अध्यक्ष कोई भी बने, राहुल गांधी की वन मैन हैसियत रहेगी बरकरार, अपनी रणनीति वन मैन वन पोस्ट पर कायम रहेगी कांग्रेस, गहलोत को भी बदलने पड़े सुर

अध्यक्ष कोई भी बने, राहुल गांधी की वन मैन हैसियत रहेगी बरकरार, अपनी रणनीति वन मैन वन पोस्ट पर कायम रहेगी कांग्रेस, गहलोत को भी बदलने पड़े सुर
राहुल का 'वन मैन शो' अध्यक्ष कोई भी बने, राहुल गांधी की वन मैन हैसियत रहेगी बरकरार, अपनी रणनीति वन मैन वन पोस्ट पर कायम रहेगी कांग्रेस, गहलोत को भी बदलने पड़े सुर
हाईलाइट
  • वन मैन शो
  • वन मैन वन पोस्ट के बाद आएगा वन मैन पार्टी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर की राजनीति में इन दिनों कांग्रेस के दो मुद्दों को लेकर चर्चा जोरों पर है। पहली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा देशभर में  निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा, दूसरा मुद्दा है कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर। इन दोनों ही विषय में महानायक के रूप में चर्चा सिर्फ राहुल गांधी की हो रही है। भले ही राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद की दौड़ से अपने आपको बाहर कर लिया है। लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस जिस हालातों से गुजर रही है,उसे उस हालात से उभारने के लिए राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा है। उसमें वो वन मैन शो के रूप में उभर रहे है। अमर उजाला के मुताबिक राजनीतिक विश्लेषक चंद्र कुमार श्रीवास्तव का मानना है कि जिस तरीके से राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वन मैन शो की तरह पूरे देश में चर्चा में है, वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से बड़ी हैसियत वाली चर्चा मानी जा रही है। चंद्र कुमार कहते हैं कि ऐसे में एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई भी बने, लेकिन पार्टी में बड़ी हैसियत राहुल गांधी की आने वाले दिनों में रहने वाली है। 

दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने अपनी चुनावी अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना जारी होने के बाद से कांग्रेस के भीतर विरोध के स्वर उठने लगे है। क्योंकि पहले ही पांच राज्यों की कांग्रेस यूनिट राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव पास कर हाईकमान को भेज चुकी है। लेकिन राहुल गांधी के मना करने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिन राज्यों ने प्रस्ताव पारित कर राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की सिफारिश की है, वे गहलोत का विरोध करेंगे। वहीं सांसद शशि थरूर के भी अध्यक्ष पद के लिए नोमिनेशन करने की खबरों के बीच विरोध के स्वर पहले से ही उठने लगे है क्योंकि कई दफा थरूर के स्वर पार्टी गाइडलाइन से हटकर आए थे, इसे लेकर कांग्रेस के अंदरूनी खाने में विरोध के बोल सुनाई देने लगे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ खुलकर शशि थरूर का विरोध करने लगे हैं। 

                                         

 

राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि जी 23 ग्रुप के नाराज नेताओं में शामिल मनीष तिवारी भी अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेशन कर सकते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अभी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू ही हुई है कि पार्टी के भीतर विरोधी स्वर गूंजने लगे, तब वोटिंग के दौरान ये बोल और तेज हो सकते है। ऐसे में पार्टी के भीतर नई नई खेमेबंदी उभरती हुई नजर आएंगी, उस समय राहुल गांधी ही पार्टी की खेमेबंदी को शांत कर सकते हैं।

आप इसे इस बात से समझ सकते है कि सुबह तक राजस्थान के सीएम गहलोत अपने आपको वन मैन टू पोस्ट की बात कहते कहते नहीं थक रहे थे, शाम शाम होते पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भारत जोड़ो यात्रा में मीडिया को संबोधित करते हुए इशारा कर दिया कि वन मैन वन पोस्ट ही कांग्रेस की नई रणनीति का अहम हिस्सा है। इससे साफ जाहिर होता है कि गहलोत के वन मैन टू पोस्ट से राजस्थान के कुछ नेता नाराज हुए थे। हालांकि  मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने उदयपुर महाबैठक में लिए गए निर्णयों पर कायम रखने की बात कही थी, हालांकि उन्होंने इसे विशेष छूट से राहत देने की बात भी कही थी। 

बयानों खबरों और चर्चाओं के पूरे परिदृश्य पर नजर डालें तो ये बात स्पष्ट हो जाती है कि जैसे जैसे कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पास आता जा रहा है वैसे वैसे पार्टी में नए नए फ्रंट पर अलग अलग खेमे, नए नए मोर्चे उभर रहे हैं। ऐसे में ये तय है कि अगर इस बार कोई गैर गांधी परिवार से कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनता है तो उसके लिए ढेरों चुनौतियां सामने होंगी। साथ ही जो भी नया अध्यक्ष बनेगा उसके लिए विरोधी स्वरों को शांत करना चुनौतियों से कम होगा। ऐसे में फिर राहुल गांधी वन मैन पार्टी के रूप में नजर आएंगे।

 

 

Created On :   22 Sept 2022 4:18 PM IST

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