अकाली दल ने राजोआना की रिहाई पर यू-टर्न लेने को लेकर केंद्र की आलोचना की

SAD criticizes Center for U-turn on Rajoanas release
अकाली दल ने राजोआना की रिहाई पर यू-टर्न लेने को लेकर केंद्र की आलोचना की
रिहाई पर यू-टर्न अकाली दल ने राजोआना की रिहाई पर यू-टर्न लेने को लेकर केंद्र की आलोचना की

डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हिरासत में लिए गए सिख बलवंत सिंह राजोआना की रिहाई पर अपने रुख से यू-टर्न लेने के लिए केंद्र सरकार की निंदा की और कहा कि केंद्र इस मुद्दे पर दोहरा मापदंड अपना रहा है। अकाली दल ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच एक सामरिक समझ थी जो अब बंदी सिंह की रिहाई के रास्ते में आ रही थी।

वरिष्ठ शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने राजोआना की ओर से दायर दया याचिका के निपटारे के साथ-साथ उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के केंद्र के प्रस्ताव को लागू करने की मांग वाली याचिका को खारिज किए जाने के बाद यहां एक बयान में कहा, केंद्र सरकार ने सिख समुदाय की भावनाओं को चोट पहुंचाई है। इसने पहले 2019 में गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के अवसर पर राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने का बीड़ा उठाया और फिर निर्णय लेने से इनकार कर दिया। मार्च 2012 में शिरोमणि समिति द्वारा राजोआना की ओर से दायर दया याचिका पर इसने नानक नाम लेवा संगत को दुनिया भर में अनकहा दर्द दिया है।

इस मुद्दे पर भाजपा से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहते हुए मजीठिया ने कहा कि पंजाब भाजपा के पूर्व प्रभारी गजेंद्र शेखावत ने तख्त श्री दमदमा साहिब में मत्था टेकने के दौरान राजोआना की रिहाई के लिए एक फॉर्म पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, वही पार्टी सुप्रीम कोर्ट में बंदी की रिहाई के आड़े आ रही है, जो पवित्र तख्त का अपमान भी है। मजीठिया ने कहा, सिख समुदाय पहले से ही महसूस कर रहा था कि बिलकिस बानो के गुनहगारों की रिहाई के बाद अल्पसंख्यक होने के कारण उसके साथ भेदभाव किया जा रहा था, लेकिन जिस तरह से केंद्र ने पिछले हलफनामे में राजोआना की रिहाई को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ने की कोशिश की, इससे सिख समुदाय और भी चोट पहुंचा है।

उन्होंने कहा, सिखों ने देश की आजादी के लिए सबसे अधिक बलिदान दिया है और अब भी देश की सीमा की रक्षा कर रहे हैं। समुदाय को लगता है कि राजोआना की रिहाई से सुलह की प्रक्रिया में मदद मिलेगी और केंद्र को इसका विरोध करने के बजाय इस भावना का सम्मान करना चाहिए। मजीठिया ने कहा कि सिख समुदाय ने महसूस किया कि केंद्र 2019 में की गई गंभीर प्रतिबद्धता को बरकरार रखेगा, जब उसने घोषणा की कि राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया जाएगा और आठ अन्य सिख बंदियों को भी रिहा कर दिया जाएगा, जिन्होंने अपनी उम्रकैद की लगभग दोगुनी अवधि पूरी कर ली थी।

(आईएएनएस)

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Created On :   3 May 2023 8:30 PM IST

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