दलित सहायिका की नियुक्ति के बाद स्थानीय लोगों ने बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र भेजना बंद किया

After the appointment of a Dalit assistant, the local people stopped sending children to the Anganwadi center
दलित सहायिका की नियुक्ति के बाद स्थानीय लोगों ने बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र भेजना बंद किया
कर्नाटक दलित सहायिका की नियुक्ति के बाद स्थानीय लोगों ने बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र भेजना बंद किया

डिजिटल डेस्क, बीदर । भारत 21वीं सदी में बेशक तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, मगर देश से अभी भी जातिवाद की जड़ें खत्म नहीं हो पाई हैं। इससे जुड़ा ताजा घटनाक्रम कर्नाटक के बीदर जिले के एक गांव में देखने को मिला है, जहां के स्थानीय लोगों ने एक दलित महिला को सहायिका नियुक्त करने के बाद राज्य सरकार द्वारा संचालित आंगनवाड़ी केंद्र का बहिष्कार कर दिया है।

जून 2021 में मिलाना बाई जयपा राणे की नियुक्ति के बाद से हट्याला गांव के उच्च जाति के निवासियों ने अपने बच्चों को केंद्र में भेजना बंद कर दिया है।कोविड-19 के कारण केंद्र बंद था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से यहां परिचालन फिर से शुरू हो गया था।अपने बच्चों को केंद्र में भेजने से इनकार करने वाले माता-पिता ने कहा है कि वे दलित सहायिका को अपने बच्चों को छूने नहीं दे सकते।

हालांकि, केंद्र में एक शिक्षिका सुमित्रा बाई भी दलित समुदाय से हैं मगर स्थानीय लोगों को इससे कोई समस्या नहीं है।घटना के सामने आने के बाद जिला प्रशासन और महिला एवं बाल कल्याण विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे और स्थानीय लोगों को समझाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया।हालांकि, सूत्रों का कहना है कि माता-पिता में से कोई भी सहमत नहीं है, जिसके कारण अधिकारी अपने अभियान को तेज करने की योजना बना रहे हैं।

 

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Created On :   18 Jun 2022 6:30 AM GMT

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