पानी को लेकर तकरार: कन्हान नदी के पानी को लेकर एमपी और महाराष्ट्र में तकरार, हमारे हिस्से से पानी लेना चाह रहे

कन्हान नदी के पानी को लेकर एमपी और महाराष्ट्र में तकरार, हमारे हिस्से से पानी लेना चाह रहे
  • मध्यप्रदेश का पक्ष: बार्डर से उठाएं अपने हिस्से का १० टीएमसी पानी, कोहटमाल में हम खुद बांध बना रहे।
  • महाराष्ट्र का पक्ष: लावाघोघरी में बांध बनाकर टनल के जरिए पानी तोतलाडोह ले जाने सहमति मांग रहा।
  • कन्हान नदी के पानी को लेकर मप्र और महाराष्ट्र में तकरार

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। कन्हान नदी के पानी को लेकर मप्र और महाराष्ट्र के बीच तकरार की स्थिति बन गई है। तकरार इसलिए कि महाराष्ट्र उसके हिस्से का पानी लावाघोघरी में बांध बनाकर लेना चाह रहा है। उसकी योजना कन्हान नदी पर लावाघोघरी के पास बांध बनाकर टनल के जरिए तोतलाडोह डेम तक पानी ले जाने की है। जबकि मप्र खुद छिंदवाड़ा सिंचाई काम्प्लेक्स के तहत लावाघोघरी से नजदीक कोहटमाल में संगम टू बांध का निर्माण कर रहा है। जिसका उद्देश्य छिंदवाड़ा-पांढुर्ना जिले की करीब ९५,३०५ हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित करना है। मप्र बार्डर पर कन्हान नदी से अपने हिस्से का पूरा १० टीएमसी पानी लेने की बात महाराष्ट्र से कह रहा है। पिछले दिनों राज्यों के इंटर स्टेट बोर्ड की बैठक में पानी को लेकर चर्चाएं हुई हैं। दोनों राज्यों के बीच एसीएस स्तर के अधिकारियों की यह वर्चुअल मीटिंग थी।

मप्र-महाराष्ट्र के अधिकारियों की कमेटी गठित की:

कन्हान के पानी को लेकर दोनों राज्य अपने अपने तर्कों के साथ अड़े हुए हैं। इंटर स्टेट बोर्ड की बैठक के बाद दोनों राज्य के जल संसाधन विभाग के चार अधिकारियों की टीम गठित की गई है। उक्त टीम में मप्र से चीफ इंजीनियर बोधी भोपाल, चीफ इंजीनियर बैन गंगा कछार, महाराष्ट्र से नागपुर के चीफ इंजीनियर और अधीक्षण यंत्री को शामिल किया गया है। उक्त कमेटी को बैठक कर हल निकालने कहा गया है।

जानिए... कन्हान नदी में कितना पानी:

- वर्ष १९७८ में सेंट्रल वॉटर कमीशन द्वारा की गई कन्हान नदी में यील्ड सर्वे यानी पानी की आवक की गणना के मुताबिक यील्ड ६० टीएमसी (थाउसेंट मिलियन क्यूबिक फीट) थी।

- वर्ष २००४ में यील्ड की पुनरीक्षित गणना सेंट्रल वॉटर कमीशन ने की। जिसमें कन्हान नदी की यील्ड ६० से घटकर महज ३९.८३ टीएमसी निकली। यानी नदी में पानी की आवक पहले की तुलना में घट गई।

समझौते के अनुसार किस राज्य को कितना पानी:

- गोदावरी ट्रिब्यूनल के वर्ष १९७८ में हुए समझौते व अनुबंध के मुताबिक महाराष्ट्र को करीब २५ फीसदी, १० टीएमसी पानी कन्हान नदी से लेना है।

- कुल ३९.८३ टीएमसी पानी महाराष्ट्र को १० टीएमसी पानी देने के बाद शेष पानी पर मप्र का अधिकार है। जिसका उपयोग अब छिंदवाड़ा सिंचाई काम्प्लेक्स के जरिए बांध बनाकर करने की तैयारी है।

हमारे हिस्से में उनका बांध बनने से हमारा बड़ा नुकसान:

- यदि महाराष्ट्र का कन्हान नदी पर सीआईसी के प्रस्तावित रामघाट और संगम टू बांध के बीच यानी लावाघोघरी के पास ३०० एमसीएम स्टोरेज का बांध बनाकर टनल से पानी ले जाने के प्रस्ताव को मान लिया जाता है तो छिंदवाड़ा-पांढुर्ना जिले को बड़ा नुकसान सहना पड़ सकता है।

- पूर्व में दिए गए प्रपोजल के अनुसार यहां बांध बनाकर महाराष्ट्र हमें सिर्फ ४ टीएमसी पानी देगा, जिससे महज २५ हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित हो सकेगी। जबकि हमारे जिले की हजारों हेक्टेयर जमीन जाएगी। जिसमें करीब १ हजार हेक्टेयर जंगल भी शामिल है।

- जबकि छिंदवाड़ा सिंचाई काम्प्लेक्स के तहत बन रहे अकेले संगम टू बांध से छिंदवाड़ा-पांढुर्ना जिले की करीब ९५,३०५ हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित हो सकेगी। पेयजल के लिए भी पानी मिलेगा साथ ही बिजली का उत्पादन भी हो सकेगा।

इनका कहना है...

कन्हान नदी पर मप्र सरकार छिंदवाड़ा सिंचाई काम्प्लेक्स के तहत बांध का निर्माण कर रही है। जबकि महाराष्ट्र हमारे रामघाट और संगम टू बांध के बीच बैराज बनाकर पानी ले जाने की बात कह रहा है। हमने उन्हें अपने हिस्से का पानी बार्डर से लेने की बात कही है।

Created On :   30 Aug 2024 6:11 PM GMT

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