वामपंथी राजनीति का एक अध्याय खत्म: पश्चिम बंगाल की राजनीति का भद्रलोक, बंगाल के औद्योगीकरण का देखा था सपना

पश्चिम बंगाल की राजनीति का भद्रलोक, बंगाल के औद्योगीकरण का देखा था सपना
  • कोलकाता स्थित उनके बालीगंज स्थित पाम एवेन्यू आवास पर निधन
  • पश्चिम बंगाल में वामपंथी राजनीति का एक अध्याय खत्म
  • राजनीति के साथ साहित्य, थिएटर, सिनेमा और संगीत में थी दिलचस्पी

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का 80 वर्ष की उम्र में बृहस्पतिवार को कोलकाता स्थित उनके बालीगंज स्थित पाम एवेन्यू आवास पर निधन हो गया। उनके निधन के साथ पश्चिम बंगाल में वामपंथी राजनीति का एक अध्याय खत्म हो गया। बीते कुछ समय से वो बीमार चल रहे थे।

बंगाल में वाम मोर्चा शासन की 30वीं वर्षगांठ का जश्न कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में हुआ था। यह जून 2007 की घटना है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के संरक्षक लगभग 90 वर्षीय ज्योति बसु ने अपना भाषण काफी पहले दे दिया था, लेकिन उन्होंने मंच से हटने का कोई संकेत नहीं दिया जबकि समर्थकों ने पहले ही खचाखच भरे कार्यक्रम स्थल को छोड़ना शुरू कर दिया था।

बीबीसी के मुताबाकि उनकी पार्टी के कुछ कॉमरेड उन्हें मार्क्सवादी कम, बंगाली ज़्यादा मानते थे। उनके पहनावे और बातचीत के सलीके के चलते कुछ दूसरे कॉमरेड उन्हें भद्रलोक कहा करते थे। आर्थिक उदारवाद लागू करने और पूंजीवाद के साथ तालमेल बिठाने के चलते कुछ कॉमरेड उन्हें 'बंगाली गोर्बाचोव' भी कहते थे।1944 में जन्में बुद्धदेव भट्टाचार्य की दिलचस्पी राजनीति के अलावा साहित्य, थिएटर, सिनेमा और संगीत तक फैली हुई थी। उन्हें कहानी पढ़ने और कविता सुनने में बड़ा आनंद आता। कई मौकों पर उन्होंने पाब्लो नेरूदा की कविताओं का ज़िक्र किया।

Created On :   8 Aug 2024 12:45 PM GMT

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