तेलंगाना में पोडू भूमि विवाद ने तूल पकड़ा, आदिवासियों ने की वन आधिकारी की हत्या

Podu land dispute flares up in Telangana, tribals kill forest official
तेलंगाना में पोडू भूमि विवाद ने तूल पकड़ा, आदिवासियों ने की वन आधिकारी की हत्या
हैदराबाद तेलंगाना में पोडू भूमि विवाद ने तूल पकड़ा, आदिवासियों ने की वन आधिकारी की हत्या

डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। तेलंगाना में पोडू भूमि को लेकर चल रहे विवाद ने मंगलावर को और तूल पकड़ लिया है। भद्राद्री कोठागुडम जिले में कुछ आदिवासियों ने एक वन अधिकारी की हत्या कर दी। रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रगोंडा वन रेंज अधिकारी (एफआरओ) चलामाला श्रीनिवास राव आदिवासियों के हलमे में बुरी तरह घायल हो गए।

इसके बाद उन्हें तत्काल इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। हालत नाजुक होने के कारण उन्हें बेहतर इलाज के लिए खम्मम के एक अस्पताल को स्थानांतरित कर दिया गया। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। श्रीनिवास राव के सिर, गर्दन और छाती पर चोटें आईं थीं।

रिपोर्ट के अनुसार, चलामाला श्रीनिवास राव पर बेंदलपाडु वन क्षेत्र में येराबोडु के पास गुट्टिकोया जनजाति के किसानों ने धारदार हथियारों से उन पर हमला किया था। आदिवासियों ने वन अधिकारी पर उस समय हमला किया था जब उन्होंने वन विभाग द्वारा लगाए गए पौधों को हटाने के लिए उनसे पूछताछ की। इस बात को लेकर दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। जैसे ही तनाव बढ़ा तो आदिवासियों ने श्रीनिवास राव पर दरांती, चाकू और अन्य धारदार हथियारों से हमला कर दिया।

श्रीनिवास राव के जमीन पर गिर जाने के बाद भी हमलावरों ने उनपर हमला जारी रखा। वहीं बेंदलापाडु अनुभाग अधिकारी रामा राव अपनी जान बचाने के लिए भागने में कामयाब रहे। रिपोर्ट के अनुसार, राव की हत्या वन अधिकारियों और आदिवासियों के बीच बढ़ती झड़पों के बीच हुई है। जोकि आदिवासियों और अन्य वन-निवासियों द्वारा खेती के तहत पोडू भूमि पर अधिकार का दावा करते हैं।

वन अधिकारियों द्वारा पोडू भूमि पर वृक्षारोपण और किसानों द्वारा उसे नष्ट करने की वजह से राज्य के कुछ आदिवासी क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई। बीते कई सालों से राज्य के कुछ हिस्सों में पोडू भूमि पर विवाद चल रहा है। आदिवासियों का दावा है कि पोडु भूमि पर वृक्षारोपण अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत गारंटीकृत उनके अधिकारों का उल्लंघन करता है।

गौरतलब है कि बीते वर्ष तेलंगाना सरकार ने लंबे वक्त से लंबित मुद्दे को हल करने के लिए एक नई कवायद शुरू की थी। इसके तहत पोडु भूमि का एक सर्वेक्षण शुरू किया और पोडू भूमि पर अधिकार का दावा करने वाले पात्र लाभार्थियों से आवेदन प्राप्त किए। आदिवासी ज्वाइंट एक्शन कमेटी का कहना है कि दशकों से पोडू भूमि पर खेती करने वाले आदिवासी किसानों को वन विभाग के द्वारा खदेड़ा जा रहा है।

हालांकि वन अधिकारियों ने इन आरोपों पर तर्क दिया कि वे वन भूमि पर वृक्षारोपण कर रहे हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधि आदिवासियों के दबाव में हैं कि वे अपने अधिकारों के लिए बोलें और वन अधिकारियों को पोडू भूमि पर कब्जा करने से रोकें।

टीआरएस से जुड़े एक आदिवासी विधायक ने साल 2020 में युद्ध की धमकी तक दे दी थी। विधायक ने आदिवासियों से कहा था कि वे वन अधिकारियों को अपने गांवों में प्रवेश करने की अनुमति न दें और यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें हिरासत में ले लें।

आदिलाबाद से बीजेपी सांसद सोयम बापू राव ने साल 2019 में आदिवासियों से कहा था कि वे पोडू भूमि पर वृक्षारोपण करने वाले वन कर्मचारियों को पीटें और भगा दें और हरित हरम के तहत पोडू भूमि में लगाए गए पौधों को भी उखाड़ फेंके।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   22 Nov 2022 7:00 PM IST

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