नागालैंड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों को राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए
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- जमीर ने मोदी को बताया हिम्मत वाला पीएम
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। दिग्गज नागा नेता एस. सी. जमीर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निर्णय लेने की उत्सुकता हमेशा एक फायदा के तौर पर देखी जानी चाहिए और नागा राजनीतिक मुद्दे का अंतिम समाधान पूरे उत्तर-पूर्व को बदल सकता है तथा यह केंद्र की एक्ट ईस्ट नीति को भी बड़ी सफलता बना सकता है। जमीर ने एक साक्षात्कार में कहा मैं हमेशा भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र को एक आर्थिक केंद्र के रूप में उभरता हुआ देखता हूं। इसलिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों को चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। शांति और एक्ट ईस्ट नीति के कार्यान्वयन के साथ हम देश के उस हिस्से में बहुत सारी आर्थिक गतिविधियां देखेंगे।
90 वर्षीय वरिष्ठ राजनेता ने कहा नागा लोगों के पास इस महान राष्ट्र के निर्माण में विकास और योगदान करने की काफी संभावनाएं हैं। विशेष रूप से हमारी युवा पीढ़ी बहुत बुद्धिमान है और उनके विचार बहुत व्यापक हैं। वे खुद को जनजातियों तक सीमित नहीं रखते हैं। वे खुद को अपने लोगों तक ही सीमित नहीं रखते हैं। लेकिन उनकी व्यापक दृष्टि पुरानी पीढ़ी से काफी अलग है। जमीर ने कहा प्रधानमंत्री पूरी तरह से स्थिति (नागा शांति वार्ता से संबंधित) को समझते हैं। वह विभिन्न कारकों से पूरी तरह अवगत हैं जो प्रक्रिया में देरी कर रहे हैं। वह पूरी प्रक्रिया के सकारात्मक पहलुओं को भी जानते हैं।
नागालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री जमीर ने छह नवंबर को प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी और दोनों नेताओं ने नागा राजनीतिक मुद्दे पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा भारत सरकार ने भारत के इस हिस्से पर ध्यान केंद्रित करने का सही फैसला किया है। इसलिए हम आगे देख रहे हैं कि पूर्वोत्तर के लोगों की युवा पीढ़ी राष्ट्र-निर्माण गतिविधियों के लिए एक प्रकार की एसेट होनी चाहिए। हम केंद्र पर निर्भर रहे हैं। लेकिन हर समय हम केंद्र पर निर्भर नहीं रह सकते। 2020 में पद्म भूषण से सम्मानित जमीर ने कहा, इसलिए, मैं कहता हूं कि नागालैंड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों को भी इस महान राष्ट्र के निर्माण में योगदान देना चाहिए।
नागा शांति प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सरकार में विद्रोह की समस्याओं को समाप्त करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए। यह अच्छा है कि वे 2015 और 2017 में नागा समूहों के साथ समझौते (ढांचे) में प्रवेश करने के लिए पहले ही सहमत हो गए। नागालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री तथा गुजरात और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल जमीर ने कहा मुझे यह पढ़कर बहुत खुशी हुई, जब प्रधानमंत्री ने 3 अगस्त 2015 को कहा कि उन्होंने भारतीय राजनीति की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए अंडरग्राउंड (भूमिगत रहते हुए विद्रोह करने वाले) के निर्णय का स्वागत किया। मुझे लगता है कि यह एक अच्छा संकेत था और इसीलिए भारत सरकार और पीएम ने इसे ऐतिहासिक कहा है। जमीर ने कहा मैं प्रधानमंत्री को स्थिति की वास्तविकताओं के बारे में बता रहा हूं और मुझे लगता है कि बेहतर होगा कि चीजों में तेजी लाई जाए। आखिर कब तक हम बातचीत कर सकते हैं। प्रधानमंत्री के कामकाज की शैली और महत्वपूर्ण निर्णय लेने के बारे में बात करते हुए जमीर ने कहा, प्रधानमंत्री में हिम्मत है, यह एक फायदा है। नागा मुद्दे की जटिलताएं हैं। मैंने कई प्रधानमंत्रियों को देखा है, लेकिन उनमें एक अच्छी गुणवत्ता है। वह निर्णय लेते हैं और यह बहुत महत्वपूर्ण है।
मोदी के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों पर एक सवाल के जवाब में वरिष्ठ नागा राजनेता ने कहा, हमारे बहुत अच्छे संबंध थे, हालांकि मैं वहां केवल पांच महीने के लिए था। हम अच्छे दोस्त थे। जब मैं 2009 में गुजरात का राज्यपाल बना, तो मैंने उनसे कहा, मैं एक पूर्व मुख्यमंत्री हूं, इसलिए मैं एक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी जानता हूं। इसलिए राज्यपाल के रूप में मैं कभी हस्तक्षेप नहीं करूंगा। मेरी भूमिका तभी सामने आएगी, जब आप संविधान का उल्लंघन करेंगे। मुझे खुद राज्यपाल का हस्तक्षेप पसंद नहीं था, इसलिए मैंने भी कभी हस्तक्षेप नहीं किया। जमीर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) द्वारा नियुक्त कुछ राज्यपालों में से एक थे, जिन्हें 2014 के बाद प्रधानमंत्री मोदी की सरकार द्वारा भुवनेश्वर राजभवन में पद पर बने रहने की अनुमति दी गई थी।
उन्होंने केंद्र और नागा उग्रवादी समूहों के बीच 1997 में शुरू हुई लंबी बातचीत पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा नागा लोग इंतजार कर रहे हैं और बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। जमीर ने नागा मुद्दे के जल्द समाधान को लेकर कहा मुझे लगता है कि हर चीज की एक सीमा होती है। जब उत्साह होता है, तो मुझे लगता है कि निर्णय लेना बेहतर है। क्योंकि जब करी तैयार होती है, तो आप वास्तव में इसका आनंद ले सकते हैं और गर्म होने पर ही इसका सही आनंद लिया जा सकता है। लेकिन जब यह ठंडी हो जाती है और बासी हो जाती तो शायद ही कोई होगा जो करी का आनंद ले पाएगा। इसलिए मुझे लगता है कि इससे पहले कि यह ठंडी हो जाए। उन लोगों द्वारा करी को साझा किया जाना चाहिए, जिन पर प्रधानमंत्री द्वारा बनाई गई करी को साझा करने की जिम्मेदारी है।
(आईएएनएस)
Created On :   8 Nov 2021 4:01 PM IST