संसद विशेष सत्र: महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पास, पक्ष में 454 और विरोध में 2 वोट पड़े
- नई संसद में कार्यावाही का तीसरा दिन
- लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर डिबेट शुरू
- कांग्रेस ने किया बिल का समर्थन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) लोकसभा में पास हो गया। इस बिल पर पर्ची के माध्यम से वोटिंग हुई। जिसमें बिल के समर्थन में 454 और विरोध में 2 सांसदों ने वोट डाले। अब यह बिल 21 सितंबर को राज्यसभा में पेश होगा। वहां पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। जिसके बाद यह कानून का रूप ले लेगा।
महिला आरक्षण बिल पर वोटिंग जारी
महिला आरक्षण विधेयक पर लोकसभा में पर्ची से वोटिंग कराई जा रही है। इस दौरान सदन में पीएम नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे।
महिला आरक्षण बिल पर वोटिंग के दौरान लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित रहे। pic.twitter.com/yds8TKIu99
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 20, 2023
महिला प्रतिनिधित्व के बिना विकासयात्रा अधूरी - कानून मंत्री
केंद्रीय विधी और न्याय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज को याद करते हुए कहा कि "सुषमा स्वराज जी ने कहा था कि महिलाओं के प्रतिनिधित्व के बिना यह विकास यात्रा अधूरी है।" उन्होंने कहा कि, "परिसीमन को लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है। परिसीमन के सेक्शन 8 और 9 में ये कहा गया है कि संख्या देकर ही निर्धारण होता है। इन तकनीकी चीजों में हम जाएंगे तो आप चाहते हैं कि ये बिल फंस जाए। लेकिन हम इस बिल को फंसने नहीं देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि महिला आरक्षण का विषय हॉरिजोन्टल भी है और वर्टिकल भी है। अब तुरंत तो परिसीमन, जनगणना नहीं हो सकती। आप कह रहे हैं कि तुरंत दे दीजिए।"
बिल के विरोध को लेकर बोले शाह
"सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि इस बिल का समर्थन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें OBC, मुस्लिमों का आरक्षण नहीं है। अगर आप इस बिल का समर्थन नहीं करेंगे तो क्या आरक्षण जल्दी होगा? अगर आप इस बिल का समर्थन करते हैं तो कम से कम गारंटी तो देंगे।"
शाह ने राहुल पर कसा तंज
अमित शाह ने ओबीसी आरक्षण, परिसीमन और जातीगत जनगणना के मुद्दे को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा, " ओबीसी आरक्षण, परिसीमन का मुद्दा या जनगणना को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, मैं सबका जवाब देता हूं। सबसे पहला जवाब विद्यमान संविधान में तीन तरह के सांसद आते हैं, जो सामान्य, एससी और एसटी कैटेगरी से आते हैं। ये तीनों कैटेगरी में हमने महिलाओं का 33% आरक्षण कर दिया है। अब एक तिहाई सीटों को आरक्षित करना है तो वह सीट कौन तय करेगा? हम करें? अगर वायनाड आरक्षित हो गया तो आप कहेंगे हमने राजनीति की है।"
#WATCH महिला आरक्षण बिल पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "OBC आरक्षण, परिसीमन का मुद्दा या जनगणना को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, मैं सबका जवाब देता हूं...सबसे पहला जवाब विद्यमान संविधान में तीन तरह के सांसद आते हैं, जो सामान्य, SC और ST कैटेगरी से आते हैं। ये तीनों कैटेगरी… pic.twitter.com/txj4QwvpNk
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 20, 2023
महिला आरक्षण बिल लाने का यह 5वां प्रयास - शाह
आरक्षण बिल पर बहस करते हुए अमित शाह ने कहा कि, महिला आरक्षण बिल लाने का यह 5वां प्रयास है। देवेगौड़ा जी से लेकर मनमोहन सिंह जी तक चार बार इस बिल को लाने की कोशिश की गई...क्या कारण था कि ये बिल पास नहीं हो सका?
