बयान पर बवाल: सैम पित्रोदा के चीन को लेकर बयान के बाद बैकफुट पर आई कांग्रेस, जयराम रमेश ने कहा - 'यह पार्टी का आधिकारिक विचार नहीं'

सैम पित्रोदा के चीन को लेकर बयान के बाद बैकफुट पर आई कांग्रेस, जयराम रमेश ने कहा - यह पार्टी का आधिकारिक विचार नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस ओवरसीज अध्यक्ष सैम पित्रोद के बयान से एक बार फिर सियासी बवाल शुरू हो गया है। हाल ही में सैम पित्रोदा ने चीन को लेकर बयान दिया है। इस बयान में उन्होंने कहा है कि भारत को चीन के साथ दुश्मनी के बजाए मिलकर काम करना होगा। कांग्रेस नेता के इस बयान पर अब भाजपा जमकर हमलावर है। भाजपा सैम पित्रोदा के इस बयान को कांग्रेस का चीन के लिए दोस्ती बता रही है। इसके बाद अब कांग्रेस ने सैम पित्रोदे के बयान को लेकर बैकफुट पर आ गई है। इस पर कांग्रेस के सीनियर नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने सोमवार को बयान जारी किया है। इस बयान में उन्होंने साफ करते हुए कहा कि सैम पित्रोदा के चीन पर व्यक्त विचार पार्टी के आधिकारिक विचार नहीं हैं।

सैम पित्रोदा के बयान पर कांग्रेस का बचाव

उन्होंने कहा कि चीन भारत की विदेश नीति, बाह्य सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। कांग्रेस ने पहले भी मोदी सरकार की चीन नीति पर सवाल उठाए हैं, खासकर 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा चीन को दी गई क्लीन चिट को लेकर। कांग्रेस का चीन पर हालिया आधिकारिक बयान 28 जनवरी 2025 को जारी किया गया था, जिसमें चीन के साथ भारत के संबंधों और सरकार की रणनीति पर गंभीर सवाल उठाए गए थे।

जयराम रमेश ने आगे कहा कि कांग्रेस ने मोदी सरकार द्वारा चीन के साथ संबंध सामान्य करने की घोषणा का संज्ञान लिया है, लेकिन सवाल यह है कि ऐसा निर्णय ऐसे समय में क्यों लिया जा रहा है, जब 2024 के डिसइंगेजिमेंट समझौते से जुड़े कई सवालों के जवाब अब तक नहीं मिले हैं।

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर बोला हमला

उन्होंने आगे कहा कि भारत और चीन के बीच हाल ही में वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को बहाल करने पर सहमति बनी है, जिसमें डायरेक्ट फ्लाइट्स, कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और उदार वीजा नीति जैसे मुद्दे शामिल हैं, लेकिन सरकार ने यह नहीं बताया कि लद्दाख में 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र, जहां 2020 तक भारतीय सेना की पेट्रोलिंग होती थी, उसे वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

कांग्रेस ने सरकार से पूछा कि क्या मोदी सरकार चीन से अप्रैल 2020 की यथास्थिति बहाल करवाने में नाकाम रही है। इस पर थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि हम अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करना चाहते हैं। 3 दिसंबर 2024 को संसद में विदेश मंत्री ने कहा कि "कुछ क्षेत्रों में स्थिति को स्थायी रूप से बदलने के लिए अस्थायी कदम उठाए गए हैं।"

इस दौरान उन्होंने संकेत देते हुए कहा कि भारत ने चीन के साथ 'बफर जोन' बनाने पर सहमति जताई है, जिससे भारतीय सैनिक और पशुपालक पहले की तरह वहां नहीं जा सकते। कांग्रेस ने कहा कि यह नीति 1986 के सुमदोरींग चू और 2013 के देपसांग विवादों से अलग है, जहां तब तक कोई समझौता नहीं हुआ था जब तक कि भारत की स्थिति पूरी तरह बहाल नहीं हो गई थी।

Created On :   17 Feb 2025 7:42 PM IST

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