कोलकाता में जस्टिस मंथा के खिलाफ दुष्प्रचार वाले पोस्टरों के मास्टरमाइंड का नहीं चला पता

The mastermind of the propaganda posters against Justice Mantha in Kolkata is not traced
कोलकाता में जस्टिस मंथा के खिलाफ दुष्प्रचार वाले पोस्टरों के मास्टरमाइंड का नहीं चला पता
वेस्ट बंगाल कोलकाता में जस्टिस मंथा के खिलाफ दुष्प्रचार वाले पोस्टरों के मास्टरमाइंड का नहीं चला पता

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की निंदा करने वाले पोस्टर दक्षिण कोलकाता के जोधपुर पार्क स्थित उनके आवास के सामने पाए जाने के 72 घंटे से अधिक समय बीत चुके हैं। लेकिन पुलिस आरोपियों को पता नहीं लगा पाई है।

इस संबंध में पहले ही दो प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। पहली लेक पुलिस थाने में और दूसरी हरे स्ट्रीट पुलिस थाने में। कोलकाता पुलिस के अधिकारियों द्वारा सीसीटीवी फुटेज भी प्राप्त किए गए हैं, जिसमें दो नकाबपोश जस्टिस मंथा के आवास के साथ-साथ आस-पास की दीवारों पर पोस्टर चिपकाते दिखाई दे रहे हैं। शहर के पुलिस सूत्रों ने दावा किया है कि उनके जासूस बरामद सीसीटीवी फुटेज से मिले सुरागों से इन बदमाशों को ट्रैक करने की कोशिश कर रहे हैं।

राज्य के विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि मामले में पुलिस की ओर से जानबूझकर देरी की गई है, क्योंकि इसके मास्टरमाइंड सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं। सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों जैसे पश्चिम बंगाल पुलिस के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक नजरुल इस्लाम ने इस मामले में मौजूदा बलों और खुफिया जानकारी की दक्षता पर सवाल उठाया है।

9 दिसंबर की सुबह दक्षिण कोलकाता के जोधपुर पार्क में जस्टिस मंथा के आवास और आस-पास के स्थानों की दीवारों पर ये पोस्टर चिपकाए गए देखे गए। पोस्टर्स में आरोप लगाया गया था कि जस्टिस मंथा शुभेंदु अधिकारी के पक्ष में पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहे हैं।

पोस्टरों में न्यायमूर्ति मंथा की तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी की भाभी मेनका गंभीर के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एकजुट कार्रवाई की ढाल को हटाने के उनके हालिया फैसले के लिए भी आलोचना की गई थी। स्थानीय सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि रविवार देर रात कुछ लोगों ने ये पोस्टर चिपकाए होंगे।

उसी दिन से कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकीलों के एक समूह, जिन्हें तृणमूल कांग्रेस के करीबी के रूप में जाना जाता है, ने न्यायमूर्ति मंथा की पीठ का बहिष्कार करना शुरू कर दिया, जबकि उनमें से कुछ ने अपने सहयोगियों को उनके न्यायालय में प्रवेश करने से भी रोक दिया। न्यायमूर्ति मंथा द्वारा मंगलवार को अदालत की अवमानना का नियम जारी करने और मामले में स्वत: संज्ञान याचिका दायर करने के बाद बुधवार को मामला आखिरकार सुलझा लिया गया।

 

सीबीटी

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Created On :   12 Jan 2023 2:31 PM IST

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