महिला सशक्तिकरण हमारा लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं
अमित शाह ने कहा कि, "कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तिकरण एक राजनीतिक एजेंडा हो सकता है, कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तिकरण का नारा चुनाव जीतने का एक हथियार हो सकता है लेकिन भाजपा के लिए महिला सशक्तिकरण राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि मानयता का सवाल है।"
खत्म होगी महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई - अमित शाह
अमित शाह ने बिल की खूबी बताते हुए कहा कि, "इस बिल के पारित होने के बाद लंबे समय से चल रही महिलााओं के अधिकारों की लड़ाई खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि, जी20 समिट के दौरान पीएम मोदी ने महिला नेतृत्व वाले विकास का विजन पूरी दुनिया के सामने रखा।"
भारतीय संसद के इतिहास का स्वर्णिम दिन - अमित शाह
लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा का जवाब देने अमित शाह सदन में आए। उन्होंने कहा, "कल का दिन भारतीय संसद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। कल के दिन वर्षों से जो लंबित था वो महिलाओं को अधिकार देने का बिल सदन में पेश हुआ। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साधुवाद देना चाहता हूं।"
राहुल की स्पीच पर हंगामा
राहुल गांधी की स्पीच के दौरान संसद में जोरदार हंगामा हुआ। दरअसल, अपनी स्पीच के दौरान कांग्रेस नेता ने डरो मत शब्द का प्रयोग किया जिसपर सत्ता पक्ष के सांसदों ने विरोध जताया।
जातिगत जनगणना से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही सरकार
राहुल ने अपनी स्पीच में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाते हुए कहा कि, "सरकार कई मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करती है...इसमें से एक मुद्दा है जातिगत जनगणना। मुझे बिल्कुल समझ नहीं आता कि क्या कारण है कि जैसे ही विपक्ष जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाता है, भाजपा अन्य मुद्दों को लाकर अचानक ध्यान भटकाने की कोशिश करती है ताकि OBC समुदाय और भारत के लोग दूसरी तरफ देखने लगें।"
#WATCH लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "सरकार कई मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करती है...इसमें से एक मुद्दा है जातिगत जनगणना। मुझे बिल्कुल समझ नहीं आता कि क्या कारण है कि जैसे ही विपक्ष जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाता है, भाजपा अन्य मुद्दों को लाकर अचानक ध्यान… pic.twitter.com/UzeiwQjO7m
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राहुल गांधी ने किया बिल का समर्थन
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिल पर बोलते हुए कहा कि मैं बिल का समर्थन करता हूं, लेकिन ये बिल पूरा नहीं है। इसमें ओबीसी आरक्षण को शामिल होना चाहिए था। राहुल गांधी ने कहा कि मैंने सवाल पूछा कि जो 90 सेक्रेट्री है, जो कि हिंदुस्तान की सरकार चलाते हैं, इनमें से OBC कितने हैं, लेकिन मैं जवाब से हैरान रह गया। क्योंकि 90 में सिर्फ 3 सेक्रेट्री हैं जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। राहुल ने कहा कि इस बिल में जो मिसिंग है वो है ओबीसी के आरक्षण का प्रावधान।
कांग्रेस नेता ने कहा, "भारत की महिलाओं को सत्ता हस्तांतरित करने की दिशा में सबसे बड़ा कदम था पंचायती राज, जहां उन्हें आरक्षण दिया गया और बड़े पैमाने पर राजनीतिक व्यवस्था में प्रवेश करने की अनुमति दी गई। हर कोई इस बात का समर्थन करेगा कि यह हमारे देश की महिलाओं के लिए बहुत बड़ा कदम है। महिलाओं ने आज़ादी के आंदोलन में भी भाग लिया, लेकिन मेरे हिसाब से यह बिल अधुरा है क्योंकि इसमें OBC आरक्षण की बात नहीं है। इसमें दो बात नहीं है, पहली बात तो यह कि आपको इस बिल के लिए एक नई जनगणना और नया परिसीमन करना होगा। मेरी नजर में इस बिल को अभी से महिलाओं को लोकसभा और राज्यसभा में 33% आरक्षण देकर लागू कर देना चाहिए।"
