राहुल गांधी यात्रा में बिजी, प्रियंका गांधी के दौरे भी कम, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओं की अनदेखी के चलते हालात खराब, बीजेपी को मिलेगा फायदा!
डिजिटल डेस्क, शिमला। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। आगामी 12 नवंबर को एक ही चरण में चुनाव होना है। बीजेपी जहां सत्ता में बने रहने के लिए ताकत झोंक रही है तो वहीं कांग्रेस सत्ता में वापसी करना चाह रही है। प्रदेश के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि राज्य में हर विधानसभा चुनाव में सरकार बदल जाती है लेकिन इस बार भाजपा दोबारा सत्ता पर काबिज होना चाहती है। इसके लिए वह पूरे दमखम के साथ चुनावी कैंपेन कर रही है। वहीं कांग्रेस इस समय पार्टी में आपसी खेमेबीजी व अंदरूनी कलह से जूझ रही है। जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
आपसी नेताओं के टकराव ने बढ़ाई मुसीबत
बताया जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश में भले ही चुनाव सिर पर हो लेकिन कांग्रेस में राज्य के नेताओं और शीर्ष नेतृत्व के बीच समन्वय नहीं बन पा रहा है। इसी को लेकर राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का कुछ दिन पहले बयान भी आया था। उन्होंने कहा था कि राज्य के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी व प्रियंका गांधी समय नहीं दे रहे हैं।
राहुल गांधी नहीं आएंगे हिमाचल
अबकी बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी दूरी बनाए रहेंगे। राज्य के कई नेताओं ने राहुल गांधी से निवेदन किया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रचार के लिए स्टार प्रचारक के तौर शामिल हों। लेकिन राहुल गांधी इसके लिए तैयार नहीं हैं। चुनाव की घोषणा वाले दिन प्रियंका गांधी हिमाचल आई थीं, लेकिन वह अधिक समय तक प्रदेश में नहीं रुकीं। बताया जा रहा कि कांग्रेस पार्टी के बड़े युवा नेता पार्टी छोड़ सकते हैं। इनमें निगम भंडारी, यदुपति ठाकुर, और सुरजीत सिंह के नाम शामिल हैं। खबरें ये भी सामने आ रही हैं कि अगर जो नेता टिकट की उम्मीद कर रहें हैं और उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे भी पार्टी छोड़ सकते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस के अंदर आगे उठापटक देखने को मिल सकती है।
आज प्रत्याशियों के नाम की हो सकती है घोषणा
सोमवार को कांग्रेस पार्टी प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर सकती है। बताया जा रहा कि कांग्रेस में टिकट वितरण के बाद एक बार फिर से गुटबाजी देखने को मिल सकती है। कुछ नेता पार्टी छोड़ बागीगुट में शामिल हो सकते है। गौरतलब है कि इस बार कांग्रेस पार्टी राज्य में बिना वीरभद्र सिंह के चुनाव में उतरेगी। साथ ही इस चुनाव में राष्ट्रीय नेताओं को चुनाव प्रचार से भी दूर रखा गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि राज्य कांग्रेस की मुसीबत बढ़ सकती है। वहीं प्रदेश में पार्टी की सोशल मीडिया रणनीति भी इतनी प्रभावशाली नहीं है। बताया जा रहा है कि पार्टी की तरफ से जिला स्तर पर जो लोग सोशल मीडिया काम-काज जो देख रहे थे।अब उन्होंने भी अब काम करना बंद कर दिया है।
Created On :   17 Oct 2022 7:22 PM IST