दिल्ली सरकार वादे करने के बावजूद महिलाओं की उपेक्षा करती है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, तदर्थ शिक्षकों, नर्सों, डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शनों को नजरअंदाज किया और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए बातचीत शुरू करने की जहमत नहीं उठाई। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि महिला दिवस पर दिल्ली की महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान, अलग-थलग और उपेक्षित महसूस करती हैं, क्योंकि केजरीवाल सरकार की नीतियां और कार्यक्रम सभी महिला विरोधी रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उदार शराब नीति की मुख्य शिकार महिलाएं थीं, क्योंकि उन्हें पिता, भाइयों, पति और पुत्रों सहित परिवार के सदस्यों के बीच शराब की लत का खामियाजा भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा, कांग्रेस महिलाओं को शासन में उचित प्रतिनिधित्व देने वाली एकमात्र राजनीतिक पार्टी थी और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल निर्भया मामले को भुनाकर सत्ता में आए, लेकिन केजरीवाल सरकार के तहत महिलाओं को सबसे खराब स्थिति का सामना करना पड़ा, जैसा कि नहीं हुआ। पिछले आठ वर्षों में केवल महिलाओं के खिलाफ यौन हमले और अपराध बढ़े हैं, महिलाओं को भी कोविड -19 महामारी की तबाही और मूल्य वृद्धि के कारण पीड़ा का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने कोविड -19 की मौत और विनाश से पैदा हुई संकट से निपटने के लिए गृहिणियों को कोई वित्तीय सहायता नहीं दी। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में हाल ही में मतदान हुआ था, वहां हर महिला को 1,000 रुपये देने का वादा करने वाले ने विडंबना यह है कि दिल्ली में विधवा पेंशन बंद कर दी है। इसके अलावा महिलाओं के लिए अन्य कठिनाइयां पैदा की हैं, जैसे कि उन्हें राशन कार्ड से वंचित करना और उनके पुनर्वास के लिए इन-सीटू योजना के तहत फ्लैट, जो जेजे क्लस्टर में रहते हैं।
(आईएएनएस)
Created On :   8 March 2022 9:00 PM IST