कपिल सिब्बल ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने बिल पर कहा कि, "परिसीमन के बिना क्या ये(BJP) बिल पारित कर देंगे? हम तैयार हैं। जनगणना और परिसीमन की बात तो आपने की है। हम तो पहले से ही तैयार हैं। हम हमेशा से ही इसके लिए तैयार थे, चाहे हम सत्ता पक्ष में हो या विपक्ष में। ये इसे इसलिए लागू नहीं कर रहे क्योंकि इन्हें मालूम है कि इन्हें यह 2029 में भी नहीं करना। यह तो 2024 के लिए है।"
बिल देर से आया लेकिन दुरुस्त आया - शत्रुघन सिन्हा
टीएमसी सांसद और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने बिल पर कहा कि, "विपक्ष बिलकुल साथ है। इस बिल के लिए सबसे पहले हमारी नेता ममता बनर्जी ने आवाज उठाई थी। यह बिल देर से आया है लेकिन दुरुस्त आया है। इसमें पेंच बहुत हैं इसलिए बहुत अधिक समर्थन देते हुए भी कुछ लोग बहुत उत्साहित नहीं है और जिस तरह से हम चाह रहे थे उस तरह से भी नहीं आ रहा है।"
समर्थन के साथ सुझाव देना हमारा फर्ज - अधीर रंजन चौधरी
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि हम सब इसका समर्थन करते हैं। समर्थन करने के साथ-साथ सुझाव देना हमारा फर्ज़ बनता है। किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया है।
बिल पर बोलेंगे राहुल गांधी
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज महिला आरक्षण बिल पर सदन में बोलेंगे। उन्होंने खुद इसकी पुष्टि की। कांग्रेस नेता ने कहा कि ''मैं संसद में बोलूंगा और इसीलिए यहां आया हूं।''
6 बजे बोलेंगे अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शाम 6 बजे विधेयक पर अपनी बात रखेंगे।
हमने महिलाओं को गिनने लायक बनाया
स्मृति ईरानी ने कहा कि, "हमने महिलाओं को गिनने लायक बना दिया है। और अब समय आ गया है कि आप आगे आएं, और अपने शब्दों को केवल कागजों या भाषण तक ही सीमित न रखें, बल्कि कार्रवाई के साथ बोलें और नारी शक्ति वंदन अधिनियम का समर्थन करें।"
15 साल बाद तक महिलाओं को आरक्षण की गारंटी - स्मृति ईरानी
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बिल पर चर्चा करते हुए कहा कि यह बिल 15 साल बाद भी महिलाओं को आरक्षण देता है। उन्होंने कहा, "जब यह बिल लाया गया तो कुछ लोगों ने कहा कि यह "हमारा बिल" है। प्रस्तावित बिल के एक लेख में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि तीसरे आम चुनाव में SC/ST की महिलाओं के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं होगी। लेकिन इस सरकार द्वारा लाया गया बिल इस बिल के लागू होने के 15 साल बाद तक महिलाओं को आरक्षण की गारंटी देता है।"
बीजेपी ने जारी किया व्हिप
बीजेपी ने अपने लोकसभा सांसदों ने व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने को कहा है। पार्टी का कहना है कि यदि महिला आरक्षण बिल पर वोटिंग की नौबत आती है, तो सभी सांसद सदन में मौजूद रहें, जिससे की बिल पास हो सके।
महिला आरक्षण बिल समय की जरूरत - अनुप्रिया पटेल
अपना दल की सांसद अनुप्रिया सिंह पटेल ने महिला बिल का समर्थन करते हुए इसे समय की जरूरत बताया। उन्होंने कहा, 'महिला आरक्षण बिल समय की जरूरत है। कई छोटे देशों ने महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित कर ली है। ये कोई नया बिल नहीं है, इसका इतिहास 27 साल पुराना है। सबसे पहले 1996 में बिल आया, इसके बाद कई सरकारें बिल लेकर आईं, लेकिन लागू नहीं हो पाया। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा, 'विपक्ष पिछड़ी जाति से आने वाली महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान करने की मांग कर रहा है, लेकिन ऐसा संभव नहीं है। हमने अच्छी शुरुआत की है। विपक्ष कहता है कि 2024 चुनाव को देखते हुए बीजेपी ये बिल लेकर आई, अगर ये बिल नहीं लाया जाता तो विपक्ष कहता कि सरकार महिलाओं के हित के बारे में सोचती नहीं है। मैं कहती हूं इसमें किंतु परंतु नहीं होना चाहिए। ये बिल स्वागत योग्य है। मैं मोदी जी का आभार व्यक्त करती हूं।'
राज्यसभा और विधान परिषद में बिल लागू होगा या नहीं?
