तृणमूल की महुआ मोइत्रा ने सरकार की राजकोषीय नीतियों पर किया प्रहार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विपक्षी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने सरकार के अतिरिक्त राजस्व सृजन कदमों के ब्योरे की मांग करते हुए मंगलवार को कहा कि अनुदान की पूरक मांगों से राजकोषीय घाटा बजटीय लक्ष्य से अधिक हो जाएगा। लोकसभा में चालू वित्तवर्ष के लिए अनुदान की पूरक मांगों और 2019-20 के लिए अनुदान की अतिरिक्त मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि अनुदान की पूरक मांगों से लगभग 4.36 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय होगा।
महुआ मोइत्रा ने जानना चाहा- यह राजकोषीय घाटे को उस लक्ष्य से ऊपर ले जाने वाला है जिसका उल्लेख वित्त मंत्री ने बजट में किया है। तो सरकार के अतिरिक्त राजस्व जुटाने के उपाय क्या हैं, विशेष रूप से गैर-कर राजस्व, जो अतिरिक्त व्यय करने जा रहे हैं, ताकि हम राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों के भीतर रहें? पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर की सांसद ने कहा कि लगभग 2,000 करोड़ रुपये की पूरक मांग बड़े उद्योग के लिए है, जबकि केवल 233 करोड़ रुपये सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए है, जो औद्योगिक क्षेत्र में 90 प्रतिशत नौकरियों के लिए है। ये बहुत विकृत प्राथमिकताएं हैं।
अर्थव्यवस्था की झूठी तस्वीर पेश करने के लिए सरकार पर हमला करते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा, यह सरकार हमें हर फरवरी में विश्वास दिलाती है कि इस देश की अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी हो रही है। हम सबसे तेजी से बढ़ते, सबसे कुशल वैश्विक खिलाड़ी हैं। सभी को रोजगार मिल रहा है। हमें गैस सिलेंडर मिल रहे हैं, हमें बिजली मिल रही है, हमें पक्के घर मिल रहे हैं। यह झूठ आठ-दस महीने तक उड़ता रहता है और उसके बाद सच लंगड़ाता हुआ आता है और अब हम दिसंबर में हैं और सरकार का कहना है कि उसे बजट अनुमान से अधिक अतिरिक्त 3.26 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है।
तृणमूल सांसद ने एनएसओ के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर में 4 प्रतिशत घटकर 26 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। विनिर्माण क्षेत्र में 5.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। विनिर्माण नौकरियों का सबसे बड़ा जनरेटर है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक बनाने वाले उद्योग क्षेत्रों में से सत्रह में नकारात्मक विकास दर दर्ज की गई है। एक वर्ष के भीतर विदेशी मुद्रा भंडार में 72 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है।
महुआ ने वित्तमंत्री का हवाला देते हुए कहा कि सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान संसद में उल्लेख किया गया था कि जाहिर तौर पर उभरते बाजारों में एफआईआई का 50 प्रतिशत प्रवाह भारत में आ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह लोकसभा में विदेश राज्यमंत्री के बयान के अनुसार, लगभग दो लाख - 1,83,741 लोगों ने 2022 के पहले दस महीनों में अपनी भारतीय नागरिकता त्याग दी।
उन्होंने कहा, 2022 में यह पलायन 2014 से पिछले नौ वर्षो में इस सरकार के तहत भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की कुल संख्या को साढ़े 12 लाख से अधिक कर देता है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार कैशलेस डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाई है। नोटबंदी की घोषणा के छह साल बाद भी आपने नकली नोटों को समाप्त करने का लक्ष्य हासिल नहीं किया है। नवंबर 2016 में प्रचलन में मुद्रा 18 लाख करोड़ रुपये से दोगुनी होकर नवंबर 2022 में 32 लाख करोड़ रुपये हो गई। महुआ मोइत्रा जब बोल रही थीं, उस समय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में नहीं थीं। उम्मीद है कि वह बुधवार को अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देंगी।
(आईएएनएस)
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Created On :   13 Dec 2022 10:00 PM IST