पूर्वोत्तर के दो राज्यों से मिली सत्तारूढ़ बीजेपी को खुशी, तभी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुना दिए दो ऐसे फैसले, जीत की खुशी पड़ गई खटाई में!

The ruling BJP got happiness from two states of the North-East, only then the Supreme Court
पूर्वोत्तर के दो राज्यों से मिली सत्तारूढ़ बीजेपी को खुशी, तभी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुना दिए दो ऐसे फैसले, जीत की खुशी पड़ गई खटाई में!
लगा जोर का झटका! पूर्वोत्तर के दो राज्यों से मिली सत्तारूढ़ बीजेपी को खुशी, तभी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुना दिए दो ऐसे फैसले, जीत की खुशी पड़ गई खटाई में!

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्वोत्तर के दो राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को जबरदस्त जीत हासिल हुई है। लेकिन इधर पार्टी को बहुमत मिला तो दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका भी लगा। सुप्रीम कोर्ट ने कल यानी 2 मार्च को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक कॉलेजियम बनाई जाए। जिसमें प्रधानमंत्री, सीजेआई और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष शामिल हो। यदि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष नहीं है तो विपक्षी दलों के सबसे बड़े नेता को शामिल किया जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिंडनबर्ग मामले में गौतम अडानी की कंपनीयों पर धोखाधड़ी के लगे आरोपों की जांच करने के लिए 6 सदस्यों की टीम का गठन कर दिया और केंद्र सरकार की सिफारिश वाले नामों को खारिज कर दिया। जिसको सरकार से जोड़कर देखा जा रहा है। 

फिर से चला बीजेपी का जादू

त्रिपुरा में एक बार फिर से भाजपा की सरकार बनती हुई साफ नजर आ रही है। 60 विधानसभा सीटों वाले त्रिपुरा में बीजेपी को 33 सीटों पर जीत हासिल हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, भाजपा टीपरा मोथा पार्टी के साथ जा सकती है और दोनों मिलकर राज्य में सरकार बनाने का विचार विर्मश कर रहे हैं। बता दें कि, साल 2018 में पार्टी पहली बार त्रिपुरा की सत्ता पर काबिज हुई थी। पहले बीजेपी की ओर से बिप्लव देब को सीएम बनाया गया लेकिन बाद में माणिक साहा को प्रदेश की कमान संभालने का मौक मिला। जिनके नेतृत्व में एक बार फिर भाजपा ने बाजी मारते हुए सरकार बनाने की लाइन में लग खड़ी हुई दिक रही है।

भाजपा-एनडीपीपी ने फिर मारी बाजी

नगालैंड में एक बार फिर भाजपा बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। पार्टी एक बार फिर सीएम नेफ्यू रियो के नेतृत्व में प्रदेश की सत्ता पाने में कामयाब रही है। बीजेपी गठबंधन को 60 विधानसभा सीटों में से 38 सीटों पर जीत हासिल हुई है और एक बार फिर दोनों पार्टी मिलकर राज्य में सरकार बनाने में सफल होते हुए दिख रही हैं। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी एनपीएफ ने इस चुनाव में काफी निराशाजनक प्रदर्शन किया है। वो महज 2 सीटों पर ही सिमट गई है। ऐसा माना जा रहा था कि एनपीएफ बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी लेकिन चुनावी नतीजों ने सरा खेल बिगाड़ दिया। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल सकी है।  

पिछले चुनाव में भी रहा शानदार प्रदर्शन

साल 2018 में इस पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा ने पहली बार सरकार बनाई और एक बार फिर प्रचंड जीत के बाद सरकार बनाने जा रही है। दरअसल, नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी और भाजपा की गठबंधन की सरकार है। पिछले चुनाव में भाजपा को 12 और एनडीपीपी को 18 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में हुआ बदलाव

नॉर्थ-ईस्ट के 2 राज्यों में जीत की खुशखबरी के साथ ही बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट के 2 फैसले से करारा झटका लगा है। दरअसल, अब तक चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कैबिनेट अप्वॉइंटमेंट कमेटी की सिफारिश पर होती रही हैं, लेकिन शीर्ष अदालत ने इसमें बड़ा बदलाव किया है। एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश केएम जोसेफ की खंड पीठ ने कहा कि चुनाव आयुक्त एक स्वतंत्र रूप से काम करने वाली संस्था है। इसकी नियुक्ति अब से पीएम,सीजेआई और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष की राय से होगी। यदि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ना हो तो सबसे बड़ी पार्टी के नेता को इसमें शामिल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि जब तक सरकार इस नियुक्ति को लेकर कोई नियम नहीं बना लेती, तब तक चुनाव आयोग की नियुक्ति इसी नियम से होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई कमेटी

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आ जाने के बाद बिजनेस मेन गौतम अडानी की कंपनीयों के शेयरों में भारी गिरवाट देखी गई थी। रिपोर्ट में ये आरोप लगाए गए थे कि इन्होंने शेयर होल्डर्स के साथ धोखाधड़ी की है। इसी मामले पर विपक्षी नेता सरकार से जेपीसी या सुप्रीम कोर्ट से जांच कराने की मांग कर रहे थे। इसी को लेकर अब उच्य अदालत ने केंद्र सरकार की सिफारिश को नामंजूर करते हुए एक स्वतंत्र कमेटी का गठन कर दिया है। जिनमें 6 सदस्यों की समूह होने वाली है। हालांकि, केंद्र सरकार ने भी अपने तरफ से कमेटी बनाने के लिए कुछ सदस्यों के नाम की सिफारिश की थी लेकिन कोर्ट ने सिरे से नाकारते हुए अपनी कमेटी बनाई और इस पूरे मामले की जांच करने के लिए निर्देश दे दिए हैं। यह पूरी जांच जस्टिस एएम सप्रे के नेतृत्व में होने वाला है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से भी कहा कि वो अडानी मामले में 2 महीने के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपे। ताकि सच्चाई क्या है पता चले। वहीं इस पूरे मामले पर अडानी समूह की ओर से एक बयान आया, जिसमें कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया गया है।jjj

Created On :   3 March 2023 12:24 PM IST

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