आशियाने उजड़ गए, खेती बिखर गई, सुविधाएं नहीं मिली इसीलिए घेरा दफ्तर
डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। सौंसर विकासखंड के निर्माणाधीन मोहगांव जलाशय के डूब क्षेत्र नंदेवानी और मुंगनापार पंचायत के करीब पांच सौ किसान प्रभावित हुए हैं। डूब से बची जमीन तक पहुंचने के लिए मार्ग न बनने, विस्थापितों को मकान बनाने रकम न मिलने, बिजली, पानी, सडक़ और रोजगार के संकट की समस्या को लेकर सोमवार को छिंदवाड़ा पहुंचे ग्रामीणों ने जल संसाधन विभाग का दफ्तर घेरा। अफसर के इंतजार में घंटों तक पानी के लिए भी तरसते रहे।
पीडि़त किसानों ने बताया कि साल २०१४ में मोहगांव जलाशय के डूब क्षेत्र में ३२५ किसानों की जमीन गई थी, वहीं १७० किसान बेघर हुए थे। जमीन का मुआवजा तो मिल गया, लेकिन बची हुई जमीन तक पहुंचने के लिए ब्रिज नहीं बनाया गया। बेघरों को पहाड़ी पर चौबारा गांव में प्लाट तो दिए लेकिन मकान बनाने के लिए महज ७० हजार रुपए मिले, यहां पानी, बिजली, सडक़ की कोई व्यवस्था नहीं की गई। इन्हीं समस्याओं को लेकर लम्बे समय से शिकायत, धरना दे रहे ग्रामीण सोमवार को जलसंसाधन विभाग का घेराव करने पहुंचे थे। देर शाम पहुंची जलसंसाधन विभाग की ईई ने किसानों का नेतृत्व करने वालों से चर्चा की।
खाट पर मरीजों को ले जाते हैं अस्पताल
नंदेवानी गांव से १२ किलोमीटर दूर मोहगांव नगर परिषद है। इस बीच पक्की सडक़ नहीं है, स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है। १०८ भी नहीं पहुंच पाती है। ग्रामीण सुमरलाल धुर्वे ने बताया कि गांव में कोई बीमार हो जाता है कि खाट पर लिटाकर उसे पैदल मोहगांव ले जाना पड़ता है।
खेत देख सकते हैं जाने का रास्ता नहीं
पीडि़त ग्रामीणों का कहना है कि नंदेवानी और सरकीखापा के बीच सर्पा नदी पर मोहगांव जलाशय बना है। नंदेवानी के करीब ९० किसानों की जमीन सरकीखापा में है। ३ किलोमीटर की दूरी पर खेत तो है, लेेकिन जलाशय के उस पार जाने रास्ता नहीं है। मवेशियों को लेकर खेत जाने में करीब ७० किलोमीटर का फेरा लगाना पड़ता है। इसीलिए बीते एक साल से किसान अपने खेत दूर से देख तो पाते हैं, लेकिन खेती नहीं कर पा रहे हैं।
विस्थापित गांव चौबारा भी अंधेरे में
इस गांव में करीब १५० से ज्यादा किसानों को प्लाट देकर विस्थापित किया गया है। १ लाख २० हजार देने का वादा किया था, लेकिन अब तक ७० हजार रुपए ही दिए हैं। यहां पानी, बिजली, सडक़ की कोई व्यवस्था नहीं कराई गई। ग्रामीण तिरपाल डालकर झोपड़ी में रहने मजबूर हैं।
यह मांगे भी रखी गई
- सिंचित जमीन को असिंचित दर्शाकर दिया गया मुआवजा रिवाइज किया जाए।
- प्रभावित गांवों व विस्थापित गांव का मुख्य नगर से सुगम आवागमन के लिए सडक़ बनाई जाए।
- खेतों तक पहुंचने के लिए ब्रिज बनाने की मांग की गई।
Created On :   11 April 2023 12:11 PM IST