MP का MLA : शिवपुरी विधानसभा सीट पर जीत के लिए "सिंधिया" नाम ही काफी, जानें यहां का सियासी समीकरण
- यशोधरा राजे सिंधिया ने यहां से चार बार जीत हासिल की
- महल के आगे जातिगत समीकरण फेल
- पेट के बल रेंग रहा विकास
- विधायक और जनता के बीच है दूरी
डिजिटल डेस्क, शिवपुरी। मध्य प्रदेश में शिवपुरी विधानसभा एक ऐसी सीट है जहां पार्टी और विचारधारा लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखती है। यहां पर अभी भी सिंधिया नाम ही डिसाइड करता है कि जीत किसकी होगी। पिछले 5 विधानसभा चुनावों के रुझान को देखा जाए तो यहां से चार बार यशोधरा राजे सिंधिया ने जीत हासिल की है। सिर्फ 2008 में माखन लाल राठौर को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया था। उसके बावजूद भी कांग्रेस यह सीट हार गई थी।
एमपी में शिवपुरी एक बड़े पर्यटन स्थल के रूप में अपनी पहचान रखता है। शिवपुरी कई ऐतिहासिक विरासत अपने में समेटे हुए है। यशोधरा राजे सिंधिया स्थानीय विधायक होने के साथ-साथ शिवराज सरकार में खेल मंत्री भी हैं। इसके बाद भी करीब ढाई लाख की आबादी वाले शहर को पेयजल और सीवर लाइन जैसी मूलभूत सुविधाओं से जूझना पड़ रहा है। कांग्रेस हमेशा इस बात का आरोप लगाता है कि मंत्री का क्षेत्र होने के बावजूद यहां के युवाओं को रोजगार के लिए बाहरी प्रदेशों में पलायन करना पड़ता है।
शिवपुरी विधानसभा में अगर विकास की बात की जाए को मूलभूत सुविधाओं जैसे-सड़क,पानी,बिजली,शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए लोगों को अभी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
शिवपुरी में सिंध नदी का पानी लाने की वायदे को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। अगर इस बार विधानसभा में भाजपा से और कांग्रेस से आने वाले उम्मीदवारों की बात की जाए तो भाजपा से एकमात्र नाम यशोधरा राजे सिंधिया ही हैं । वहीं पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ, हरिवल्लभ शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाना चाहते हैं। लेकिन कांग्रेस का ही एक वर्ग हरिवल्लभ शुक्ला के पक्ष में नहीं है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष विजय सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश में बदलाव की लहर है। जनता ठान चुकी है इस बार कमलनाथ में नेतृत्व में कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता सौंपना है। जहां तक कांग्रेस उम्मीदवार की बात है तो हम ऐसा चेहरा सामने लाएंगे जो न तो महल से डरेगा और ना ही दबेगा। सभी 290 पोलिंग बूथों पर चार महीने पहले एजेंट नियुक्त कर दिए जाएंगे। पिछले कई चुनावों में भाजपा यहां की जनता को सिर्फ आश्वासन की घुट्टी पिला रही है। लेकिन इस घुट्टी से जनता के अंदर अब घुटन होने लगी है।
शिवपुरी का सियासी समीकरण क्या कहता है?