समाजवादी पार्टी ने बिल को लेकर सरकार से कई सवाल पूछे। लोकसभा में पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा कि, 'हमारी पार्टी की हमेशा से मांग रही है कि पिछड़ा वर्ग महिला तथा अल्पसंख्यक महिला को नारी शक्ति वंदन अधिनियम में शामिल किया जाए और इसमें उनको आरक्षण दिया जाए। लोकसभा और विधानसभा में यह महिला आरक्षण बिल तो लागू होगा लेकिन हम पूछना चाह रहे हैं कि राज्यसभा और विधान परिषद में लागू होगा कि नहीं? आने वाले चुनाव में यह लागू हो पाएगा की नहीं और 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में ये लागू हो पाएगा की नहीं? सवाल ये भी है कि जनगणना कब होगा और परिसीमन कब होगा?'
पूर्व सरकारों के समय आना चाहिए था बिल - जीतनराम मांझी
महिला आरक्षण पर बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने कहा कि, 'यह बिल पहले आना चाहिए था। नरेंद्र मोदी की स्पष्टता और नारियों के प्रति सम्मान के चलते वे बिल लाए हैं। ये बिल पारित होगा...JDU ने इसका समर्थन किया है, इसके लिए उन्हें धन्यवाद। राबड़ी देवी से मैं यही कहना चाहता हूं कि वे पति-पत्नी 15 साल (शासन में) थे, उन्होंने महिला आरक्षण के लिए क्या किया था?'
प्रलोभन के लिए लाया गया बिल - मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह बिल चुनाव में वोट बंटोरने के लिए सरकार द्वारा लाया गया है। उन्होंने कहा, 'इस बिल के मुताबिक आने वाले 15-16 सालों में देश में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया जाएगा। इस बिल के पास होने के बाद इसे तुरंत लागू नहीं किया जा सकेगा। सबसे पहले देश में जनगणना कराई जाएगी और इसके बाद सीटों का परिसीमन किया जाएगा। जनगणना में काफी समय लगता है। इसके बाद ही यह बिल लागू होगा। इससे साफ है कि यह बिल महिलाओं को आरक्षण देने के इरादे से नहीं लाया गया है बल्कि आगामी चुनाव से पहले महिलाओं को प्रलोभन देने के लिए लाया गया है।'
ओबीसी महिला को अलग से मिले आरक्षण
मायावती ने कहा कि "सरकार इस विधेयक में से 2 प्रावधान को हटाएं। सरकार को ऐसे प्रावधान लाना चाहिए कि आरक्षण जल्द लागू हो जाए। साथ ही ओबीसी महिला को अलग से आरक्षण मिलना चाहिए।"
करेंगे संसोधन की मांग - संजय सिंह
आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि, '2024 में इनको(भाजपा) सत्ता से बाहर करके सही स्वरूप में महिला आरक्षण बिल लाने का काम हम करेंगे। लेकिन फिलहाल ये दोष INDIA गठबंधन पर न आए इसलिए ये फैसला हुआ है कि हम (महिला आरक्षण बिल) का समर्थन करेंगे। चर्चा में इसका विरोध करेंगे, सरकार से संशोधन की मांग भी करेंगे। पिछले बिल में जनगणना और परिसीमन की बात नहीं थी, अब आप इसे लटकाने के लिए ये सब लेकर आए हैं। उन्होंने कहा, ये निश्चित रूप से महिला आऱक्षण बिल नहीं है बल्कि ये महिला बेवकूफ बनाओ बिल है। जब से पीएम मोदी सत्ता में आए हैं, इन्होंने एक भी वादा पूरा नहीं किया। ये एक और जुमला लेकर आए हैं। इसमें ये बिल 15 साल में पास होगा, 20 साल में पास होगा, या नहीं होगा, कुछ पता नहीं। अगर आप महिला आरक्षण बिल लागू करना चाहते हैं तो आप करिए हमारी पार्टी इसके समर्थन में है, लेकिन इसें 2024 में लागू कीजिए। आप कह रहे हैं कि 2035 में लागू करेंगे 2040 में लागू करेंगे।
