क्या शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे?
डिजिटल डेस्क, तरुवनंतपुरम। तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर जब बोलते या लिखते हैं तो सभी उनकी बात सुनते हैं। यहां एक स्थानीय अखबार में उन्होंने अपनी राय रखी कि क्यों कांग्रेस के शीर्ष पद के लिए चुनाव की जरूरत है। जैसे ही उनका लेख प्रकाशित हुआ, अटकलें तेज हो गई कि वह कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। लेकिन मंगलवार को उन्होंने मीडिया को स्पष्ट करते हुए कहा: मैंने कभी नहीं कहा कि मैं चुनाव लड़ूंगा, बाकी बात बाद में करेंगे। इसके साथ ही गाड़ी में सवार होकर वो चले गए।
यह जानने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा कि क्या थरूर वास्तव में इस रेस में हैं। शीर्ष पद पर नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 30 सितंबर है। आने वाले दिनों में चीजें और स्पष्ट होने की संभावना है क्योंकि कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ी यात्रा 7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू होगी और 11 सितंबर को केरल की सीमा पर पहुंचेगी। यह 19 दिनों में 43 विधानसभा क्षेत्र और 12 लोकसभा क्षेत्रों को कवर करेगी और 453 किलोमीटर की यात्रा करेगी।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब से थरूर ने 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़ा, तब से वह कभी भी ऐसे व्यक्ति नहीं रहे, जिन्हें यहां के फ्रंटलाइन कांग्रेस नेता पसंद करते हों। और यह हर बार देखा जाता है जब वह चुनाव लड़ने आते हैं। वो 2014 और 2019 में लड़े और जीते। हर बार उनके जीतने का कारण उनका अपना व्यक्तित्व होता है। उन्हें मतदाताओं, युवाओं का वोट मिलता रहा है, और महिला मतदाता भी। 2014 के लोकसभा चुनाव में महिला मतदाताओं ने उनका साथ नहीं दिया था, क्योंकि यह उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के कुछ महीनों बाद हुआ था, जब उनकी जीत का अंतर 15,000 वोट था। लेकिन 2019 में वो फिर 90,000 से अधिक मतों के अंतर से जीते, विश्लेषक ने कहा।
विश्लेषक बताते हैं कि फिलहाल, भले ही केरल में कांग्रेस पार्टी गुटों में बंटी हुई है, गांधी परिवार के खिलाफ कोई खुला विरोध नहीं है। यह थरूर के लिए एक चिंता का विषय है कि ए.के. एंटनी, ओमन चांडी, रमेश चेन्नीथला और के. सुधाकरन (पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष) और विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन जैसे नेताओं के गांधी परिवार के खिलाफ जाने की संभावना नहीं है। अगर थरूर चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो उन्हें उस उम्मीदवार से मुकाबला करना होगा, जिसे गांधी परिवार का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इसलिए थरूर के लिए अपने पार्टी के सहयोगियों से वोट प्राप्त करना अपने निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं से वोट प्राप्त करने की तुलना में ज्यादा कठिन होगा, विश्लेषक ने आगे कहा। इसलिए यह जानने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा कि क्या थरूर वास्तव में चुनाव लड़ने जा रहे हैं या फिर वो ऐसे ही बात कर रहे थे।
(आईएएनएस)
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Created On :   30 Aug 2022 5:00 PM IST