देश के प्रत्येक भूभाग को दिया जाएगा एक यूनिक भू-आधार नंबर
- दस्तावेजों का रजिस्ट्रीकरण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंचायती राज मंत्रालय की फ्लैगशिप योजना के अन्तर्गत देश के प्रत्येक भूभाग को एक यूनिक भू-आधार नंबर देने के बारे में विचार किया जा है। इस युनिक नंबर के आने के बाद पैन नंबर, आधार नंबर और भू-आधार की वजह से देश में जमीनों के मामले में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी लगभग शून्य हो जाएंगे। वहीं लोगों को राजस्व कचहरी के धक्के खाने से छुटकारा मिलेगा और कोर्ट केस कम होंगे।
साथ ही जमीन का दस्तावेज होने से लोगों को बैंक से लोन प्राप्त करने में सहायता होगी। दूसरी ओर सरकार को राजस्व में फायदा होगा। केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा की पंचायती राज और भूमि संसाधन में टेक्नोलॉजी की वजह से जीवन जीने की सरलता में बड़ा इजाफा होगा। सिंह ने कहा कि इससे प्रधानमंत्री किसान योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, फर्टिलाइजर सब्सिडी, आपदा प्रबंधन आदि योजनाओं के कार्यान्वयन में सरलता होगी।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक भूभाग का एक युनिक भू-आधार नंबर होने की वजह से ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके पेस्टिसाइड का छिड़काव तथा फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसी भूभाग में फसल का निरीक्षण करना आसान हो जायेगा तथा ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके दूरदराज के क्षेत्रों में डिलीवरी भी की जा सकती है। इस टेक्नोलॉजी की वजह से रूरल इकोनामी को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा और रोजगार सर्जन में भी इजाफा होगा। गौरतलब है कि भूमि संसाधन विभाग, भारत सरकार राज्यों के बीच भूमि संबंधी कार्यकलापों को गति देने के लिए विशेष रूप से डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम चला रहा है। इसी कार्यक्रम के अंतर्गत विकसित राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज रजिस्ट्रीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) तथा विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) प्रणाली को विभिन्न राज्यों द्वारा अपनाया गया है। अभी तक भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम में कुल 6,56,515 गांवों में से 6,11,197 गांवों का अधिकार अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण कर लिया है जो 93.10 प्रतिशत है। कुल 1,62,71,742 नक्शों में से 1,11,51,408 नक्शों का डिजिटलीकरण कर लिया गया है जो 68.53 प्रतिशत है।
इसी प्रकार देश में कुल 5223 रजिस्ट्री कार्यालयों में से 4884 कार्यालयों को कंप्यूटरीकृत कर लिया है जो 93.5 प्रतिशत है। उनमें से 3997 कार्यालयों को राजस्व कार्यालयों से जोड़ भी दिया गया है जिससे संपत्तियों की रजिस्ट्री होने के बाद दाखिल खारिज हेतु राजस्व कार्यालयों में दस्तावेज स्वत ही ऑनलाईन भेज दिया जाता है। इससे कि संपत्तियों के संबंध में भूमि प्रबंधन को पारदर्शी एवं संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जा सके तथा आम लोगों को संपत्ति के क्रय-विक्रय लेन देन में कम से कम कार्यालयों में जाना पड़े। राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज रजिस्ट्रीकरण प्रणाली का कार्यान्वयन वित्तीय वर्ष 2021-22 में अभी तक लद्दाख को मिला कर यह कुल 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू कर दिया गया है। इससे लगभग 22 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष अथवा प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा।
अभी तक इस प्रणाली से 30.9 लाख दस्तावेजों का रजिस्ट्रीकरण किया जा चुका है जिससे 16 हजार करोड़ से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ है। भूमि के प्रबंधन में धोखा-धड़ी तथा विवादों को रोकने तथा एक सामान्य रूप से विशिष्ट पहचान के लिए अलपिन प्रणाली प्रारम्भ की गई है। इसमें भूखंड के भौगोलिक स्थिति के अनुसार सॉफ्टवेयर के माध्यम से एक विशिष्ट पहचान का सृजन होती है जिसे विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या (यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर) का नाम दिया गया है। यह कुल 14 राज्यों केन्द्र शासित राज्यों में ही लागू किया गया है और 6 राज्यों में पाइलट टेस्ट किया जा चुका है तथा सरकार इसे वर्ष 2022-23 तक पूर्ण कर लेगी।
(आईएएनएस)
Created On :   11 March 2022 11:00 PM IST