मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023: 'आप' की एंट्री से कांग्रेस और बीजेपी में खलबली? ग्वालियर में आज चुनावी शंखनाद करेंगे केजरीवाल, क्या है इसके सियासी मायने?

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023: आप की एंट्री से कांग्रेस और बीजेपी में खलबली? ग्वालियर में आज चुनावी शंखनाद करेंगे केजरीवाल, क्या है इसके सियासी मायने?
  • एमपी में 'आप' की एट्री ने मचाई हलचल
  • आज ग्वालियर में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे केजरीवाल

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में सिर्फ पांच महीने का समय बचा है। जिसको लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। चुनाव प्रचार के लिए इन दोनों पार्टियों के अलावा सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी चुनावी दंगल में कूद चूकी है। आज दिल्ली के मुखिया और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल मध्यप्रदेश के ग्वालियर चंबल से चुनावी शंखनाद करने जा रहे हैं। जिसको देख बीजेपी और कांग्रेस में घमासान मचता हुआ दिखाई दे रहा है। भले ही 'आप' की एंट्री से कांग्रेस और बीजेपी ये कहती हुई दिखाई दे रही हो कि केजरीवाल के आने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अंदरूनी सूत्रों की मानें तो दोनों पार्टियों के नेताओं में खलबली मची है।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी को जब से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है तब से उनका उत्साह हाई है। गुजरात विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद उन्होंने एलान किया था कि आने वाले जितने भी चुनाव होने वाले हैं सब में 'आप' बढ़चढ़ कर चुनाव लड़ेगी। जिसका हमें एक सबूत आज ग्वालिर चंबल अंचल के क्षेत्र में दिखाई देने वाला है। सीएम केजरीवाल यहां एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। खबरें ये भी हैं कि, 'आप' संयोजक किसानों के लिए कुछ बड़ा एलान कर सकते हैं। वहीं 'आप' की नजर खास कर ग्वालियर चंबल पर ही क्यों हैं इसको लेकर भी बड़ी चर्चा हो रही है। तो चलिए बताते हैं कि आखिर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ग्वालियर चंबल अंचल पर ही क्यों नजरें गड़ाए हुए हैं।

केजरीवाल की क्या है रणनीति?

दरअसल, केजरीवाल ने रणनीति के तहत ग्वालियर चंबल अंचल को अपना निशाना बनाया है। जिसके पीछे का कारण है दिल्ली से नजदीक होना। यह क्षेत्र दिल्ली से काफी नजदीक है और इस संभाग से राजधानी दिल्ली में बड़ी संख्या में लोग रहते हैं। जिसका फायदा 'आप' उठाना चाहती है। पार्टी के एक नेता का कहना है कि, यहां 'आप' को सीटें जीतने की संभावना लग रही हैं अगर हम अच्छी रणनीति के तहत चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी को जरूर फायदा मिलेगा। 'आप' को इसलिए भी उम्मीद है क्योंकि हाल ही में यहां नगर निगम चुनाव हुए थे। जिसमें पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया था।

बीजेपी-कांग्रेस नेताओं के संपर्क में 'आप'

'आप' को ग्वालियर चंबल अंचल में जीत की उम्मीद इसलिए भी दिख रही है क्योंकि हाल ही में नगर निगम के चुनाव में 'आप' प्रत्याशी को जमकर वोट मिले थे। जिसकी वजह से बीजेपी के प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के बीच सियासी जंग भी छिड़ी हुई है। कहा जा रहा है इस बार के चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस यहां बड़ा फेरबदल करने वाली हैं। जिसका पता मौजूदा विधायकों और नेताओं को लग चुका है। जिसकी वजह से वो आप से भी संपर्क बनाए हुए हैं ताकि इधर से न सही उधर से तो टिकट मिल जाए।

'आप' से बीजेपी को डर?

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, ग्वालियर चंबल अंचल में 'आप' की एंट्री से बीजेपी नेताओं में खलबली है क्योंकि हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव में आप की वजह से बीजेपी को खासा नुकसान उठाना पड़ा था। नगर निगम चुनाव में 'आप' की वजह से ग्वालियर और मुरैना दोनों निगमों पर बीजेपी को तगड़ा झटका लगा था और भगवा पार्टी को दोनों सीटों से हाथ धोना पड़ा था। ग्वालियर निगम पर बीजेपी का दबदबा कई दशकों तक रहा लेकिन 'आप' की वजह से वोटों का बंटवार हुआ जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिला और वो जीत गई। इस सीट से आम आदमी पार्टी की ओर से रूचि राय गुप्ता प्रत्याशी रही थीं, जिन्हें 30 हजार वोट मिले थे। बीजेपी को यहां हार करीब 10 हजार वोटों से हुई थी। जिसका जिम्मेदार बीजेपी ने 'आप' को ठहराया था। ठीक ऐसा ही हाल मुरैना नगर निगम का भी रहा था यहां भी बीजेपी को 'आप' की वजह से करारी हार झेलनी पड़ी थी। सियासी पंडितों के मुताबित, 'आप' के आने से कांग्रेस और बीजेपी दोनों में खलबली है। बीजेपी को लगता है कि अगर केजरीवाल की सक्रियता ऐसी ही रही तो उसका प्रभाव शहरी इलाकों में कम हो सकता है।

पटखनी दे पाएंगे केजरीवाल?

ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस का दबदबा है। कहा जाता है कि, पार्टी का मजबूत जनाधार ग्रामीण इलाकों में है। जिसकी वजह से साल 2018 के चुनाव में इस क्षेत्र के 34 सीटों में से 28 सीटों पर कांग्रेस पार्टी जीत हासिल करने में सफल रही थी। हालांकि, अब देखना दिलचस्प होगा ये गढ़ कांग्रेस और बीजेपी से केजरीवाल छीनने में सफल होते हैं या नहीं।

Created On :   1 July 2023 1:02 PM IST

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