत्रकार कहना उचित नहीं होगा।
आज ग्राउंड रिपोर्टिंग की काफी कमी है, मलइन्फॉर्मेशन, मिसइन्फॉर्मेशन, डिसइन्फॉर्मेशन तीनों चीजें अपनाई जा रही हैं. कोविड महामारी के दौरान हमने अनेकों सूचनाएं सच मानीं जिनका वास्तव में सच से दूर-दूर तक नाता नहीं था. वीडियो और फोटो मॉर्फिग, साइबर क्राइम, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से मेनुपुलेशन, आर्थिक अपराध, फेक एकाउंट इन सब में लगातार तेजी आती जा रही है. इन सबके प्रति एक जागरूकता और इनको देखने और समझने की क्षमता पैदा करने की महती आवश्यकता है. इसलिए मीडिया साक्षरता को स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए और एक मिशन के रूप में पूरे देश में इसे चलाया जाना चाहिए।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि मीडिया का मतलब अब केवल अखबार नहीं रह गया है। अब घटना घटित होने के तत्काल ही मीडिया में समाचार प्रसारित होने लगते हैं. एक समय था जब पूरी दुनिया ख़बरों के लिए सुबह अखबार का इन्तजार करती थी लेकिन अब समय बदल चुका है और लोग तत्क्षण ख़बरें देख सुन लेते हैं। आज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का ज़माना है. रोबोट तकनीक में भी मनुष्य ने बहुत प्रगति कर ली है, लेकिन इसके कई दुरूपयोग भी सामने आ रहे हैं। इसको हमें समझने की जरूरत है। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि व्यावसायिकता के इस दौर में निष्पक्षता और सच के साथ पत्रकारिता करने की आवश्यकता है। पॉजिटिव ख़बरों और मोटिवेशनल ख़बरों को प्राथमिकता देना चाहिए,तभी भविष्य की पत्रकारिता उज्जवल होगी. उन्होंने कहा कि मीडिया साक्षरता की शुरुआत हम गोद लिए हुए गाँवों से कर सकते हैं. विश्वविद्यालय के स्नातक विद्यार्थियों के लिए मीडिया साक्षरता का एक प्रश्न-पत्र भी लागू किया गया है. यह एक सकारात्मक पहल है।
कार्यक्रम का संचालन विभाग की शोधार्थी सलोनी शर्मा ने किया। विषय परिचय डॉ. अलीम अहमद खान ने दिया। अतिथि परिचय डॉ. विवेक जायसवाल ने दिया। आभार विभागाध्यक्ष प्रो. कालीनाथ झा ने व्यक्त किया. इस अवसर पर डॉ. संजय शर्मा, डॉ. रजनीश, डॉ. देवेन्द्र विश्वकर्मा, संचार एवं पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थी, शोधार्थी एवं विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के शोधार्थी उपस्थित थे।
विश्वविद्यालय और एमसीयू के बीच होगा शैक्षणिक एमओयू
संवाद कार्यक्रम में दोनों कुलपतियों ने घोषणा की कि शीघ्र ही डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के बीच शैक्षणिक समझौता किया जाएगा जिसके तहत विद्यार्थी एवं फैकल्टी एक्सचेंज भी होंगे. इसके माध्यम से विद्यार्थी तकनीकी प्रशिक्षण, शोध एवं अन्य अकादमिक गतिविधियों में भाग लेंगे।
Created On :   11 Jun 2024 7:38 AM GMT