शिवपुरी विधानसभा सीट के जीत पर नजर का डाला जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि सिंधिया परिवार का सिक्का यहां हमेशा से चला आ रहा है। 1980 और 1985 के चुनाव में माधव राव सिंधिया के करीबी रहे गणेश गौतम जीते। उसके बाद 1998 से यशोधरा राजे सिंधिया लगातार जीतती आ रही हैं। 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में यशोधरा राजे सिंधिया ने हरिवल्लभ शुक्ला को 7300 वोटों से हराया था। 2003 में दूसरी बार राजे ने 25 हजार से ज्यादा मतों से कांग्रेस के गणेशराम गौतम को मात दी। 2008 में बीजेपी ने माखनलाल राठौर को मैदान में उतारा। इस चुनाव में राठौर ने कांग्रेस के वीरेंद्र रघुवंशी को 1751 वोटों से हराया। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में राजे को एक बार फिर बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में राजे ने कांग्रेस के वीरेंद्र रघुवंशी को 11 हजार से ज्यादा मतों से हराया। 2018 में यशोधरा ने कांग्रेस के युवा नेता सिद्धार्थ लाडा को 28,748 वोटों से हराया।
शिवपुरी में पेट के बल रेंग रहा विकास
शिवपुरी में अगर समस्याओं की बात की जाए तो आप पाएंगे कि इस विधानसभा में जिधर भी नजर आप देखेगें अव्यवस्था मुंह बाए खड़ी नजर आएगी। शहर में पानी के समस्या के समाधान के लिए सिंध जल आवर्धन योजना शुरु की गई थी, लेकिन 140 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च करने की बाद लोगों को अब तक राहत नहीं मिल पाई है। 2016 में उद्योग मंत्री रहते हुए यशोधरा राजे सिंधिया ने फूड पार्क की नींव रखी थी। इसके लिए बड़ौदी के पास 13 हेक्टेयर जमीन को रिजर्व किया गया था, लेकिन 6 साल निकलने के बाद भी एक भी इकाई यहां पर नहीं लग पाई। सीवेज सिस्टम ना होने से लोग परेशान हैं। इसको लेकर लोगों ने कई बार प्रदर्शन भी किया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। ड्रेनेज सिस्टम ठीक ना होने से बारिश में शहर में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं।
विधायक और जनता के बीच है दूरी
यहां के लोगों की विधायक के साथ जो सबसे बड़ी नाराजगी वह यह है कि लोगों का यशोधरा राजे के साथ सीधा संवाद नहीं हो पाता है। जिससे लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है। लोगों का यहां तक कहना है कि हमारे नेता की राजनीतिक पृष्ठभूमि बहुत मजबूत होने के कारण यहां काफी बड़े-बड़े प्रोजेक्ट स्वीकृत हो जाते हैं, लेकिन इन सभी प्रोजेक्ट के धरातल पर उतरने के बाद इनकी मॉनिटरिंग उस स्तर की नहीं हो पाती जिसके कारण योजनाओं का सही परिणाम नहीं मिल पाता है। वहीं मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का कहना है कि मुझे तो बस अपने शिवपुरी को बढिय़ा बनाना है। थीम रोड का काम हो रहा है। डैम का काम करवा रहे हैं। नगरपालिका के काम शुरू हैं। किसी को हृदय रोग है। किसी को पढ़ाई के लिए पैसा चाहिए, इन्हें मदद कर मैं तो अपना कर्तव्य निभा रही हूँ। हमारे यहा स्टेडियम में भी लगातार खेल गतिविधियां चल रही हैं।
महल के आगे जातिगत समीकरण फेल
यहां पर सियासी पंडित अगर जातिगत वोटों को लेकर जीत या हार का दावा करेंगे तो उन्हें निश्चित रूप से निराशा हाथ लगेगी। क्योंकि यहां पर सिर्फ महल का ही प्रभाव देखने को मिलता है। वैसे अगर जातियों की बात की जाए तो यहां पर सबसे ज्यादा वैश्य वोटर्स हैं। दूसरे नंबर पर आदिवासी वोटर्स हैं। यहां वैश्य 50 हजार, आदिवासी 40 हजार, ब्राह्मण वोटर्स 20 हजार हैं। शिवपुरी विधानसभा सीट में कुल 2 लाख 22 हजार 539 वोटर्स हैं, जिसमें 1 लाख 24, हजार 771 पुरुष, वहीं 1 लाख 10 हजार 075 महिला वोटर्स हैं। माना जाता है कि शहरी वोटर्स जिसके पक्ष में जाता है, जीत उसी की होती है।
Created On :   17 Jun 2023 6:29 PM IST