बीएसपी ने किया समर्थन, लेकिन रखी डिमांड्स
बीएसपी सांसद संगीता आजाद ने कहा, बसपा इस बिल का समर्थन करती है। आज बाबा साहेब और मान्यवर कांसीराम की ही सोच है कि हम जैसी महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में जाने का मौका मिला है। महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानित महसूस करने का मौका मिला है। ये बिल महिलाओं को राजनीतिक क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित करता है और रुढ़िवादिता को खत्म करता है। इस विधेयक का हम समर्थन करते हैं, लेकिन हमारी कुछ मांगों को इसमें शामिल किया जाए। लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में 50% आरक्षण किया जाए। इसे राज्यसभा और विधानपरिषद में भी लागू किया जाए। इस बिल में एससी, एसटी और ओबीसी का भी कोटा शामिल किया जाए। जनगणना को भी जल्द से जल्द पूरा किया जाए। इस आरक्षण को जल्द से जल्द परिसीमन और जातिगत जनगणना कराकर लागू कराया जाए।
अकाली दल ने टाइमिंग पर उठाए सवाल
एक समय एनडीए का हिस्सा रहे शिरोमणि अकाली दल ने बिल की टाइमिंग को लेकर सरकार पर निशाना साधा। पार्टी की सांसद हरसिमरत कौर ने कहा कि, 'जितना उत्साह और खुशी कल थी, सरकार ने उसपर पानी फेर दिया। जनगणना के बाद परिसीमन होकर इस बिल को लागू किया जाएगा। अगले 5-6 साल तक ये लागू होने वाला नहीं है। जब आप(केंद्र सरकार) इसे लागू ही नहीं कर रहे तो आप इस बिल को लेकर क्यों आए?
बीजेपी का पलटवार
महिला आरक्षण बिल पर सोनिया गांधी के बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, 'हम बिल लाए तो कांग्रेस को दर्द हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने सारे देश में शौचालय बनवाकर महिलाओं को सम्मान दिया। ये देश संविधान से चलता है। अभी सोनिया गांधी ने कहा कि ये बिल जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए। संविधान में कहा गया है कि राज्यसभा में कोई रिजर्वेशन नहीं होगा, फिर कैसे आरक्षण दिया जाए। आप लॉलिपोप बनाकर ये बिल घुमाते रहे। आर्टिकल-82 में लिखा हुआ है कि बिल लागू करने की पूरी प्रक्रिया।'
उन्होंने कहा, 'जो गोल मारता है, वो उसी के नाम से जाना जाता है। ये बिल पीएम मोदी लेकर आए हैं, इसलिए उन्हीं का गोल माना जाएगा। इसमें क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहे हैं।'
वहीं केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी बिल को लेकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि, 'आज तक महिला आरक्षण बिल पर ये UPA और INDI के लोग जनता को भ्रम में डालते रहें। उनकी पहले भी इच्छा नहीं थी और आज भी इसे पास कराने की इच्छा नहीं है लेकिन ये बिल पास होगा और महिलाओं को आरक्षण जरूर मिलेगा।'
यह बिल राजीव गांधी लेकर आए थे - सोनिया गांधी
