विधानसभा चुनाव 2023: चार राज्यों में सत्ता की किंगमेकर बन सकती है बीएसपी

चार राज्यों में सत्ता की किंगमेकर बन सकती है बीएसपी
  • राजस्थान और तेलंगाना में बसपा का अकेला सफर
  • मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीजीपी का साथ
  • ना इंडिया ना एनडीए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती 2024 का आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला कर चुकी है। इससे पहले पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी बीएसपी ने न तो विपक्षी संगठन इंडिया से गठबंधन किया ,ना ही सत्ताधारी बीजेपी के समूह एनडीए से ।राज्य विधानसभा चुनावों में स्थानीय स्तर पर भले ही छोटे मोटे दलों से गठबंधन कर लिया है, लेकिन बीएसपी का मुख्य फोकस लोकसभा चुनाव 2024 है। और आगामी लोकसभा चुनाव बीएसपी, ओडिशा में नवीन पटनायक की बीजू जनता दल, तेलंगाना में केसीआर की भारत राष्ट्र समिति, और आंध्रप्रदेश में जग मोहन रेड्डी की तरह ही गठबंधनों से इतर अकेले के बलबूते पर चुनाव लड़ेगी। भले ही इन तीनों पार्टियों का अपने अपने राज्य में सरकार है और मजबूत स्थिति में है। जबकि मायावती की बीएसपी की किसी भी राज्य में सरकार नहीं है । यूपी के विधानसभा चुनाव में भी बीएसपी को बहुत बुरी हार मिली थी। लेकिन बसपा का आगामी चुनाव में अकेले दम भरना उसकी अपनी मजबूत रणनीति को बताता है। आज भी उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ औऱ तेलंगाना में बीएसपी का अपना मजबूत कोर वोट बैंक है। जिसे वह अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन कर खोना नहीं चाहती । मायावती ने साफ तौर पर ऐलान कर दिया है कि देश की सत्ता की चाबी जिस स्टेट यूपी से निकलती है उसकी 80 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।

राजस्थान में बसपा का सफर

राजस्थान में बीएसपी ने 1990 से चुनाव लड़ना शुरू किया था, लेकिन पहली बार चुनावी मैदान में उतरने के कारण उसे जीत नहीं मिल सकी। दूसरी बार 1998 में बीएसपी ने 108 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारें लेकिन उसे 2 सीट भरतपुर की नगर विधानसभा सीट और अलवर जिले की बानसूर विधानसभा सीट पर जीत मिली थी।

2003 में भी बीएसपी को दो सीट दौसा जिले की बांदीकुई और करौली जिले की सपोटरा विधानसभा सीट से जीत मिली थी। 2008 में बीएसपी के 6 विधायक निर्वाचित हुए , जिनमें नवलगढ़ की विधानसभा सीट पर राजकुमार शर्मा,उदयपुरवाटी से राजेन्द्र गुढ़ा,गंगापु से रामकेश मीणा ,सपोटरा से रमेश मीणा ,दौसा से मुरारी लाल मीणा और धौलपुर जिले की बाड़ी विधानसभा सीट से गिर्राज सिंह मलिंगा बहुजन समाज की टिकिट पर चुनाव लड़कर विधानसभा में पहुंचे थे। राजस्थान 2008 में कांग्रेस को 96 वहीं बीजेपी को 78 सीटों पर जीत मिली थी। किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। अशोक गहलोत ने बीएसपी के 6 विधायकों का कांग्रेस में विलय करवा लिया। बीएसपी के सभी 6 विधायकों ने हाथी चिह्न पर जीतकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था इस प्रकार कांग्रेस की सरकार बनी।

अगले चुनाव 2013 में बीएसपी को नुकसान उठाना पड़ा और उसके तीन विधायक ही निर्वाचित हो पाए थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीएसपी किंगमेकर बनकर उभरी। 2018 में बीएसपी के 6 विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस को इस बार 100 सीट मिली। अशोक गहलोत ने फिर से बीएसपी के 6 विधायकों को कांग्रेस में मिला लिया। राजस्थन में बीएसपी के विधायकों का बार बार कांग्रेस में विलय होने से बीएसपी को हर बार नए सिरे से मेहनत करनी पड़ती और बीएसपी वहां अपने आपको मजबूत स्थिति में खड़ा नहीं कर पाती।

