त्रिपुरा ,नागालैंड और मेघालय विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करना पड़ सकता है कई चुनौतियों का सामना, कहीं TMC तो कहीं अपने नेता ही बनेंगे पार्टी के लिए मुसीबत!

Big challenge for BJP in Tripura, Nagaland and Meghalaya
त्रिपुरा ,नागालैंड और मेघालय विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करना पड़ सकता है कई चुनौतियों का सामना, कहीं TMC तो कहीं अपने नेता ही बनेंगे पार्टी के लिए मुसीबत!
विधानसभा चुनाव 2023 त्रिपुरा ,नागालैंड और मेघालय विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करना पड़ सकता है कई चुनौतियों का सामना, कहीं TMC तो कहीं अपने नेता ही बनेंगे पार्टी के लिए मुसीबत!
हाईलाइट
  • बीजेपी के लिए सत्ता हासिल करना बड़ी जिम्मेदारी

डिटिजल डेस्क, नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने बुधवार को त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में विधानसभा चुनावों की तारीख तय कर दी है। त्रिपुरा में 16 फरवरी को मतदान होंगे। वहीं मेघालय और नागलैंड में 27 फरवरी को चुनाव होने वाले हैं। तीनों राज्यों में 2 मार्च को मतगणना होगी। बीजेपी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर तैयारियां तेज कर दी है। लेकिन बीजेपी के लिए ये डगर पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में आसान नहीं होने वाली है। त्रिपुरा में बीजेपी ने अकेले दम पर सरकार बनाई हुई है। इसके अलावा मेघालय और नागालैंड में बीजेपी ने गठबंधन के साथ सरकार बनाई हुई है। बीजेपी को इन तीनों राज्यों में न केवल सीट बचाने की चुनौती है, बल्कि सत्ता हासिल करने की भी बड़ी जिम्मेदारी है। 

इन तीनों राज्यों में 60-60 विधानसभा सीटे हैं। पूर्वात्तर राज्य बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। कई बार पीएम मोदी भी इन राज्यों से लगाव का जिक्र कर चुके हैं। ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए बड़ी चुनौती होगी कि वे इन राज्यों में बीजेपी न केवल जीत हासिल कराए बल्कि भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। साथ ही यह भी जानना दिलचस्प हो जाता है कि बीजेपी के लिए इन राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव में क्या-क्या परेशानी हो सकती है और इस वक्त पार्टी के ताजा हालात क्या हैं।  

त्रिपुरा में एंटी-इनकंबेंसी!

त्रिपुरा में 60 विधानसभा सीट है। त्रिपुरा में बीजेपी लगातार दो बार से सत्ता में है, लेकिन यहां पर पिछली बार की विधानसभा चुनाव में बीजेपी और सीपीएम के बीच वोट शेयर का अंतर महज सवा फीसदी रहा। ऐसे में यदि सीपीएम और कांग्रेस एक साथ चुनावी मैदान में उतर जाते हैं तो अकेले दम पर सरकार बनाने वाली बीजेपी को इस बार मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। 

वहीं पिछले साल बीजेपी ने त्रिपुरा में बड़ा दांव खेलते हुए बिप्लब देब को हटाकर माणिक साहा को मुख्यमंत्री पद सौंप दिया था। हालांकि इस दांव का फायदा बीजेपी को किस कदर होता है यह तो आने वाला वक्त बताएगा। ममता बनर्जी की टीएमसी काफी दिनों से त्रिपुरा में सक्रिय है। टीएमसी लगातार अपना जनाधार बढ़ा रही है जो बीजेपी के लिए सिरदर्द पैदा कर सकता है। इसके अलावा क्षेत्रीय दल टिपरा मोथा लगातार अलग राज्य की मांग कर रहा है। इससे भी बीजेपी को नुकसान पहुंच सकता है। 

मेघालय में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती!

मेघालय में बीजेपी को काफी ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता होगी। क्योंकि पिछली बार की विधानसभा चुनाव में बीजेपी मात्र 2 सीटों पर सिमट कर रह गई। 2018 में 21 सीटें जीत कर कांग्रेस प्रदेश की  सबसे बड़ी पार्टी बनी। हालांकि वो सरकार बनाने में नाकाम रही। जिसके बाद मेघालय डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाया गया। जिसमें 19 सीटों वाली एनपीपी, 2 सीट वाली बीजेपी, 4 सीटों वाली पीडीएएफ, यूडीपी 6 सीट और एचएसपीडीपी 2 सीट शामिल थीं। इसी फ्रंट ने मेघालय में सरकार बनाई। बीजेपी यहां पर गठबंधन में आकर भले ही सरकार बना सकी हो लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी में है। यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी को गठबंधन में शामिल होने के लिए बेहतर प्रदर्शन करना होगा। 

मेघालय में टीएमसी का खेला!

मेघालय की राजनीति इस बार काफी ज्यादा दिलचस्प होने वाली है। राज्य में भले ही कांग्रेस ने सबसे बड़ी पार्टी का तमगा हासिल किया था लेकिन इस वक्त राज्य का प्रमुख विपक्षी दल टीएमसी है। दरअसल, साल 2021 में कांग्रेस के विधायक मुकुल संगमा 12 विधायकों के साथ टीएमसी में शामिल हो गए थे। बता दें कि मुकुल संगमा साल 2010 से 2018 तक कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री रहे थे। टीएमसी इस बार की विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारने वाली है। यदि ऐसा होता है तो चुनाव के नतीजे चौंका सकते हैं। 

सीएम नेफ्यू रियो बन सकते हैं मुसीबत!

नागालैंड में 60 सीटें हैं लेकिन साल 2018 की विधानसभा चुनाव में यहां पर केवल 59 सीटों पर चुनाव हुआ था। इसके पीछे की बड़ी वजह नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के नेफ्यू रियो निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां पर एनडीपीपी के साथ चुनाव लड़ा था। नागा पीपुल्स फ्रंट 26 सीटें जीतकर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी। लेकिन 12 सीटों वाली बीजेपी और 18 सीटों वाली एनडीपीपी का गठबंधन नागा पीपुल्स पार्टी पर भारी पड़ गया था। इस बार ये गठबंधन सरकार न बना सके तो हार के लिए एंटी-इनकंबेंसी भी एक बड़ा फैक्टर साबित हो सकती है। नेफ्यू रियो साल 2018 में चौथी बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बने थे। इस बार के विधानसभा चुनाव में न केवल बीजेपी पर बल्कि सीएम नेफ्यू पर भी सत्ता बचाने की चुनौती होगी। उनके खिलाफ भी प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर जोरों पर है।

Created On :   18 Jan 2023 5:57 PM IST

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