कांग्रेस की तरफ से डिबेट का नेतृत्व करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि ये बिल राजीव गांधी का लाया हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बिल का समर्थन करती है। साथ ही उन्होंने देश में जातीय गणना कराने की भी बात कही। सोनिया गांधी ने कहा, "यह मेरे जीवन का मार्मिक क्षण है, पहली बार स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी ही लेकर आए थे... बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में कांग्रेस ने उसे पारित कराया था, आज उसका नतीजा है कि आज देश भर के स्थानीय निकायों में हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है, इस बिल के पारित होने के साथ वह पूरा होगा। कांग्रेस पार्टी इस बिल का समर्थन करती है... मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं देश की स्त्रियां अपनी राजनीतिक ज़िम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं लेकिन अभी भी इसके लिए उन्हें कितने वर्ष इंतज़ार करना होगा? कांग्रेस की मांग है कि यह बिल तुरंत लागू किया जाए और इसके साथ ही जातीय जनगणना भी कराई जाए।"
महिलाओं को मिलेंगे समान अवसर - मेघवाल
कार्यवाही की शुरूआत में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने सदन में बिल के प्रावधानों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, यह महिलाओं की गरिमा के साथ-साथ उन्हें मिलने वाले अवसरों को भी बढ़ाएगा। इस बिल से महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित होंगी, दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित रहेंगी और महिलाओं को मिलने वाला ये आरक्षण 15 सालों के लिए लागू रहेगा, इसके बाद इसे आगे बढ़ाने का अधिकार भी संसद के पास होगा।
जेडीयू और टीएमसी ने किया बिल का समर्थन
जेडीयू और टीएमसी ने महिला आरक्षण बिल 2023 का समर्थन किया है। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के नेता नीतीश कुमार ने कहा कि हमारी पार्टी शुरू से ही बिल की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हम शुरू से महिला आरक्षण बिल की मांग कर रहे हैं। इसके साथ हमने और भी मांग की थी लेकिन वह नहीं हुआ। हर दस साल में(जनगणना) हो जानी चाहिए थी जो नहीं हुई... हमने महिलाओं के हित में सबसे पहले काम किया... महिला भर्ती, स्कूल सहित अन्य क्षेत्र में महिलाओं के हित में काम किया। महिलाओं को आरक्षण बिल्कुल मिलना चाहिए इसी प्रकार से हमारी मांग है कि SC/ST, पिछड़े व अति पिछड़े वर्ग की महिलाओं को भी विधान सभाओं और लोकसभा-राज्यसभा में आरक्षण मिलना चाहिए।'
ये नारी शक्ति वंदन नहीं बल्कि कुर्सी बचाने का बंधन है
जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह ने भी बिल का समर्थन किया। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, "ये लोग नारी शक्ति वंदन की बात करते हैं। असल में आप अपना बंधन कर रहे हैं, आप अपनी कुर्सी बचाने के लिए बंधन कर रहे हैं। 2024 के बाद ये लोग कहेंगे, ये तो जुमला है। आपको 2024 में मुक्त होना है, इसी का आपको डर है। मैं महिला आरक्षण बिल का समर्थन करता हूं।"
वहीं टीएमसी ने भी बिल का समर्थन किया। पार्टी सांसद काकोली घोष ने कहा कि हम इस बिल का समर्थन करते हैं। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि, देश में पश्चिम बंगाल ही एकमात्र राज्य है, जहां महिला मुख्यमंत्री है, वहीं बीजेपी की 16 राज्यों में सरकार है, लेकिन एक भी महिला मुख्यमंत्री नहीं है। लोकसभा में टीएमसी की 40 फीसदी महिला सांसद हैं। ममता बनर्जी राज्य में महिलाओं को स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रशासनिक सेवाओं के प्रति लगातार जागरूक कर रही हैं।
Created On :   20 Sept 2023 11:34 AM IST