मध्यप्रदेश में बसपा का सफर

राजस्थान की तर्ज पर ही मध्यप्रदेश में बीएसपी विधायक सत्ताधारी पार्टी के साथ चले जाते है, जिससे बीएसपी चुनाव दर चुनाव प्रोग्रेस नहीं कर पाती, हालांकि मध्यप्रदेश में यूपी से सटी तीन दर्जन सीटों पर बसपा का वर्चस्व साफ नजर आता है। और बसपा इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस को टक्कर देती हुई मुकाबले को रोचक बना देती है। मध्यप्रदेश में बीएसपी का वोट परसेंट पिछले तीन चुनावों से लगातार गिर रहा है। आपको बता दें 2003 में बीएसपी को 2 सीट मिली थी, 2008 में बीएसपी ने सात सीट जीती तब उसका वोट परसेंट 9 फीसदी था, जबकि 2013 में ये गिरकर 6 फीसदी रह गया और बीएसपी को चार सीटों पर जीत मिली थी।। वहीं 2018 में ये 5 परसेंट पर पहुंच गया जबकि बसपा को दो सीटों से संतुष्ट करना पड़ा था।। गिरते वोट परसेंट से हिसाब से ये साफ कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में बीएसपी लगातार कमजोर होती जा रही है। मध्यप्रदेश में बीएसपी का वोट परसेंट 5 से अधिक होने पर बीजेपी को फायदा पहुंचता है, वहीं पांच और उससे कम होने पर कांग्रेस को लाभ होने के आसार होते है। बसपा को मिलने वाला वोट परसेंट चुनाव पर सीधा असर डालता है। इस बार बीएसपी ने जीजीपी पार्टी से गठबंधन किया है, ऐसे में वोट परसेंट बढ़ने के आसार है। हालांकि राज्य में बीएसपी का कोर वोट बैंक लगातार छिटक रहा है। इससे बीएसपी की चिंता बढ़ती हुई नजर आ रही है।

छत्तीसगढ़ में बसपा का सफर

छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने 3.9 फीसदी वोट पाकर दो सीटें जीती, जबकि 2013 में बीएसपी को 4.3 फीसदी वोट मिला जबकि उसे एक सीट पर ही जीती मिलीष 2008 में 6.11 फीसदी वोट के साथ साथ दो सीटों पर जीत मिली। 2003 में 4.45 वोट परसेंट के साथ दो सीट । वोट परसेंट के आधार पर ये कहा जा सकता है कि बीएसपी को छत्तीसगढ़ में 4 से 6 फीसदी वोट मिलता रहा , 2018 के चुनाव में बीएसपी ने जोगी कांग्रेस से गठबंधन किया था, और 2023 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से गठबंधन किया हुआ है। अब देखना है कि जीजीपी से गठबंधन होने के बाद बीएसपी चुनाव में क्या गुल खिला सकती है।

तेलंगाना में बीएसपी का मजबूत होती पकड़

तेलंगाना में पूर्व आईपीएस अधिकारी आरएस प्रवीण कुमार की मौजदूगी में बीएसपी मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। यहां बीएसपी के वोट परसेंट में बढ़ोतरी की उम्मीद लगाई जा सकती है। हावर्ड विश्व विद्यालय में पढ़े कुमार ने आईपीएस से वीआरएस लेने के बाद बीएसपी को राज्य में मजबूत किया है। उनके नेतृत्व में वहां बीएसपी एससी और ब्राह्मण और माला समुदाय से अधिक समर्थन मिलते हुए दिखाई दे रहा है। यदि यहां बसपा का वोट परसेंट बढ़ता है।

आपको बता दें मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बहुजन समाज पार्टी ने जीजीपी से गठबंधन किया है, जबकि राजस्थान और तेलंगाना में बीएसपी अकेले चुनाव लड़ रही है। इन चारों राज्यों में बीएसपी गेंमचेंजर की भूमिका में हो सकती है।

विधायकों के दल बदलने से क्षेत्रीय दलों को हमेशा नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि क्षेत्रीय दल बड़ी मुश्किल से अपने कुछ विधायक जीता पाते है। ऊपर से सत्ताधारी पार्टी क्षेत्रीय विधायकों को तमाम प्रलोभन देकर अपने पाले में कर लेती है। जिससे क्षेत्रीय पाटियों को अपनी शुरूआत फिर नए सिरे से करनी पड़ती है। इसके पीछे की वजह ये बताई जाती है कि जो भी विधायक पार्टी के चुनाव चिह्न पर जीता था बाद में उसने दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया। ऐसे में वह जनप्रतिनिधि उस जनता की आवाज नहीं बन पाता जिसने उसे चुना था। ऐसे में जनता अपने आपको ठगा महसूस करती है। दल बदल कानून की दो तिहाई की सीमा बड़े दलों को तो संरक्षण प्रदान करती है, लेकिन छोटे दलों को नहीं, क्योंकि उनके गिने चुने उम्मीदवार ही जीत पाते है।

Created On :   23 Oct 2023 4:46 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story