कांग्रेस का गढ़!: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के गढ़ कोरबा में त्रिकोणीय मुकाबला, निर्णायक भूमिका में होता है एसटी वोटर्स
- कोरबा में चार विधानसभा सीट
- 2 एसटी और 2 सामान्य के लिए सुरक्षित
- ऊर्जाधानी कोरबा में त्रिकोणीय मुकाबला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी कहे जाने वाले कोरबा जिले में विधानसभा की चार विधानसभा सीट रामपुर,कोरबा,कटघोरा,पाली -तानाखार आती है। इनमें से पानी-तानाखार और रामपुर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, वहीं कोरबा और कटघोरा सामान्य वर्ग के लिए सुरक्षित है।
2018 के चुनाव में चार में से तीन सीटों पर कांग्रेस ने विजय हासिल की थी। कोरबा को कांग्रेस का मजबूत किला माना जाता है। कोरबा जिला आदिवासी बाहुल इलाका है। चुनावी साल को देखते हुए सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्ष में बैठी बीजेपी चुनावी बिसात में मोहरे बिछाने में जुट गई हैं। हाथियों का उत्पात,सड़क,शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ साथ बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। चुनाव में जिले की सभी चारों सीटों पर आदिवासी निर्णायक भूमिका में होता है।
रामपुर विधानसभा सीट
2018 में बीजेपी से ननकी राम कंवर
2013 में कांग्रेस से श्याम लाल कंवर
2008 में बीजेपी से ननकी राम कंवर
2003 में बीजेपी से ननकी राम कंवर
नवगठित छत्तीसगढ़ में राम पुर विधानसभा सीट पहली बार 2008 में अस्तित्व में आई थी। रामपुर विधानसभा सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। 70 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है। इनमें भी कंवर और राठिया समुदाय का बोलबाला है। ये दोनों ही चुनाव में किंगमेकर की भूमिका में होते है।
यहां गोंड, पहाड़ी कोरवा, बिहोर जनजाति के हैं, करीब 25 से 30 फीसदी आबादी ओबीसी और सामान्य वोटर्स की है। क्षेत्र की समस्याओं की बात की जाए तो हाथियों का उत्पात,सड़क,शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ साथ बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
कोरबा विधानसभा सीट
2018 में कांग्रेस से जय सिंह अग्रवाल
2013 में कांग्रेस से से जय सिंह अग्रवाल
2008 में कांग्रेस से जय सिंह अग्रवाल
कोरबा जिला संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल आरक्षित जिला है। लेकिन कोरबा सीट सामान्य के लिए आरक्षित है। यहां से कोई भी चुनाव लड़ सकता है। यहां सामान्य वर्ग के मतदाताओं का दबदबा है। यहां 13 फीसदी एससी,29 फीसदी एसटी आबादी है। इलाके में दर्जनभर पावर प्लांट से निकलने वाली राख और धुएं के प्रदूषण से लोग परेशान है। प्रदूषण कोरबा का सबसे बड़ा मुद्दा है। प्लांट अधिक होने के बावजूद स्थानीय लोगों के लिए रोजगार की कमी है। कई प्लांट होने के कारण देश के कई राज्यों के लोग यहां नौकरी करने आते है और स्थायी मतदाता बन जाते है।
कटघोरा विधानसभा सीट
2018 में कांग्रेस से पुरुषोतम कंवर
2013 में बीजेपी से लखनलाल देवांगन
2008 में कांग्रेस से बोधराम कंवर
2003 में कांग्रेस से बोधराम कंवर
काले हीरे का कटोरा कहे जाने वाले कटघोरा की राजनीति बड़ी दिलचस्प है। यहां के इलाके से देशभर के बिजली संयंत्र संचालित होते है। यहां से देश से चमकता है लेकिन जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है, उनके लिए ये किसी स्याह से कम नहीं है। यहां कि किसान केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ की पुनर्वास नीति के जाल में उलझ कर रह गए है। कोयले की खदान होने के चलते क्षेत्र की प्रमुख समस्या प्रदूषण है। समय समय पर कटघोरा को जिला बनाने की मांग पर जोर पकड़ती है।
पेयजल के साथ साथ शिक्षा स्वास्थ्य की बदहाल स्थिति मेंहै। यहां 70 फीसदी सामान्य और ओबीसी वोटर्स है।जबकि 30 फीसदी एसटी मतदाता है। ये 30 फीसदी आदिवासी मतदाता ही उम्मीदवार की हार जीत तय करते है। सामान्य सीट होने के बावजूद कांग्रेस यहां से आदिवासी समाज के बोधराम कंवर को ही चुनावी मैदान में उतारती थी।
