बिहार सियासत: किसका रहेगा मिथिलांचल में दबदबा? जानें समीकरण में कौन आगे और कौन पीछे? पिछले चुनाव में किसने मारी थी बाजी

- मिथिलांचल में कुल 60 विधानसभा सीट
- पिछले चुनाव में एनडीए को मिली थी बड़ी जीत
- एनडीए और महागठबंधन की नजर मिथिलांचल पर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज है। इस बीच राज्य में मिथिलांचल को लेकर भी चर्चा तेज है। सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्ष की महागठबंधन लगातार मिथिलांचल क्षेत्र पर फोकस कर रही है। ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं कि मिथिलांचल बिहार की राजनीति में कितना महत्वपूर्ण योगदान रखता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 24 अप्रैल को मिथिलांचल के झंझारपुर से बिहार चुनाव का आगाज करने वाले हैं। सूबे के सात जिले मिथिलांचल में आते हैं। जिसमें मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी और सहरसा आते हैं। इन जिलों में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं। यह संख्या राज्य की कुल 243 सीटों का करीब 25 फीसदी है।
एक समय मिथिलांचल में आरजेडी का एकतरफा सियासी दबदबा हुआ करता था। यह इलाका ब्राह्मण बाहुल्य है। हालांकि, यहां पिछड़ा और अति पिछड़ा जाति के मतदाता हैं। बता दें कि, साल 2005 के बिहार चुनाव में एनडीए और नीतीश कुमार की पार्टी इस इलाके में बड़ी पार्टी बन कर उभरी। साल 2020 के चुनाव में एनडीए ने यहां की 60 में से 40 से ज्यादा सीटें जीती थीं।
बीजेपी जेडीयू के बिना मिथिलांचल में कुछ भी नहीं?
बीजेपी के लिए ब्राह्मण वोट काफी मायने रखते हैं क्योंकि, यह पार्टी का कोर वोट बैंक है। लेकिन इस क्षेत्र में बीजेपी को भी जेडीयू का साथ लेना पड़ता है, तब जाकर उसे ज्यादा सीटों पर जीत मिल पाती है। बगैर जेडीयू के बीजेपी गठबंधन इस क्षेत्र में बेदम दिखाई पड़ती है।
साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जेडीयू महागठबंधन की ओर से चुनाव लड़ी थी। तब बीजेपी 30 विधानसभा सीटों वाले दरभंगा प्रमंडल में तीन सीटों पर सिमट कर रह गई थी। इसके बाद बीजेपी ने इस क्षेत्र में वोट बैंक बढ़ाने के लिए काफी फोकस किया। अब देखना होगा कि इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में किस पार्टी का सबसे ज्यादा दबदबा मिथिलांचल क्षेत्र में रहता है।
Created On :   20 April 2025 5:35 PM IST