किसान आंदोलन पर अमेरिका की टिप्पणी का भारत ने जवाब दिया, सरकार ने कैपिटल हिल हिंसा से दिल्ली उपद्रव की तुलना की

After US Remarks On Farmers Protest, India Cites Capitol Hill Violence
किसान आंदोलन पर अमेरिका की टिप्पणी का भारत ने जवाब दिया, सरकार ने कैपिटल हिल हिंसा से दिल्ली उपद्रव की तुलना की
किसान आंदोलन पर अमेरिका की टिप्पणी का भारत ने जवाब दिया, सरकार ने कैपिटल हिल हिंसा से दिल्ली उपद्रव की तुलना की

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने किसान आंदोलन और किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा को लेकर अमेरिका की ओर से की गई टिप्पणी का करारा जवाब दिया है। भारत ने गणतंत्र दिवस पर किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली में हुई हिंसक घटना की अमेरिका के कैपिटल हिल में हुई घटना से तुलना की है।

भारत का कहना है कि गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को हिंसा की घटनाएं और लाल किले में तोड़फोड़ ने भारत में उसी तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की, जैसा कि छह जनवरी को अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों द्वारा कैपिटल हिल पर हुई हिंसा के बाद देखने को मिला था।

अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने बुधवार को वॉल स्ट्रीट जर्नल से कहा था, जो बाइडेन प्रशासन मानता है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी सफल लोकतंत्र की पहचान है और भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है। हम प्रोत्साहित करते हैं कि पक्षों के बीच किसी भी मतभेद को बातचीत के माध्यम से हल किया जाए।

अमेरिका ने किसानों के आंदोलन पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि वह बातचीत के जरिए दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही उन्होंने कुछ किसानों के विरोध स्थलों और इनके आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन पर भारत सरकार की आलोचना भी की।

वहीं अब गुरुवार को अपने साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने अमेरिका पर पलटवार किया है। श्रीवास्तव ने कहा कि हमने कृषि कानूनों पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की टिप्पणियों पर ध्यान दिया है।

उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को हिंसा की घटनाएं, लालकिले में तोड़फोड़ ने भारत में उसी तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की, जैसा कि छह जनवरी को अमेरिका में कैपिटल हिल घटना के बाद देखने को मिला था।

गौरतलब है कि भारत के विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत ने कहा था कि भारत की संसद ने एक सुधारवादी कानून पारित किया है, जिस पर किसानों के एक बहुत ही छोटे वर्ग को कुछ आपत्तियां हैं और वार्ता पूरी होने तक कानून पर रोक भी लगाई गई है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनके प्रतिनिधियों से सिलसिलेवार वार्ता की हैं और बातचीत में केंद्रीय मंत्री शामिल रहे हैं। पहले ही 11 दौर की वार्ता हो चुकी है। मंत्रालय के अनुसार सरकार ने कानूनों को निलंबित करने की भी पेशकश की और स्वयं प्रधानमंत्री ने यह प्रस्ताव रखा है।

इसने कहा कि निहित स्वार्थी समूहों को इन प्रदर्शनों पर अपना एजेंडा थोपने और उसे पटरी से उतारने की कोशिश करते देखना दुर्भाग्यपूर्ण है। गणतंत्र दिवस पर यह देखा गया। देश के संविधान को अपनाने वाले दिन एक राष्ट्रीय स्मारक को नुकसान पहुंचाया गया, भारतीय राजधानी में हिंसा और तोड़फोड़ की गई।

मंत्रालय ने कहा कि भारतीय पुलिस बलों ने पूरे संयम के साथ इन प्रदर्शनों को संभाला। पुलिस में कार्यरत सैकड़ों महिलाओं और पुरुषों पर हमला किया गया और कुछ मामलों में तो धारदार हथियारों से हमले किए गए और गंभीर रूप से चोट पहुंचाई गई। मंत्रालय ने यह भी कहा कि संसद ने कृषि क्षेत्र से जुड़े सुधारवादी विधेयक पारित किए हैं।

Created On :   5 Feb 2021 12:06 AM IST

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