देश के सबसे बड़े शहरी निकाय का संघर्ष 2024 आम चुनाव का तय करेगा भविष्य
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 250 वाडरें के लिए 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक बजट वाले देश के सबसे बड़े नगर निकाय के चुनाव की लड़ाई में भाजपा और आप का भविष्य दांव पर लगा है। हालांकि, नगर निगम के अंतर्गत आने वाले स्वच्छता और प्राथमिक शिक्षा के मुद्दे नियमित अंतराल पर उठते रहते हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में इन क्षेत्रों के लिए एक बड़ी राशि स्वीकृत की गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति जस की तस बनी हुई है।
स्वच्छता के लिए आवंटन 4,153.28 करोड़ रुपये है, जो निगम के कुल बजट का 27.19 प्रतिशत है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-2023 में शिक्षा के लिए 2,632.78 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। नागरिक निकाय राष्ट्रीय राजधानी में स्वच्छता और प्राथमिक शिक्षा सहित बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने में विफल रहा है।
एमसीडी के लिए आय का मुख्य स्रोत विज्ञापन राजस्व, टोल टैक्स, कार पाकिर्ंग और मोबाइल फोन टावरों से शुल्क के अलावा संपत्ति कर है। संपत्ति कर एमसीडी के राजस्व के मुख्य स्रोतों में से एक है और इसका अधिकांश हिस्सा दक्षिण दिल्ली से एकत्र किया जाता है। 2021-22 के लिए कुल संपत्ति कर संग्रह 2,032 करोड़ रुपये था और लगभग 11.50 लाख संपत्तियों ने 2021-22 के दौरान कर का भुगतान किया।
बजट में स्वच्छता के लिए 27.19 प्रतिशत राशि के आवंटन के बावजूद ऐसे कई उदाहरण हैं, जब सफाई कर्मचारी अपने वेतन में देरी या उनके बकाया का भुगतान न करने के कारण हड़ताल पर चले गए। इस साल जून में सैकड़ों सफाई कर्मचारी एमसीडी मुख्यालय के बाहर अस्थाई कर्मचारियों को बनाए रखने, वेतन भुगतान में देरी को समाप्त करने, श्रमिकों के लिए आवास, नए श्रमिकों को काम पर रखने, बोनस वितरण जैसी मांगों को लेकर एकत्र हुए थे।
अक्टूबर में एमसीडी के तहत कई सफाई कर्मचारी, जो अपनी सेवाओं को नियमित करने के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे, ने नागरिक निकाय के अधिकारियों के साथ एक समझौते पर पहुंचने के बाद विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया। संविदा और स्थायी आधार पर काम कर रहे 10 हजार से अधिक सफाई कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल का हिस्सा थे। एक अस्थायी कर्मचारी का वेतन 12,000 रुपये प्रति माह है। सूत्रों के अनुसार एमसीडी में 60 हजार सफाई कर्मचारियों में से 30 हजार से अधिक 1998 से अस्थायी आधार पर काम कर रहे हैं।
हड़ताल पर गए श्रमिकों ने एमसीडी ने 20 से अधिक वर्षों से खाली वादे किए। इस बीच हर पार्टी के घोषणापत्र में शिक्षा को प्रमुखता से शामिल किया गया। आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने स्कूलों और कचरे के पहाड़ों में सुधार करने में विफल रहने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा पर आक्रामक तरीके से निशाना साधा है। दूसरी ओर भाजपा वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार धन जारी नहीं कर विकास को रोकने के लिए दिल्ली सरकार को दोषी ठहराती रहती है।
हाल ही में एक राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) की रिपोर्ट ने कक्षा तीन के स्तर पर अपने स्कूलों के खराब प्रदर्शन पर प्रकाश डाला। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी नगर निगम को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण नवंबर 2021 में कक्षा तीन, पांच व आठ के छात्रों के लिए आयोजित किया गया था और इसके निष्कर्ष इस साल मई में जारी किए गए थे। इस दौरान कक्षा तीन के परिणामों ने नगरपालिका स्कूलों में शिक्षण और सीखने की निराशाजनक तस्वीर पेश की थी। एनएएस के अनुसार एमसीडी स्कूलों के कक्षा तीन के परिणाम भाषा, गणित और पर्यावरण अध्ययन में राष्ट्रीय औसत से नीचे था।
पूर्ववर्ती तीन नगर निकायों उत्तर, पूर्व और दक्षिण दिल्ली नगर निगमों का 22 मई को दिल्ली नगर निगम के रूप में विलय कर दिया गया। आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार और ज्ञानेश भारती ने क्रमश: नए नगर पालिका के विशेष अधिकारी और आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाला। 4 दिसंबर को होने वाला यह चुनाव अगले विधानसभा और संसदीय चुनावों के लिए भाजपा, आप और कांग्रेस की स्थिति को उजागर करेगा।
भगवा पार्टी सत्ता में बने रहने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि चुनाव में स्वच्छता मुख्य मुद्दा होगा। पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आप सरकार पर पूर्ववर्ती तीनों नगर निकायों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया और दावा किया कि उन पर 40 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। शाह ने कहा कि एमसीडी चुनावों में दिल्ली के लोगों को यह तय करना है कि वे आप-निर्भर या आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं।
(आईएएनएस)
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Created On :   13 Nov 2022 3:30 PM IST