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Jabalpur News: फर्जी जाति प्रमाण पत्र: टीआई पर कार्रवाई के लिए भोपाल भेजी गई 10 पेज की रिपोर्ट
- थानेदार प्रकरण में कलेक्टर ने की अनुशंसा, पुलिस ने भी शुरू की जांच
- फर्जी जाति प्रमाणपत्रों के मामले में सीजीएसटी के अधिकारी भी फंस चुके हैं।
- जिले में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने का पूरा रैकेट काम कर रहा है।
Jabalpur News: गत दिवस बुरहानपुर के थाना प्रभारी अमिताभ थियोफिलीस उर्फ अमिताभ प्रताप सिंह के फर्जी जाति प्रमाणपत्र के मामले में एसडीएम ने कार्रवाई की थी। एसडीएम की रिपोर्ट के आधार पर अब कलेक्टर ने गृह विभाग को अमिताभ प्रताप सिंह पर कार्रवाई की अनुशंसा की है। 10 पेज की जांच रिपोर्ट गृह विभाग को प्रेषित की गई है। रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि अमिताभ ने गलत तथ्य प्रस्तुत कर जाति प्रमाण पत्र बनवाकर पुलिस की नौकरी प्राप्त की थी।
अब उससे पूरे नौकरी काल में प्राप्त की गई राशि की रिकवरी हो सकती है। जिले में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने का पूरा रैकेट काम कर रहा है। पिछले दिनों इस मामले में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी। अमिताभ प्रताप सिंह के फर्जीवाड़े की शुरुआत वर्ष 1980 में उस समय हुई थी जब उसका नेपियर टाउन स्थित सेंट पॉल हायर सेकेंडरी स्कूल में एडमिशन कराया गया था। उसके दाखिला पत्र में उसका नाम अमिताभ प्रताप सिंह है और धर्म क्रिश्चियन, जबकि जाति के कॉलम में गोंड लिखवा दिया गया था।
जब इस मामलेे की जांच की गई और रांझी एसडीएम आरएस मरावी ने उसे कथन के लिए बुलाया तो अमिताभ ने कहा था कि उसके पूर्वज वर्ष 1950 में जबलपुर के आसपास ही रहते थे और वे गोंड जाति के थे। एसडीएम ने इस कथन के लिए कोई प्रमाण मांगा तो अमिताभ वह नहीं दे सका। इसी आधार पर अब कलेक्टर दीपक सक्सेना ने गृह विभाग को कार्रवाई की अनुशंसा की है।
कार्यपालन यंत्री पर फर्जीवाड़े का आरोप
ऐसा नहीं कि यह कोई पहला मामला हो। पिछले दिनों रानी अवंती बाई लोधी सागर परियोजना बरगी के एक कार्यपालन यंत्री पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने का आरोप लगाया गया था। शिकायतकर्ता ने यह आरोप लगाया है कि जिस जाति प्रमाणपत्र के जरिए उन्होंने नौकरी हासिल की है उसे अनुसूचित का दर्जा नहीं है। इस मामले में अनुसूचित जनजाति आयोग ने जांच के निर्देश दिए हैं जिस पर सहायक आयुक्त आदिवासी विकास ने पुलिस अधीक्षक और मुख्य अभियंता रानी अवंती बाई सागर परियोजना बरगी हिल्स को पत्र जारी किया है।
सीजीएसटी के अधिकारी भी फंस चुके
फर्जी जाति प्रमाणपत्रों के मामले में सीजीएसटी के अधिकारी भी फंस चुके हैं। अप्रैल 2024 में अधारताल तहसील का एक मामला सामने आया था जिसमें एसडीएम के रीडर ने सीजीएसटी के 4 अधीक्षकों के 1989 में बने आदिवासी समाज के जाति प्रमाणपत्रों को सत्यापित करने के लिए फर्जी साइन कर अधीक्षकों को जाति प्रमाणपत्र जारी कर दिए थे। इसके बाद जब सीजीएसटी के अधिकारियों ने देखा कि प्रमाणपत्रों में सील नहीं है तो एसडीएम से पत्राचार किया गया और पूरा मामला सामने आया था जिसके बाद जांच शुरू की गई।
ये मामले रहे चर्चित, जिनमें आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए
फर्जी जाति प्रमाणपत्र के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। पिछले कुछ ही दिनों के अंदर ऐसे बहुत सारे मामले सामने आए हैं।
घमापुर में ऑनलाइन सेंटर में सैकड़ों संदिग्ध दस्तावेज मिले थे जिनसे फर्जी प्रमाण पत्र तैयार हो सकते थे।
यहां कोरे दाखिला खारिज तक मिले थे। हालांकि इसकी पुलिस जांच चल रही है।
Created On :   23 April 2025 7:12 PM IST