सपा सांसद एसटी हसन ने संसद में नीलगाय का नाम बदलने की मांग की, पश्चिमी यूपी में इनकी बढ़ती आबादी पर जताई चिंता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधान चुनाव के दौरान छुट्टा पशुओं का मुद्दा विपक्षी पार्टियों ने पुरजोर तरीके से उठाया था। विपक्षी पार्टियां दावा कर रही थीं कि मौजूदा सरकार ने इससे निपटने के लिए व्यापक कदम नहीं उठाया है। जिसकी वजह से किसानों का फसल छुट्टा जानवर चर ले रहे हैं और किसान बहुत परेशान है। हालांकि, तब यूपी सरकार अपनी बचाव में लगातार कहती आ रही थी कि गौशाला बनाकर आवारा पशुओं को रखा जा रहा है। इसी कड़ी में संसद में आज समाजवादी पार्टी के सासंद एसटी हसन ने उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में नीलगायों की मौजूदगी पर चिंता जताई हैं।
उन्होंने मंगलवार को लोकसभा में केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि नीलगायों की वजह से उत्तरप्रदेश के पश्चिमी इलाकों में फसलों की भारी तबाही हो रही हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से यह भी अपील की है कि कुछ जानवरों को मारने या पकड़ने की छूट दी जाए। जिससे फसलों की तबाही कम होगी। उन्होंने यह भी मांग की कि नीलगाय का नाम बदलकर जंगली घोड़ा कर दिया जाए जिससे इनकी पहचान में मदद मिलेगी। एसटी हसन ने यह चर्चा "वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 में भाग लेते हुए केंद्र सरकार से मांग की।
पशुओं की बढ़ती आबादी पर जताई चिंता
सपा सासंद एसटी हसन उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद से लोकसभा सदस्य हैं। वे लगातार जनता की समस्या को लेकर सरकार के सामने रखते हैं। जिससे जल्द से जल्द सरकार द्वारा जनता कि समस्या का समाधान हो सके। इस बार भी एसटी हसन ने लोकसभा में जनता की समस्या को लेकर मांग करते हुए कहा कि मेरे क्षेत्र में जानवरों द्वारा फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने बंदर का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे क्षेत्रों में बंदर भारी मात्रा में फसलों को नष्ट कर रहे हैं। इसके कारण हमारे यहां के छोटे किसान कम मात्रा में गन्ना फसल की बुआई कर रहे हैं।
एसटी हसन ने फिर कहा कि नीलगाय, बंदर और जंगली सुअर बहुत ज्यादा तादाद में पश्चिम उत्तर प्रदेश में बढ़ गए हैं। मेरा आग्रह है कि इलाको में मारने या पकड़ने की आजादी होनी चाहिए और मेरी सरकार से आग्रह है कि नीलगाय का नाम बदलकर जंगली घोड़ा कर दे तो बहुत आसानी होगी।
किसानों के लिए मुसीबत हैं नीलगाय
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी मैदानी इलाके में नीलगायों की मौजूदगी पर चिंचा जताते हुए कही कि किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई हैं। आमतौर पर ये नीलगायों की झुंड बड़ा होता हैं, ये लगभग 10 से 12 नीलगायों की मौजूदगी में पाये जाते हैं। ऐसे में जिस खेत में इनकी आमद होती है, वहां कि फसले तबाह हो जाती हैं और ये जानवरों के द्वारा फसल खाने के साथ-साथ बराबाद भी बहुत ज्यादा करते हैं। किसान नीलगायों से हर मौसम परेशान रहते हैं। प्रशासनिक स्तर पर भी इनके निपटारे के लिए कोई ठोस कदम अभी तक नही उठाया गया हैं।
Created On :   2 Aug 2022 10:39 PM IST