छिंदवाड़ा: उद्योगों का जहर अब भू-गर्भ में भी पहुंचा, जहरीला हो गया पानी

उद्योगों का जहर अब भू-गर्भ में भी पहुंचा, जहरीला हो गया पानी
  • नालों से होकर कन्हान नदी में पहुंच रहा प्रदूषित जल
  • दूषित जल से मर रही है मछलियां और अन्य जलीय जीव
  • शिकायतों पर होती है सिर्फ दिखावे की कार्रवाई

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा के सौंसर में फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला पानी पर्यावरण, प्रदूषण को नुकसान पहुंचाते हुए अब भू-गर्भीय जल में भी जहर घोल रहा है। कुओं का पानी पीकर पशु बीमार हो रहे हंै। सिंचाई से फसलें खराब हो रही हंै। नालों से होकर कन्हान नदी में पहुंच रहे जहरीले पानी से मछलियां मर रही हैं। समस्या से परेशान ग्रामीण शिकायतें कर रहे हैं। स्थल निरीक्षण के पश्चात कार्रवाई कुछ कंपनियों को नोटिस जारी करने तक सिमट कर रह जाती है। समस्या को लेकर न तो प्रदूषण विभाग गंभीर है न ही स्थानीय प्रशासन।

कुछ औद्योगिक कंपनियों द्वारा खुली नाली से निकट के नाले में दूषित पानी छोड़ा जा रहा है। इससे समीपस्थ खेतों के कुओं के पानी से जहरीली दूर्गंध आने लगी है। पानी पीकर पशु बीमार पडऩे लगे हैं। किसानों ने स्थानीय प्रशासन को शिकायत की है। कार्रवाई नहीं हुई तो किसान कलेक्टर कार्यालय पांढुर्ना पहुंचे। किसानों ने बताया कि कुएं का पानी जहरीला होने की शिकायत पर प्रदूषण विभाग के अधिकारी मौके पर जरुर पहुंचे लेकिन संबंधित कंपनी पर कार्रवाई की बजाए उल्टा शिकायत वापस लेने दबाव बनाया गया। अमूमन हर शिकायत में कुछ ऐसा ही होता है। गर्मी में कन्हान नदी का प्राकृतिक जल कम होने पर नालों से होकर नदी में पहुंच रहे कंपनियों के जहरीले पानी से मछलियां मर रही है। सावंगा के दिनेश कडक़ बताते है कन्हान नदी का पानी जहरीला हो गया है, शिकायत पर अधिकारी निरीक्षण कर लौटने के बाद कपंनियों के खिलाफ कार्रवाई से हाथ खड़े कर देते हैं।

नियमों का उल्लंघन

औद्योगिक केंद्र विकास निगम में 120 कंपनियां हैं, वहीं सातनुर में तीन कंपनियां संचालित हो हैं। कंपनियों में उत्पादन के दौरान निकलने वाले ड्रेनेज वाटर को फिल्टर कर बाहर बहाना है। लेकिन यह नियम सिर्फ कागजों पर है। कंपनियां उनके यहां निकलने वाला जहरीला पानी सीधे समीप के नालों में छोड़ रहे हंै। ग्रामीणों की माने तो कंपनी से जहरीला पानी अक्सर रात के समय नालों में बहाया जाता है।

नालों में काला, झागयुक्त पानी

औद्योगिक क्षेत्र से होकर बहने वाले दो नाले बारमासी नहीं है। लेकिन पूरे साल भर इन नालों से बड़ी तादाद में काला, नीला और झागयुक्त पानी बहते रहता है। नाला किनारे के किसान बताते हैं कि उनके कुओं का पानी भी जहरीला हो गया है। तिनखेड़ा के किसान प्रकाश घंगारे बताते है कि नाले का पानी पीने से पशु मर रहे हैं।

मछलियां मरती है

फैक्ट्रियों से निकला जहरीला पानी नालों से होकर ७ किमी दूर कन्हान नदी में जाकर मिलता है। नदी का जलस्तर कम होने पर जहरीले पानी के प्रभाव से मछलियां मर जाती हैं। सावंगा, पारेघाट, मालेगांव, लोहानी से महाराष्ट्र की सीमा तक नदी में यह संकट हर साल गर्मी में आता है। समस्या से मछुआरों का रोजगार भी छीना जा रहा है।

इनका कहना है

कन्हान नदी में मछलियां मरने की शिकायत बीते तीन साल से कर रहे हंै। कंपनियों के जहरीले पानी पर रोक नहीं लगाई जा रही है। अब हम न्यायालय में जाने की तैयारी कर रहे है।

रमेश कडक़, सामाजिक कार्यकर्ता

कंपनियों से नाले में बहाएं जा रहे पानी की जांच की जाएगी। कंपनियों द्वारा नियमों का उल्लंघन करना पाया जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सिद्धार्थ पटले, एसडीएम

Created On :   6 July 2024 3:49 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story