पाली -तानाखार विधानसभा सीट
2018 में कांग्रेस से मोहित केरकट्टा
2013 में कांग्रेस के उइके रामदयाल
2008 में कांग्रेस से राम दयाल उइके
2003 में कांग्रेस से बोधराम कंवर
बीजेपी यहां कमजोर स्थिति में है। पिछले तीन चुनावों के नतीजों में बीजेपी यहां तीसरे नंबर पर जा रही है। विधानसभा क्षेत्र में करीब 5 फीसदी एससी और 70 फीसदी एसटी वर्ग के वोटर्स है। आदिवासी समुदाय ही यहां हार जीत तय करता है। सीट को कांग्रेस की परंपरागत सीट माना जाता है।लेकिन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की बढ़ते जनाधार ने कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है। यहां जीजीपी के टक्कर में आने से त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है। पानी में फ्लोराइड की अधिकता और शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी , हाथियों का उत्पाद,बिजली पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है।
छत्तीसगढ़ का सियासी सफर
1 नवंबर 2000 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के अंतर्गत देश के 26 वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई। शांति का टापू कहे जाने वाले और मनखे मनखे एक सामान का संदेश देने वाले छत्तीसगढ़ की सियासी लड़ाई में कई उतार चढ़ाव देखे। छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीट है, जिनमें से 4 अनुसूचित जनजाति, 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। विधानसभा सीटों की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीट है,इसमें से 39 सीटें आरक्षित है, 29 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, 51 सीट सामान्य है।
प्रथम सरकार के रूप में कांग्रेस ने तीन साल तक राज किया। राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। तीन साल तक जोगी ने विधानसभा चुनाव तक सीएम की गद्दी संभाली थी। पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी की सरकार बनी। उसके बाद इन 23 सालों में 15 साल बीजेपी की सरकार रहीं। 2003 में 50,2008 में 50 ,2013 में 49 सीटों पर जीत दर्ज कर डेढ़ दशक तक भाजपा का कब्जा रहा। बीजेपी नेता डॉ रमन सिंह का चौथी बार का सीएम बनने का सपना टूट गया। रमन सिंह 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा कार्यकाल में सीएम रहें। 2018 में कांग्रेस ने 71 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई और कांग्रेस का पंद्रह साल का वनवास खत्म हो गया। और एक बार फिर सत्ता से दूर कांग्रेस सियासी कुर्सी पर बैठी। कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत हासिल की और सरकार बनाई।
Created On :   21 Sept 2023 7:30 PM IST
Tags
- कोरबा
- छत्तीसगढ़
- छत्तीसगढ़ का कोरबा
- छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव
- विधानसभा चुनाव 2023
- छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023
- रामपुर
- कटघोरा
- पाली -तानाखार
- चुनाव समाचार
- Assembly Election
- CG Chunav 2023
- vidhasabha seats 2023 candidates
- election candidates
- Madhya Pradesh Chhattisgarh Politics
- Madhya Pradesh Chhattisgarh Political News
- Madhya Pradesh Politics
- CG Politics
- chhattisgarh election 2023
- छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023
- छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव
- chhattisgarh assembly election
- Chhattisgarh News
- Chhattisgarh Election
- Chhattisgarh Election 2023
- Chhattisgarh Elections 2023 news
- Chhattisgarh Assembly Election 2023
- Chhattisgarh Election 2023 Date
- Chhattisgarh Election 2023 Live
- Chhattisgarh Elections 2023 News
- Elections 2023
- Assembly Elections 2023
- छत्तीसगढ़ समाचार
- छत्तीसगढ़ चुनाव
- छत्तीसगढ़ चुनाव 2023
- छत्तीसगढ़ चुनाव 2023 तिथि
- छत्तीसगढ़ चुनाव 2023 लाइव
- छत्तीसगढ़ चुनाव 2023 समाचार
- चुनाव 2023
- Chhattisgarh Election Results